मुंबई हमले (2008) के मास्टर माइंड जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद की नजरबंदी का मजाकिया ड्रामा बिल्कुल वैसे ही खत्म हुआ है, जिसका अंदाजा था. बुधवार को पाकिस्तानी सूबे पंजाब के ज्यूडिशियल रिव्यू बोर्ड ने सरकार की लचर और जोड़-गांठकर तैयार की गई उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें सईद की नजरबंदी तीन माह के लिए बढ़ाने की बात कही गई थी.
गौरतलब है कि रिव्यू बोर्ड बीते कुछ महीनों से कहता आ रहा था कि सरकार सईद के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करे लेकिन पाकिस्तानी हुकूमत ऐसा करने में नाकाम रही जिससे जाहिर होता है कि सुनवाई में अड़ंगा लगाने की तरकीब सोची गई ताकि सईद को छुटकारा मिल जाए.
हाफिज सईद के सिर के ऊपर पाकिस्तानी फौज का हाथ है. पाकिस्तानी फौज ने अपने मुल्क की खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर उसकी नजरबंदी खत्म करने की तरकीब सोची ताकि सईद आंतक फैलाने की अपनी मनमानी कर सके. सईद छूट गया है तो इसमें कोई अचरज की बात नहीं क्योंकि पाकिस्तान मुल्क ही ऐसा है कि वहां नागरिकों की चुनी हुई सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहती है और फौज अपने मन की करते जाती है. मामला भारत से जुड़ा हो तो यह बात और भी उभरकर सामने आती है.
पहले ही था अंदेशा
सईद की नजरबंदी का खत्म होना पाकिस्तान की सरकार के पाखंड को उजागर करता है, वो बताता है कि पाकिस्तान में सारी ताकत फौज के हाथ में है और सरकार ने उसके सामने घुटने टेक रखे हैं, फौज वहां बिना किसी जवाबदेही के मनमर्जी से ताकत का डंडा फटकार रही है.
पिछले महीने जब सरकार ने सईद और जमात-उद-दावा पर लगे आतंकवाद के आरोपों को वापस ले लिया और मेन्टेनेन्स ऑफ पब्लिक आर्डर के तहत सईद को नजरबंदी में रखा तभी साफ हो गया था कि उसे छुट्टा छोड़ दिया जायेगा.
बीते जनवरी में पाकिस्तानी हुकूमत ने जमात-उद-दावा और चैरिटी के नाम पर चलाई जा रही उसकी संस्था फलाह-ए-इंसानियत फाऊंडेशन पर रोक लगाई और टेरर वॉचलिस्ट में रखा. इस वक्त जो कार्रवाई हुई उसमें हाफिज सईद को नजरबंदी में रखा गया. तब से सईद की नजरबंदी की अवधि चार दफे बढ़ाई गई है.
आतंकवादी घोषित करने के बाद भी ये हालात
सईद को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशन्स), भारत और अमेरिका ने आंतकवादी करार दे रखा है. अमेरिका ने ऐलान किया था कि जो कोई सईद को पकड़ने और उसे दोषी साबित करने में मददगार जानकारी देगा उसे 10 मिलियन डालर का इनाम दिया जाएगा जबकि चीन ने हाफिज सईद को कानून के कठघरे में खड़ा करने की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सारी कोशिशों में अडंगा लगाने की चाल चली.
सईद को जनवरी में नजरबंद किया गया और फरवरी महीने में उसने अपनी नजरबंदी को हाईकोर्ट में चुनौती दी. सईद का तर्क था कि उसे अमेरिका के दबाव में नजरबंद किया गया है और उसपर कभी किसी अपराध के आरोप नहीं लगे हैं.
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सईद के वकील ए के डोगर ने अदालत में तर्क रखा कि सईद और उसके चार साथियों को छोड़ दिया जाए क्योंकि नजरबंदी के कई महीने बाद भी उसके मुवक्किल (सईद) के खिलाफ औपचारिक रुप से कोई आरोप नहीं लगा है.
सईद को पहली दफा तीन महीने के लिए नजरबंद किया गया. उस वक्त जमात-उद-दावा पर भारत की संसद पर 2001 में हुए हमले का आरोप लगा था. सईद लश्कर-ए-तैयबा नाम के आतंकवादी संगठन का संस्थापक है. बाद में इस संगठन का नाम बदलकर जमात-उद-दावा कर दिया गया.
साल 2006 के अगस्त में सईद को नजरबंद किया गया था. उस वक्त पाकिस्तानी हुकूमत ने आरोप लगाया कि सईद की गतिविधियां बाकी मुल्कों की सरकार से रिश्ते कायम करने में बाधा बन रही हैं. लेकिन फिर दिसंबर महीने में हाफिज सईद को छुटकारा मिल गया. फिर 2008 के मुंबई हमले के बाद हाफिज सईद को नजरबंद किया गया. और तीसरी दफे सईद की नजरबंदी अमेरिका के दबाव डालने पर हुई.
