देश आज अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. स्कूल, सरकारी ऑफिस, प्राइवेट संस्थानों के साथ देश भर में लोगों ने झंडारोहण के बाद राष्ट्रगान के साथ ही जश्न-ए-आजादी मनाई. लेकिन बाराबंकी जिले में कई सरकारी स्कूल और मदरसे ऐसे मिले, जहां तिरंगा तो फहराया गया, उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया लेकिन वहां तालीम दे रहे शिक्षकों को राष्ट्रगान ही नहीं पता.
तमाम स्कूलों और मदरसों से जो तस्वीरें सामने आई हैं, वह बेहद चिंताजनक हैं. ये बता रही है कि जिले के कई मदरसों और सरकारी स्कूलों की हालत किस स्तर तक बद्तर है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब न्यूज18 की टीम के सदस्य इन मदरसों और स्कूलों पर गए तो वहां की तस्वीर हैरान करने वाली थी.
राष्ट्रगान पूछा तो उड़ गए चेहरे के रंग
कई जगह तिरंगा तो फहराया गया लेकिन शिक्षकों और मौलानाओं को स्वतंत्रता दिवस का असल मतलब ही नहीं पता. इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें राष्ट्रगान तक नहीं आता. इनमें से कई मदरसों में मौलानाओं ने राष्ट्र गीत वंदे मातरम भी गाने से इनकार कर दिया.
सबसे पहले बात जैदपुर के मदरसों की. सरकारी मदरसा जामिया अरबिया इमदाददुल की हालत ये है कि यहां तालीम देने के लिए कुल 26 मौलाना हैं. जिनकी तनख्वाह अगर जोड़ी जाए तो 14 लाख के करीब होगी. लेकिन मौलानाओं से जब हमने राष्ट्रगान गाने के लिए कहा तो उनके चेहरे के रंग उड़ गए. उनके पसीने छूट गए. वह सही राष्ट्रगान नहीं सुना पाए.
कमोबेश यही हाल मदरसा जामिया अरबिया नुरुल उलूम, मदरसा निस्वा नुरुल उलूम का भी मिला. यहां भी कहने को तमाम मौलाना तालीम देने के लिए मोटी सरकारी तनख्वाह पा रहे हैं लेकिन इनमें से कोई राष्ट्रगान नहीं गा पाया.
प्रिंसिपल हफीजुर्ररहमान भी इन्हीं में से एक थे. 10 साल से तालीम दे रहे हैं और कहते हैं कि जन गण मन कम आता है. वहीं इनसे जब हमने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् गाने के लिए कहा तो इन लोगों ने साफ इनकार कर दिया. इन्होंने कहा कि ये हम लोग नहीं गा सकते.
संस्कृत विद्यालय में भी ऐसे ही हालात
इसके बाद हम जिले के सनातन धर्म संस्कृति उत्तर माध्यमिक विद्यालय बाराबंकी पहुंचे. यहां छात्र से पूछा गया तो वह भी राष्ट्रगान पूरा नहीं सुना सका. इस संस्कृत विद्यालय में जब हमने यहां पढ़ा रही शिक्षिका अनीता तिवारी से स्वतंत्रता दिवस को लेकर आसान से सवाल पूछे तो ये अपनी बगलें झांकने लगीं. इस संस्कृत विद्यालय में भी चार शिक्षक नियुक्त हैं और इनकी भी सैलरी दो लाख के करीब है. लेकिन ये शिक्षक यहां पढ़ने वाले बच्चों के साथ सिर्फ खिलवाड़ ही नहीं कर रहे बल्कि सरकारी धन की भी बर्बादी करवा रहे हैं.
(न्यूज18 के लिए अनिरुद्ध शुक्ला की रिपोर्ट)
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