कार न रोकने पर गोली मारने वाली यूपी पुलिस अब अपने ही बचाव की दलीलों से घिरती जा रही है. लखनऊ शूटआउट मामले में मारे गए एपल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना ने नई एफआईआर दर्ज कराई है. ये एफआईआर गोली मारने वाले कॉन्सटेबल प्रशांत चौधरी के खिलाफ दर्ज कराई गई है. सवाल उठता है कि अपराधियों से सहमी जनता की जान को खतरा जब सूबे की पुलिस से भी हो जाए तो फिर वो कहां जाए? यूपी में अपराधी तो एनकाउन्टर के डर से जेल जाना सुरक्षित मान रहे हैं लेकिन जनता पुलिस के खौफ से कैसे बचे खासतौर से तब जब कि कार न रोकने पर यूपी पुलिस का एक छोटा सा सिपाही भी गोली चलाने की 'सुपरपावर' रखता हो.
मेरठ में कुछ दिन ही पहले लव-जिहाद के नाम पर यूपी पुलिस के तीन लोगों ने एक लड़की के साथ मारपीट और बदसलूकी की. मॉरल पुलिसिंग के नाम पर यूपी पुलिस का ये शर्मसार करने वाला चेहरा था. पुलिस वैन में बिठाई गई लड़की से आपत्तिजनक सवाल पूछे गए. पुलिस की कारगुजारी जब वीडियो के जरिये सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हंगामा हो गया. आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई. लेकिन कार्रवाई की जगह आरोपी तीन पुलिसकर्मियों के वीआईपी इलाके में तबादले कर दिए गए. न किसी की गिरफ्तारी और न ही किसी की बर्खास्तगी.
अब इसी तरह ही एपल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले में भी यूपी पुलिस ने मॉरल पुलिसिंग का एंगल निकाल ही लिया. अपने हिसाब से मामला दर्ज करने वाली यूपी पुलिस ने चरित्रहनन को अपनी ढाल बना लिया. ये लगभग साबित कर ही दिया था कि विवेक तिवारी कार में आपत्तिजनक हालात में थे और आरोपी सिपाही पर विवेक ने गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की जिसकी वजह से गोली चल गई. महकमे के कॉन्सटेबल के बचाव में दलीलों की बौछार कर दी गई. लेकिन यूपी पुलिस के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि आपत्तिजनक आरोपों की आड़ में किसी पर गोली चलाने का अधिकार किसने दिया?
गोली चलाने वाले प्रशांत चौधरी के चेहरे पर पश्चाताप या ग्लानि का कोई भाव नहीं है. जिस अंदाज में टीवी चैनल वालों को प्रशांत चौधरी ने बाइट दी उससे लगा कि किसी आतंकी से मुठभेड़ के बाद सिपाही सामूहिक वीरता की तस्वीर बयानों से खींच रहा था. साथ में खड़ा पूरा पुलिस महकमा प्रशांत चौधरी के गोलीकांड को सही ठहराने और आरोपी कॉन्सटेबल को पीड़ित बताने में जुटा रहा.
दरअसल, ये यूपी पुलिस की कार्यशैली है जो साबित करती है कि यूपी पुलिस, सदैव यूपी पुलिस के साथ. ‘ठोक देंगे’ का नारा देने वाली योगी सरकार को सोचना होगा कि अब गोली ज्यादा दिन ऐसे चल नहीं पाएगी. क्योंकि एनकाउन्टर का लाइसेंस हाथ में आने के गुरूर में यूपी पुलिस अपने आला अधिकारियों की ताकीद के बावजूद अपराधियों और आम जनता के बीच फर्क नहीं कर पा रही है.
इसके बावजूद सीएम योगी छाती ठोंक कर कह रहे हैं कि एनकाउन्टर का सिलसिला रुकेगा नही. सरकार का यही अंदाज यूपी पुलिस के भीतर अहंकार बढ़ा रहा है जो उसे निरंकुश बनाता जा रहा है.
लाइसेंस टू किल के साथ अब एक कॉन्सटेबल भी गोली चलाने से पहले किसी आला अधिकारी के आदेश का इंतजार करना जरूरी नहीं समझता है. यूपी पुलिस की ‘दिलेरी’ देखकर ख्याल जम्मू-कश्मीर में पुलिस महकमे का आता है जहां आतंकियों के डर से पुलिस विभाग के अधिकारी नौकरी छोड़ रहे हैं. वहां ‘दिलेर’ सिपाहियों की जरूरत है. घाटी में भी कई कारें पुलिस के रोकने पर नहीं रुकती है. क्या प्रशांत चौधरी जैसे यूपी पुलिस के हजारों जांबाज़ घाटी जाना चाहेंगे? देश की खातिर?
