पिछले कुछ दिनों से सेंसर बोर्ड अपने फैसलों की वजह से चर्चा में हैं. सेंसर बोर्ड या तो फिल्मों को रोक दे रहा है या फिर कई सीनों पर कैंची चला दे रहा है. इस बार सेंसर बोर्ड ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की ‘जबान’ पर कैंची चलाई है.
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कोलकाता के एक अर्थशास्त्री सुमन घोष द्वारा अमर्त्य सेन पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री ‘द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन’ में सेन द्वारा कहे गए ‘गुजरात’, ‘हिंदू भारत’, ‘गाय’ और ‘भारत का हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण’ जैसे शब्दों को बीप करने (हटाने) के लिए कहा है.
घोष ने कहा नहीं करेंगे शब्दों को बीप
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार निर्माता सुमन घोष ने सीबीएफसी के आदेश के विरोध में अपनी फिल्म का बीप के साथ प्रदर्शन करने से इनकार कर दिया है. घोष मियामी के विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं.
कोलकाता के एसप्लांदे में मंगलवार को सीबीएफसी के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. सीबीएफसी के अधिकारियों ने घोष से कहा कि अगर वो ‘गुजरात’, ‘हिंदू भारत’, ‘गाय’ और ‘भारत का हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण’ जैसे शब्दों को बीप कर दें तो उन्हें ‘यूए’ सर्टिफिकेट मिल सकता है. फिल्म में देश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर बातचीत के दौरान इन शब्दों का प्रयोग हुआ है.
घोष ने टेलीग्राफ से कहा कि सेंसर बोर्ड के रवैए से इस डॉक्यूमेंट्री की जरूरत और भी साफ हो जाती है. घोष ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना पर ऐसा प्रतिबंध हैरान कर देने वाला है. घोष ने साफ किया कि ‘हमारे समय के सर्वश्रेष्ठ चिंतकों में से एक’ के कहे शब्दों को मैं किसी भी हालात में म्यूट या बीप नहीं करूंगा.
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