सईद की योजना एक नई राजनीतिक पार्टी की अगुवाई करने की है. उसकी इस योजना से पाकिस्तानी हुकूमत किस तरह निबटती है, यह देखने वाली बात होगी. लेकिन इस बीच यह भी नजर आ रहा है कि अमेरिका ने अपनी नजरें फेर ली हैं, जबकि उसका यह तोतारटंत जारी है कि हाफिज सईद को कानून के कठघरे में खड़ा किया जाएगा और पाकिस्तान में पसर रहे आतंकवाद की कमर तोड़ दी जायेगी.
अमेरिका प्रत्यक्ष खतरा जान पड़ते हक्कानी नेटवर्क को चंगुल में लेने और उसे खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है लेकिन अमेरिकी सरकार को सईद की भी बराबर चिंता करनी होगी भले ही उसे लगता हो कि हाफिज सईद से कोई सीधा खतरा नहीं है.
जुबानी जंग से काम चला रहा अमेरिका
अमेरिका सरकार ने 2012 में हाफिज सईद को पकड़वाने के नाम पर इनाम का ऐलान किया था. तब से अबतक पांच साल बीत चुके हैं लेकिन अमेरिका ने कोई कार्रवाई नहीं की. पाकिस्तान में आतंकवादियों को ट्रेनिंग और हथियार देना बदस्तूर जारी है. इन आतंकवादियों के निशाने पर भारत होता है लेकिन जान पड़ता है कि अमेरिका आतंकवाद से लड़ाई लड़ने के मामले में सिर्फ जबानी जमा-खर्च से काम चला रहा है.
हाल में अमेरिका ने उत्तर कोरिया की हुकूमत को आतंकवाद का सरपरस्त बताया. लेकिन इस तरह की कोई बात उसने पाकिस्तान के बारे में नहीं कही. अफगानिस्तान के मामले के ऐतबार से अमेरिका पाकिस्तान पर निर्भर है.
ऐसा भी नहीं कि सिर्फ हाफिज सईद ही भारत के निशाने पर हो. भारत के निशाने पर दाऊद इब्राहिम भी है जो कराची की पॉश कॉलोनी में आराम से अड्डा जमाए हुए है. उसे पाकिस्तान फौज का संरक्षण हासिल है और पाकिस्तानी फौज उसका इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में करती है.
भारत के पास क्या है रास्ता?
एक उपाय यह है कि भारत एरियल मिशन का सहारा ले. हवाई जहाजों के सहारे पाकिस्तान में घुसे और वहां से गुपचुप दाऊद इब्राहिम या फिर हाफिज सईद जैसों को उठा लाए. फिर इनपर हिन्दुस्तान की अदालत में मुकदमा चले. लेकिन पाकिस्तान की एटमी धमकी का खतरा सामने है, सो सरकार ऐसा कदम उठाने में संकोच कर रही है.
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वैश्विक मंच पर कुछ माह पहले यह स्वीकार किया था कि सईद पाकिस्तानी हुकूमत पर एक बोझ की तरह है ऐसे लोगों से छुटकारा पाने के लिए पाकिस्तान को थोड़ा और वक्त दिया जाना चाहिए.
लेकिन फिर ख्वाजा आसिफ ने अमेरिका को अपने निशाने पर लेते हुए यह भी कहा कि कुछ साल पहले तक अमेरिकी हुकूमत ऐसे लोगों को अपना यार मानती थी. अमेरिका से पाकिस्तान लौटने के बाद फौज और हाफिज सईद के लोगों ने ख्वाजा आसिफ की बांह मरोड़ी और उन्होंने अपना राग बदल दिया.
ख्वाजा आसिफ की टिप्पणी के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में पाकिस्तान पर करारा हमला बोला. सुषमा स्वराज ने 193 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमने आईआईटी, आईआईएम, एम्स और इसरो जैसी संस्थाएं बनाईं. लेकिन पाकिस्तान ने क्या किया? इन लोगों ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिद्दीन बनाया है.'
चूंकि सईद अब छूट गया है तो वह पाकिस्तानी फौज का उधार चुकाने के लिए अपनी नफरत भरी कार्रवाईयां और ज्यादा तेज करेगा. अब वक्त आ चुका है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी पर सईद और पाकिस्तान को सजा देने की कार्रवाई करने के लिए दबाव डाले.
भारत ने हाल-फिलहाल अभियान छेड़कर बताना शुरु किया है कि पाकिस्तान अपने मकसद को हासिल करने के लिए आतंकवादियों का इस्तेमाल करता है. अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में भारत के अभियान को अभी गौर से सुना जा रहा है.
लेकिन पाकिस्तान की कलई उघारने के इस अभियान को और आगे बढ़ाने की जरुरत है, यह मिशन बिना किसी रुकावट के पूरी ताकत के साथ जारी रहना चाहिए.
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