दरअसल, यूपी पुलिस का अपना आपराधिक इतिहास रहा है. उसी इतिहास से मुंह छिपाने के लिए वो अपने कृत्यों के बखान की तलाश में रहती है. अपने एनकाउन्टर को जायज़ बताने के लिए वो मीडिया का भी सहारा लेती है. अलीगढ़ में दो युवक मुस्तकीम और नौशाद के एनकाउन्टर के दौरान मीडिया को कवरेज का न्योता दिया गया. इससे साबित होता है कि यूपी पुलिस ऑन डिमांड लाइव एनकाउन्टर की भी व्यवस्था कर सकती है. ये उसी लाइव एनकाउन्टर की बानगी है.
जाहिर सी बात है कि अगर एनकाउन्टर के साथ मीडिया फुटेज मिल जाए तो फिर प्रमोशन में कोई देरी और किंतु-परंतु भी नहीं है. वहीं कहीं एनकाउन्टर की कार्रवाई पर सवाल उठे तो मीडिया के फुटेज के रूप में सारे सबूत साथ होंगे.
दरअसल इसके पहले कई दफे फर्जी एनकाउन्टरों की वजह से यूपी पुलिस की वर्दी दागदार हुई है. हर दौर में सरकारों से 'लाइसेंस टू किल' मिलने के बाद यूपी पुलिस की 'किलिंग इंस्टिंक्ट' ने ही निर्दोषों का खून बहाने में कसर नहीं छोड़ी. विवेक तिवारी तो उस फेहरिस्त में जुड़ा एक नया नाम है जिसे यूपी पुलिस एनकाउन्टर न बता कर रिवॉल्वर से गलती से चली गोली का शिकार बता रही है ताकि अबतक योगी राज में हुए 1200 एनकाउन्टरों पर सवाल न उठ जाएं. सरकार ने सफाई से इस शूटआउट को एनकाउन्टर की कैटेगरी से अलग कर दिया ताकि सियासी नुकसान न हो और यूपी में एनकाउन्टर को लेकर योगी सरकार के खिलाफ माहौल न बन जाए.
अब भले ही योगी सरकार कहे कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी लेकिन सीएम योगी ये भी कह रहे हैं कि अपराधियों के एनकाउन्टर का सिलसिला नहीं थमेगा. ऐसे में सीएम योगी भी यूपी पुलिस के साथ ही खड़े नजर आ रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक यूपी में योगी राज हुए एनकाउन्टर में 40 वांटेड अपराधी मारे गए हैं. सवाल उठता है कि क्या इन मुठभेड़ों से यूपी के क्राइम में कमी आई है?
यूपी में एनकाउन्टर के अलग अलग इस्तेमाल हो रहे हैं जिस वजह से यूपी के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को अपने महकमे के लोगों को नसीहत देनी पड़ गई कि यूपी पुलिस फर्जी एनकाउन्टर से बचें. जबकि नोएडा में प्रमोशन के लिए जिम ट्रेनर को गोली मार दी जाती है.
योगी सरकार को ये सोचना होगा कि पैर में गोली मारकर अपराधियों के हाथ में तमंचे लगा कर फोटो खींचने से यूपी में क्राइम रेट में कमी नहीं आएगी बल्कि वोट बैंक पर असर जरूर पड़ सकता है. जनता ने ऐसी सरकार नहीं चुनी है जो कि पुलिस को जान से मारने तक लाइसेंस दे डाले और पुलिस का निशाना जनता ही बनने लगे.
आज जरूरत क्राइम पर कंट्रोल करने के लिए ठोस रणनीति बनाने की है. लेकिन जिस तरह से यूपी पुलिस एनकाउन्टर की पीसीआर पर सवार हो कर ‘किलिंग इस्टिंक्ट’ दिखा रही है उससे एक दिन पुलिस का भी मनोबल बहुत बुरी तरह ही आहत होगा. कानून सबके लिए बराबर है. यूपी पुलिस के कई पुराने अधिकारी भी फर्जी एनकाउन्टर की ही वजह से जेल यात्रा कर चुके हैं.
विवेक तिवारी शूटिंग केस से 18 साल पहले मेरठ में स्मिता भादुड़ी केस भी हुआ था. कार में सवार स्मिता भादुड़ी और उनके सहपाठी पर यूपी पुलिस ने एनकाउन्टर के नाम पर गोलियां बरसा दी थीं जिसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. इस मामले में पुलिस इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसवाले जेल गए थे.
यूपी पुलिस के एनकाउन्टर के इतिहास में ऐसे कई मामले हैं जो उसे कठघरे में मुजरिम की तरह खड़ा करते हैं. खाकी ये न भूले कि उस पर लगे दाग अभी तक धुले नहीं है. वैसे भी आम जनता और पुलिस के बीच विश्वास का स्तर बेहद कम ही होता है. ऐसे में पुलिस वालों की जांच पर पीड़ित पक्ष को कभी भरोसा नहीं हो पाता है जिस वजह से सीबीआई जांच की मांग की जाती है. इसलिए योगी सरकार के आदेश की आड़ में यूपी पुलिस अपने रिवॉल्वर को हवा में लहराने से पहले ये जरूर सोचे कि दागी गई गोली भविष्य में तोप का गोला बनकर न लौटे.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.