जोरहट शहर की सबसे पुरानी किताब दुकानों में से एक, 'किताब घर' के मालिक मोहम्मद सैकत अली का नाम भी इस राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ड्राफ्ट में नहीं हैं. हालांकि, 1951 के एनआरसी ड्राफ्ट में 67 वर्षीय सैकत का नाम शामिल था जो इस बार नदारद है. किसी जमाने में पेशेवर क्रिकेट खेलने वाले सैकत अली 60 और 70 के दशक में कई स्थानीय टीमों की ओर से खेल चुके हैं. ढाका पट्टी इलाके के रहने वाले, सैकत का दावा है कि जोरहट डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन से जुड़े रहने के दौरान उन्होंने शहर के कई पुराने क्लब की नींव रखी थी.
दिल्ली में जहां सांप्रदायकिता के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के बीच तीखी बहस जारी है. ममता बनर्जी ने इस कदम को बंगालियों का विरोध बताया है. बहरहाल, असम के ज्यादातर निवासी नागरिकता को लेकर आशान्वित हैं. जिनका नाम दूसरे एनआरसी ड्राफ्ट में छूट गया है वो इसमें अपना नाम जल्दी देखने को उत्सुक हैं. सैकत अली ने कहा, ऐसा इस वजह से हुआ हो क्योंकि मेरे जमा कराए गए दस्तावेज में शायद कुछ गड़बड़ी होगी. मेरा जन्म यहीं हुआ, मैंने यहीं के एक असमी भाषा स्कूल में पढ़ाई की. अब हम रातों-रात विदेशी कैसे हो गए.' उन्होंने यह पूछा?
उन्होंने कहा उनके पास दस्तावेज हैं जिसे वो फिर से अपने यहां के नागरिक होने के सबूत के तौर पर पेश करेंगे. उन्होंने कहा, 'हमारे पास सभी कागज हैं, इसमें अंग्रेजों के जमाने के दौरान टैक्स भरने के भी रसीद हैं. इसलिए मुझे इसे लेकर किसी तरह की चिंता नहीं है. यह समय संयम बनाए रखने और इस काम (एनआरसी ड्राफ्ट) में सहयोग देने का है, जिसके बारे में काफी लंबे समय से कहा जाता रहा है.' उन्होंने आशंका जताई कि हो सकता है कि उनके पिता के नाम को लिखने में किसी तरह की गलती हुई हो जिससे यह गलतफहमी हुई हो.
24 मार्च, 1971 से पहले असम आने वाले ही भारतीय नागरिक
बता दें कि, जो लोग 24 मार्च, 1971 से पहले असम आए हैं उन्हें असम रिकॉर्ड के मुताबिक भारतीय नागरिक माना जा रहा है. इस लेगसी डाटा दस्तावेज को अपनी नागरिकता के सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है. इंटरनेट पर यह डाटा उपलब्ध है. इसके अलावा इसकी हार्ड कॉपी भी निकाली जा सकती है. सैकत बताते हैं कि उनके पास 1966 के मतदाता पत्र सूची में उनके पिता का नाम शामिल होने के सबूत मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी जिसके पास 1951 से लेकर 25 मार्च, 1971 के दौरान का लेगसी डाटा है वो इसका उपयोग कर सकता है.
सैकत अली के 28 साल के बेटे इश्तियाक, कंप्यूटर सेंटर चलाते हैं. वो एनआरसी ड्राफ्ट में अपना नाम ढूंढने में लोगों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'सिर्फ मेरे पिता हीं नहीं बल्कि कई और लोगों के भी नाम इस लिस्ट में नहीं हैं. बिहार, पश्चिम बंगाल से आकर यहां रहने वालों को इसमें काफी परेशानी हो रही है. क्योंकि उनके ज्यादातर दस्तावेज उनके संबंधित राज्य सरकारों से पास (अप्रूव) होने के लिए लंबित हैं.'
इश्तियाक का नाम इस एनआरसी ड्राफ्ट में है.
(प्रत्यूष दीप जोरहट में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार हैं. वो 101reporters.com, के सदस्य हैं)
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