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'आम आदमी के राहत की बात आती है तो विपक्ष बस टीवी को बाइट देना जानता है'

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके ‘असंतुष्ट सहयोगियों’ की मंशा पर सवाल उठाया है

Updated On: Oct 06, 2018 05:28 PM IST

Bhasha

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'आम आदमी के राहत की बात आती है तो विपक्ष बस टीवी को बाइट देना जानता है'

गैर-बीजेपी सरकारों वाले राज्यों की ओर से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में राहत देने से इनकार के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके ‘असंतुष्ट सहयोगियों’ की मंशा पर सवाल उठाया.

जेटली ने कहा कि जब आम आदमी को राहत देने की बात आती है तो लगता है राहुल गांधी और उनकी सहयोगी पार्टियां केवल ट्वीट करने और टेलीविजन ‘बाइट’ देने को ही प्रतिबद्ध दिखाई देते हैं.

जेटली ने फेसबुक पर ‘तेल की कीमतें और विपक्ष का पाखंड’ शीर्षक से एक लेख लिखा है. केंद्र सरकार के पेट्राल-डीजल के दाम में 2.50 रुपए प्रति लीटर कटौती को ‘खराब आर्थिक प्रबंधन' बताने वाले विपक्ष की आलोचना करते हुए जेटली ने कहा कि यह विपक्ष के पहले के रुख के उलट है.

उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो राज्यों को एक्सट्रा टैक्स रेवेन्यू मिलता होता है क्योंकि राज्यों में टैक्स मूल्यानुसार लिया जाता है. उन्होंने कहा, ‘अब ऐसी स्थिति है जहां कई गैर-बीजेपी और गैर-एनडीए शासित राज्यों ने टैक्स में कटौती कर ग्राहकों को लाभ नहीं पहुंचाया है. लोग इसका क्या निष्कर्ष निकालेंगे?’ जेटली ने सवाल उठाया, ‘क्या राहुल गांधी और उनके सहयोगी जब जनता को राहत देने की बात आती है तो केवल टीवी पर बयान देने और ट्वीट करने के लिए हैं?’

उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों की चुनौती काफी गंभीर है और विपक्ष के कुछ नेताओं के बयानों या ट्वीट्स से इसका समाधान नहीं हो सकता है.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘गैर-बीजेपी शासित राज्यों को जनता को यह साफ बताना चाहिए कि 2017 और 2018 दोनों समय में उन्होंने जनता को किसी भी तरह की राहत देने से मना कर दिया था, जबकि उनका रेवेन्यू कलेक्शन ऊंचा था. उन्हें जनता से इसे छिपाना नहीं चाहिए. वे ट्वीट करते हैं और टीवी पर बयान देते हैं लेकिन जब कदम उठाने की बारी आती है तो वह नजरें फेर लेते हैं.’

केंद्र सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ढाई रुपए लीटर कटौती की घोषणा की है. इसमें डेढ़ रुपए एक्साइज ड्यूटी में कटौती से और एक रुपए का बोझ पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों पर डाला गया.

केंद्र सरकार की घोषणा के बाद बीजेपी की सरकारों वाले गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने राज्यों में लगने वाले वैट में भी ढाई रुपए प्रति लीटर कटौती कर दी, जबकि केरल, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे विपक्षी दलों की सरकारों ने टैक्स में कटौती से इनकार कर दिया था.

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