हम में से कई लोगों को अक्सर क्लास में देरी से पहुंचने के लिए कभी न कभी सजा जरुर मिली है. लेकिन इस बार, लेट आने की सजा यूपी प्रांतीय सिविल सेवा अधिकारी को मिली. बार बार समय पर ऑफिस आने की चेतावनियों के बावजूद जब कोई बदलाव नहीं आया तो उन्हें उनके ही ऑफिस के बाहर डेढ़ घंटे तक बिठा दिया गया.
सोमवार को सुशीला अग्रवाल को उनके बॉस ने कमरे के बाहर बिठा दिया. सुशील अग्रवाल मथुरा में एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर (एएमसी) हैं, उन्हें उनके बॉस, नगर आयुक्त ने देर से आने के लिए कमरे से बाहर कर दिया.
न्यूज18 के मुताबिक नगरपालिका आयुक्त समीर वर्मा ने कहा, 'पदानुक्रम में, वह मेरे नीचे हैं और इसलिए अपने काम और कर्तव्यों के प्रति उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह मौखिक और लिखित निर्देशों की लंबे समय से अनदेखी कर रही थीं.
पीड़िता ने सजा को गलत बताया:
अपनी 'सजा' के बारे में कहते हुए एएमसी सुशीला अग्रवाल ने कहा कि 'कमिश्नर को नियमों के अनुसार काम करना चाहिए था. उन्होंने कमिश्नर की कार्रवाई को 'गैर जिम्मेदाराना' करार दिया.
हालांकि, वर्मा ने अपने इस कदम के बारे में कहा कि ये फैसला लेने के लिए वो मजबूर हो गए थे क्योंकि उन्होंने अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे. लेकिन उसके बावजूद वो काम पर देरी से आती रहीं.
पिछले साल मार्च में, तत्कालीन मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने सभी सरकारी कर्मचारियों को समय पर ऑफिस आने के लिए एक सर्कुलर जारी किया था. इसका अनुपालन करने में विफल रहने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी. अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जब से ये आदेश जारी किए गए थे, तब से इन्हें लागू किया जा रहा था और देर से कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कई कर्मचारियों के वेतन भी काटे गए थे.
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