आज यानी 7 दिसंबर को 'सशस्त्र झंडा दिवस' मनाया जा रहा है. इस दिन देश के उन जवानों सम्मान दिया जाता है जो देश के दुश्मनों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. लोग इस दिन शहीद हुए जवानों के लिए एकजुट होते हैं और उनके परिवार के कल्याण के लिए धन इकट्ठा करते हैं. दअसल सशस्त्र झंडा दिवस मनाने की शुरुआत 1949 से हुई थी. इस दिन झंडे के स्टीकर की खरीद से इकट्ठा हुए धन को शहीद जवानों के परिवारवालों के कल्याण में लागाया जाता है.
कैसे इकट्ठा होता है धन?
युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवालों की मदद करने के लिए इस दिन गहरे लाल और नीले रंग के झंडे का स्टीकर देकर पैसे इकट्ठे किए जाते हैं. यह राशि झंडा दिवस कोष में इकट्ठा की जाती है. इस कोष से युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या घायल सैनिकों के कल्याण में सहायता की जाती है. यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड की तरफ से खर्च की जाती है.
कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
23 अगस्त 1947 को केंद्रीय कैबिनेट की रक्षा समिति ने जवानों और उनके परिवार के कल्याण के लिए झंडा दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद 7 दिसंबर 1949 से झंडा दिवस मनाया जाने लगा. शुरुआत में इस दिन को झंडा दिवस के रूप में मनाया जता था लेकिन 1993 में इसे 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' का नाम दे दिया गया.
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