भारतीय वायुसेना को अगले 10 साल में 200 से 250 लड़ाकू विमानों की जरूरत पड़ेगी. ये कहना है वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा का.
बुधवार को दिल्ली में अरुप राहा ने कहा कि, भारी युद्धक विमानों की कैटेगरी में भारत के पास पर्याप्त संख्या में सुखोई 30 विमान हैं. जबकि मध्यम और हल्के लड़ाकू विमानों की कैटेगरी में खाई को पाटने की जरूरत है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमान काफी नहीं हैं. राहा ने कहा, 'हम अभी भी स्क्वाड्रन में सुखोई 30 विमानों को शामिल कर रहे हैं. यह अगले 40 बरसों तक सेवा में बने रह सकते हैं. हल्का लड़ाकू विमान तेजस हल्की श्रेणी में विमानों की कमी को कुछ हद तक ही पूरा करेगा. राफेल एक बेहतरीन लड़ाकू विमान है लेकिन हम केवल 36 राफेल ही खरीद रहे हैं. मध्यम भार की श्रेणी में हमें और विमानों की जरूरत है'.
वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'कमी दूर करने के लिए देश में एक और प्रोडक्शन यूनिट की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्द फैसला होगा और रक्षा मंत्रालय के पास इसकी फाइल है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के लिए स्वीकृत स्क्वाड्रन की संख्या 42 है. उन्होंने कहा, "यह बस केवल संख्या है. वायुसेना के पास भारी, मध्यम और हल्के लड़ाकू विमानों की पूरी क्षमता होनी चाहिए'.
राहा ने आसमान में ही लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने वाले विमानों की जरूरत पर भी जोर दिया.
वायुसेना प्रमुख अरुप राहा 31 दिसंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं
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