सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ बलात्कार के मामले की धीमी जांच को लेकर गुजरात सरकार को फटकार लगाई है. अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा कि इस मामले में अभी तक पीडित से पूछताछ क्यों नहीं की गई है. अदालत पहले ही आसाराम की अनेक जमानत याचिकाएं खारिज कर चुका है. और इस समय उनकी नई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
जस्टिस एन वी रमण और जस्टिस अमिताभ राय की पीठ ने सवाल किया, ‘मुकदमे की सुनवाई तेजी से करने के निर्देशों के बावजूद इसमें देरी क्यों हो रही है? अभी तक पीड़ित से पूछताछ क्यों नहीं हुई?’ इस पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुकदमे में सबूतों को दर्ज करने का काम तेजी से करने संबंधी निर्देश अप्रैल में दिए गए थे.
पीठ ने सवाल किया, ‘इस मामले में अभी तक पीड़ित का बयान क्यों नहीं दर्ज हुआ. वह इस मामले की सबसे अहम गवाह है.’ मेहता ने पीठ को बताया कि इस मामले के दो अहम गवाहों की हत्या हो चुकी है. जबकि एक लापता है और 17 अन्य कथित हमलों में घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा कि पीडित की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही अदालत द्वारा उससे पूछताछ की जाएगी.
आसाराम की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील सौरभ अजय गुप्ता ने कहा कि उन्हें अपने मुवक्किल का बचाव करना है. यह सिर्फ पीडित से पूछताछ के बाद ही होगा. इसलिए वह जमानत की अपील कर सकते हैं.
निचली अदालत में सुनवाई अब 23 सितंबर को होनी है
पीड़ित के वकील ने इस मामले की तेजी से सुनवाई कराने का अनुरोध किया. और कहा कि अदालत को उससे 23 सितंबर से पहले ही पूछताछ करने का निर्देश देना चाहिए. निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई अब 23 सितंबर को होनी है.
पीठ ने इस पर गुजरात सरकार को मुकदमे की सुनवाई की स्थिति का ब्योरा देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश् दिया. इसके बादर इसे दीवाली के बाद लिस्टेड कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल को गुजरात की निचली अदालत से कहा था कि सूरत की दो बहनों द्वारा आसाराम के खिलाफ दर्ज यौन हिंसा के मामले में अभियोजन के गवाहों के सबूत दर्ज करने का काम तेज किया जाए. कोर्ट ने निचली अदालत से कहा था कि इस मामले में पीड़िता सहित अभियोजन के शेष 46 गवाहों के बयान भई दर्ज किए जाएं.
अदालत इससे पहले राजस्थान और गुजरात में यौन हिंसा के दो अलग-अलग मामलों में आसाराम की जमानत याचिकायें खारिज कर चुका है. अदालत ने 30 जनवरी को आसाराम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आरोपी ने जमानत के लिए कोर्ट के सामने फर्जी दस्तावेज पेश किये हैं. कोर्ट ने इस मामले में ऐसे दस्तावेज तैयार करने और कथित फर्जी दस्तावेज दाखिल करने के लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया था.
आसाराम को जोधपुर में यौन हिंसा के एक मामले में 31 अगस्त, 2013 को गिरफ्तार किया गया था. तब से वह जेल में बंद है.
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