कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं बड़ी तेजी से बढ़ने लगती है, बिल्कुल अनियंत्रित होकर. इतनी तेजी से कि कंट्रोल करना मुश्किल होता है. इन दिनों कैंसर की तरह ही ऊटपटांग राजनीतिक बयानबाजी भी तेजी से बढ़ रही है.
छुटभैये नेता से लेकर सांसद-मंत्री तक ने सारी संवेदनहीनता ताक पर रख दी है. जो मन में आ रहा है, बोले जा रहे हैं. कोई अंगुली और हाथ तोड़ रहा है तो कोई गर्दन काटने को तैयार है. विपक्ष पर हमले तक बात रहती तो फिर भी समझा जा सकता था. स्वास्थ्य मंत्री तक सेहत की बात करते वक्त पाप और पुण्य की कुंडली निकालकर कथा बाचने लगते हैं.
असम के स्वास्थ्यमंत्री हैं हेमंत बिस्वा शर्मा. मंगलवार को नए-नए आए शिक्षकों को उनका नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. शिक्षकों को उम्मीद रही होगी कि मंत्रीजी शायद सेहत से जुड़ी कायदे की बातें कहेंगे. लेकिन भाषण देने का मौका आया तो सूबे के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा सत्यनारायण की कथा बांचने के अंदाज में पाप पुण्य का हिसाब किताब करने लगे.
Assam Health min #HimantaBiswaSarma says people suffer from life-threatening diseases such as cancer because of sins committed in past which he called "divine justice"
— Press Trust of India (@PTI_News) November 22, 2017
सेहतमंत्री की मानें तो कैंसर की बीमारी की वजह जो डॉक्टर बताते हैं वो है ही नहीं. कैंसर तो दरअसल पिछले जन्म के कर्मों का हिसाब है. पिछले जन्म के पाप इस जन्म में कैंसर और सड़क हादसों के तौर पर सामने आते हैं. हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘कुछ लोग कैंसर जैसी घातक बीमारियों से इसलिए ग्रस्त हैं क्योंकि उन्होंने अतीत में पाप किए हैं और यह ईश्वर का न्याय है.’
हेमंत बिस्वा का ये बयान बेहद गैरजिम्मेदाराना और संवेदनहीन है. ये देश के लाखों कैंसर मरीज, जो रोज जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं, उनके हौसले को तोड़ने वाला बयान है. ये ऐसे लाखों परिवारवाले जो रोज अपनी आंखों के सामने अपने किसी अजीज को कैंसर की चपेट में आकर तिल-तिल कर मरता हुआ देख रहे हैं, उन्हें दर्द के एक और समंदर में ढकेलने वाला बयान है. ये ऐसे मां-बाप जिनके नन्हें मासूम बच्चे जिंदगी के पहले दो-चार कदम पर ही कैंसर जैसी भयानक बीमारी के शिकार हो जाते हैं, उनके जख्मी सीने को छलनी कर देने वाला बयान है.
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क्या कैंसर का एक मरीज जो कुछ दिनों या कुछ महीनों का मेहमान है, जिसे अपने मां-बाप, नाते-रिश्तेदार, प्यार-मोहब्बत की इस दुनिया को कुछ दिनों में छोड़कर जाना है, वो ये सोचना शुरू कर दे कि उसके साथ ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उसने पिछले जन्म में कुछ पाप किए थे? क्या ऐसा सोचना मौत से पहले एक और मौत से गुजरना नहीं होगा?
ऐसा भी नहीं है कि कैंसर जैसी घातक बीमारी सिर्फ बड़ों में होती है. इस बीमारी की चपेट में आकर छोटे-छोटे बच्चों की जान जा रही है. सोचा जा सकता है कि उन बीमार बच्चों के मां-बाप के दिल पर क्या गुजरती होगी. क्या अब वो ये सोचने लग जाएं कि उनके बच्चों को ये बीमारी उनके पूर्व जन्म के पापों का नतीजा है. क्या ये दिल को चीर देने वाली सोच नहीं होगी. कोई भी संवेदनशील इंसान ऐसा सोच भी कैसे सकता है?
असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्वा ने कहा, 'जब हम पाप करते हैं तो भगवान हमें सजा देता है. कई बार हम देखते हैं कि युवाओं को कैंसर हो गया या कोई युवा हादसे का शिकार हो गया. अगर आप पृष्ठभूमि देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह ईश्वर का न्याय है और कुछ नहीं. हमें ईश्वर के न्याय का सामना करना होगा.’
स्वास्थ्य मंत्री के इस बेतुके बयान को अगर उनके तर्क के हिसाब से समझा जाए तो फिर कैंसर जैसी बीमारी के लिए अस्पताल ही नहीं होने चाहिए. अगर ईश्वर का न्याय समझकर ही बैठना है तो फिर इलाज की क्या जरूरत. कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के हजारों लाखों डॉक्टर और वैज्ञानिक जिस रिसर्च में लगे हैं, उसकी भी कोई जरूरत नहीं है. ऐसे सारे रिसर्च इंस्टीट्यूट पर ताला लगाकर उन्हें भगवत कथा सुनने के लिए भेज देना चाहिए. अगर विधि का विधान मानकर ही बैठना है तो फिर डॉक्टरों वैज्ञानिकों को माथा खपाने की क्या आवश्यकता?
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट जो यूएस के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज का हिस्सा है कि पिछले साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का हर नया तेरहवां कैंसर मरीज भारत से है. इसमें भी महिलाओं की संख्या ज्यादा है. भारत में हर साल 12.5 लाख कैंसर के नए मरीजों का पता चलता है. इसमें 7 लाख महिला मरीज होती हैं. कैंसर के मरीजों की संख्या में अचानक से तेजी आई है. सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्री को चाहिए कि वो इलाज के इंतजाम में जुट जाएं. जबकि वो पाप पुण्य की गठरी लेकर अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा लेना चाहते हैं.
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