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ऑटोमेशन से इंडिया में 69% जॉब लॉस: वर्ल्ड बैंक

वर्ल्ड बैंक ने दी चेतावनी, गरीबी घटाने पर फोकस नहीं किया गया तो और बिगड़ेंगे हालात

Updated On: Nov 17, 2016 07:23 AM IST

Pratima Sharma Pratima Sharma
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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ऑटोमेशन से इंडिया में 69% जॉब लॉस: वर्ल्ड बैंक

ऑटोमेशन रोजगार की सबसे बड़ी दुश्मन है. यह कहना है वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट का. वर्ल्ड बैंक की ताजा रिसर्च के मुताबिक ऑटोमेशन से इंडिया के 69 पर्सेंट और चीन के 77 पर्सेंट रोजगार को खतरा है.

वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट जिम किम ने कहा, 'ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं. हमें यह भी सोचना होगा कि भविष्य में हमें किस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी. हम यह जानते हैं कि टेक्नोलॉजी दुनिया को बुनियादी तौर पर बदल चुकी है और आगे भी बदलाव जारी रहेगा.'

एक चर्चा में किम ने कहा, 'टेक्नोलॉजी के बगैर डिवेलपिंग देशों के लिए कृषि अर्थव्यवस्था से हल्की मैन्युफैक्चरिंग और फिर पूरी गति से औद्योगीकरण संभव नहीं हो सकता है.'

उन्होंने कहा, 'अफ्रीका के बड़े हिस्से में टेक्नोलॉजी इस बुनियादी पैटर्न को तोड़ सकता है. वर्ल्ड बैंक डेटा पर आधारित रिसर्च का अनुमान है ऑटोमेशन से 85 पर्सेंट जॉब्स को खतरा है.'

किम ने कहा, 'अगर यह सही है और इन देशों में इतनी बड़ी तादाद में रोजगार का नुकसान हो रहा है, तब यह समझना होगा कि इन देशों में इकनॉमिक ग्रोथ के क्या रास्ते होंगे. तब इन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमारे नजरिये को अपनाना होगा.'

उन्होंने कहा कि बच्चों के खतरनाक काम करने और कुपोषण जैसे मामलों में कमी आने की वजह 'वन चाइल्ड पॉलिसी' रही है.

किम ने कहा, 'वन चाइल्ड पॉलिसी इस पहल का एक हिस्सा हो सकता है. इंडिया में करीब 38.7 पर्सेंट बच्चों को रोजी-रोटी के लिए खतरनाक काम करने पड़ते हैं.

इंडिया की करीब 40 फीसदी आबादी ऐसी है, जो ग्लोबल डिजिटल इकनॉमी में मुकाबला करने में अक्षम है. जबकि चीन ने ऐसी आबादी का हिस्सा बहुत कम कर लिया है.'

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किम ने कहा कि मशीनीकरण और टेक्नोलॉजी ने पारंपरिक इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन को भंग कर दिया है. हाथों से होने वाले काम खत्म हो रहे हैं, जिसमें किसी परिवार की पीढ़ियां लगी रहती थीं.

उन्होंने कहा, 'अमेरिका भी इस ट्रेंड से बच नहीं पाया है. इसका असर दुनिया भर में हुआ है.'

किम ने कहा, 'G20 के लिए मैं जब चीन में था, दुनिया के कई नेता संरक्षणवाद के नुकसान की बात कर रहे थे. यह हर शख्स के लिए चिंता का विषय था. यह ट्रेंड ऐसे समय में आया था जब हमें टिकाऊ ग्रोथ के लिए पहले से कहीं ज्यादा इकनॉमिक इंटिग्रेशन और मजबूत पार्टनरशिप की जरूरत है.'

उन्होंने कहा, 'गरीबी घटाने और मजबूत ग्रोथ के लिए दुनियाभर के देशों के बीच खुलापन और पार्टनरशिप की सख्त जरूरत है. 1990 से ही 1 अरब से ज्यादा लोग भीषण गरीबी के दायरे से बाहर आए हैं.'

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