सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को मुख्य मामले के अलावा अलग से डाली गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सभी 32 हस्तक्षेप याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इनमें अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल, सुब्रमण्यम स्वामी और तीस्ता सीतलवाड़ की भी याचिकाएं थीं.
अपनी याचिका को सुनवाई में शामिल करने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी ने दलील दी कि प्रॉपर्टी राइट्स से मेरा फंडामेंटल राइट ज्यादा महत्वपूर्ण है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात नहीं सुनी.
#Ayodhya matter:The Supreme Court dismissed as many as 32 intervention applications in the case including those of Aparna Sen, Shyam Benegal, and Teesta Setalvad
— ANI (@ANI) March 14, 2018
#Ayodhya matter: Subramanian Swamy said in the Supreme Court during hearing 'my fundamental rights are higher than my property rights' pic.twitter.com/2a1BDD9nLQ
— ANI (@ANI) March 14, 2018
बुधवार को अयोध्या मामले की सुनवाई फिर शुरू की. पिछली बार 1 फरवरी को इस मामले की सुनवाई हुई थी, तब वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और गीता सहित 20 धार्मिक पुस्तकों से इस्तेमाल किए तथ्यों का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन न होने की वजह से सुनवाई टालनी पड़ी थी.
बीते महीने इस मामले में मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा था कि सुनवाई 2019 के आम चुनावों के बाद की जानी चाहिए जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया था. सुनवाई के दौरान पिटीशनर्स के वकील ने कहा था कि अयोध्या विवाद लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. जिस पर मुख्य न्याधीश ने कहा था कि ऐसी दलीलें मुझे पसंद नहीं, हम इस विवाद को सिर्फ जमीन विवाद के रूप में देखेंगे.
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