सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की मौत की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से एक खंडपीठ के खुद को अलग करने के बाद बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के एक अन्य जस्टिस ने बुधवार को खुद को मामले से अलग कर लिया.
सोहराबुद्दीन कथित फर्जी मुठभेड़ मामले, जिसमें बीजेपी प्रमुख अमित शाह और कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरोपी थे, की सुनवाई कर रहे लोया की नागपुर में ‘रवि भवन’ के एक सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने के दौरान 2014 में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
कथित फर्जी मुठभेड़ के समय गुजरात के गृह मंत्री रहे शाह को बाद में मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था.
लोया की मौत के संबंध में वकील सतीश उइके द्वारा दायर याचिका 26 नवंबर को यहां जस्टिस एस बी शुक्रे और जस्टिस एस एम मोदक की पीठ के समक्ष आई लेकिन उन्होंने इस पर सुनवाई से इंकार कर दिया.
इसके बाद यह याचिका न्यायमूर्ति पी एन देशमुख और न्यायमूर्ति स्वप्ना जोशी की पीठ के समक्ष भेजी गई. बहरहाल, न्यायमूर्ति जोशी ने बुधवार को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.
उइके की याचिका में मांग की गई है कि लोया की ‘संदिग्ध’ मौत से संबंधित सभी रिकॉर्डों की रक्षा की जाए जिसमें राज्य गेस्ट हाउस के रिकॉर्ड भी शामिल हैं. वह लोया की मौत की जांच की मांग को लेकर नागपुर में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में भी जा चुके हैं.
उइके ने बताया कि बंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट के समक्ष उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन करेंगे.
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