भीमा-कोरेगांव युद्ध की आज यानी मंगलवार को 201वीं वर्षगांठ है. इस अवसर पर महाराष्ट्र भर से अनुसूचित जाति के लोग बड़ी संख्या में विजय स्तंभ पर जुट रहे हैं. वर्षगांठ पर विजय स्तंभ की रंगीन रोशनी और फूल-मालाओं से खास सजावट की गई है.
हर वर्ष 1 जनवरी को पुणे से 40 किलोमीटर दूर भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर हजारों की संख्या में अनुसूचित जाति के लोग इकट्ठा होते हैं.
Koregaon Bhima: People visit 'Vijay Stambh' on the 201st anniversary of the Bhima Koregaon battle. #Maharashtra pic.twitter.com/LBiO209dkl
— ANI (@ANI) December 31, 2018
पिछले वर्ष यहां बड़े पैमाने पर हुई हिंसा और आगजनी से सबक लेते हुए इस बार प्रशासन और पुलिस अलर्ट है. कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इस वर्ष भीमा-कोरेगांव के विजय स्तंभ और आसपास के इलाके में 7000 सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संदीप पाटिल ने कहा कि इस बार जय स्तंभ के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
वर्षगांठ को देखते हुए पुलिस ने एहतियातन विजय स्तंभ के आसपास हिंसक हालात बनने से रोकने के लिए पहले ही 1200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ प्रिवेन्टिव एक्शन लिए हैं. पुलिस ने किसी भी संगठन को इस साल यहां सभा करने की इजाजत नहीं दी हैं.
Pune: Security tightened in Bhima Koregaon on the 201st anniversary of the #BhimaKoregaon battle. #Maharashtra pic.twitter.com/39DSbimTUY
— ANI (@ANI) January 1, 2019
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेशवा की विशाल सेना को युद्ध में हराया था
बता दें कि 1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में युद्ध में हराया था. पेशवा सेना का नेतृत्व बाजीराव II कर रहे थे. अनुसूचित जाति के लोग इस लड़ाई को अपनी जीत के रूप में मनाते हैं. इसलिए इस दिन यानी 1 जनवरी को अनुसूचित जाति के लोग 'विजय स्तंभ' के सामने जुटकर अपना सम्मान प्रकट करते हैं.
यह विजय स्तंभ ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीसरे एंगलो-मराठा युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था. इस स्तंभ पर 1818 के युद्ध में शामिल होने वाले महार योद्धाओं के नाम अंकित हैं.
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संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.
Jan 1, 2019
भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं वर्षगांठ पर भीम सेना के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा, 'सभी साथियों को शौर्य दिवस की बधाई.. अभी थोड़ी देर में पुणे से भीमा कोरेगांव के लिए निकल रहा हूँ,मेरे को भीमा कोरेगांव जाने की इजाजत मिल गई है जो बहुजन समाज के द्वारा बनाए गए दबाव की वजह से ही हो पाया है. जय भीम जय बहुजन समाज'
1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में युद्ध में हराया था. पेशवा सेना का नेतृत्व बाजीराव II कर रहे थे. अनुसूचित जाति के लोग इस लड़ाई को अपनी जीत के रूप में मनाते हैं. इसलिए इस दिन यानी 1 जनवरी को अनुसूचित जाति के लोग 'विजय स्तंभ' के सामने जुटकर अपना सम्मान प्रकट करते हैं. यह विजय स्तंभ ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीसरे एंगलो-मराठा युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था. इस स्तंभ पर 1818 के युद्ध में शामिल होने वाले महार योद्धाओं के नाम अंकित हैं
पिछले वर्ष 1 जनवरी को यहां बड़े पैमाने पर हुई हिंसा और आगजनी से सबक लेते हुए इस बार प्रशासन और पुलिस अलर्ट है. कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इस वर्ष भीमा-कोरेगांव के विजय स्तंभ और आसपास के इलाके में 7000 सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. वर्षगांठ को देखते हुए पुलिस ने एहतियातन विजय स्तंभ के आसपास हिंसक हालात बनने से रोकने के लिए पहले ही 1200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ प्रिवेन्टिव एक्शन लिए हैं. साथ ही पुलिस ने किसी भी संगठन को इस साल यहां सभा करने की इजाजत नहीं दी हैं.
कोरेगांव-भीमा युद्ध की 201वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर सोमवार को हजारों लोगों ने 'जय स्तंभ' पर श्रद्धांजलि दी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से 18,000 से 20,000 लोग यहां पहुंचे थे. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के भी आज यहां पहुंचने की संभावना है.
भीमा-कोरेगांव युद्ध की आज यानी मंगलवार को 201वीं वर्षगांठ है. इस अवसर पर महाराष्ट्र भर से अनुसूचित जाति के लोग बड़ी संख्या में विजय स्तंभ पर जुट रहे हैं. वर्षगांठ पर विजय स्तंभ की रंगीन रोशनी और फूल-मालाओं से खास सजावट की गई है.