बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस में एक नया मोड़ आया है. मंजू वर्मा को गिरफ्तार न किए जाने को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा को शेल्टर होम से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में गिरफ्तार नहीं किए जाने पर बिहार सरकार को आड़े हाथ लिया. शेल्टर होम रेप केस की वजह से मंजू वर्मा को इस्तीफा भी देना पड़ा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौ अक्टूबर के पटना उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी पुलिस ने मंजू वर्मा को गिरफ्तार नहीं किया है. कोर्ट को सूचित किया गया कि मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा ने उनके खिलाफ दर्ज हथियारों से संबंधित मामले में सोमवार को बेगूसराय की अदालत में सरेंडर कर दिया था.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार को उसके ढुलमुल रवैये के लिए आड़े हाथ लेने के साथ ही मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को भागलपुर जेल से पंजाब की पटियाला जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि ठाकुर को पटियाला जेल के अधीक्षक की निगरानी में रखा जाएगा.
कोर्ट ने यह आदेश 25 अक्टूबर को सीबीआई द्वारा बृजेश ठाकुर के बेहद प्रभावशाली व्यक्ति होने और भागलपुर जेल में उसके पास से मोबाइल बरामद होने जैसे तथ्यों की जानकारी दिये जाने के बाद दिया. कोर्ट ने ठाकुर को दी गई कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिये समय देने से भी इंकार कर दिया.
पीठ ने कहा, 'हम उसे बिहार से बाहर भेजे जाने तक जवाब दाखिल करने की समय देने से इंकार करते हैं.' इस बीच, याचिकाकर्ता निवेदिता झा के वकील ने कहा कि मंजू वर्मा के खिलाफ शस्त्र कानून के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. पीठ ने बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से सवाल किया कि पूर्व मंत्री को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? क्या वह कानून से ऊपर हैं? वह पूर्व मंत्री हो सकती हैं परंतु वह कानून से ऊपर नहीं हैं. उच्च न्यायालय ने नौ अक्टूबर को उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी. उन्हें अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? आप अभी तक क्या कर रहे थे? आईये इसका विवरण देखते हैं.'
कुमार ने कहा कि उन्हें मंजू वर्मा से संबंधित विवरण् प्राप्त करने का निर्देश लेने के लिये कुछ समय दिया जाए. इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं अधिवक्त अपर्णा भट ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले की सीबीआई के जांच दल के एक सदस्य को बदला गया है. पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुये जांच ब्यूरो के वकील से जानना चाहा कि जांच दल के स्वरूप को न्यायालय की अनुमति के बगैर कैसे बदला गया.
पीठ ने कहा, 'हमें इस तरह की उम्मीद थी, इसीलिए हमने 25 अक्टूबर को आदेश दिया था कि न्यायलय की अनुमति के बगैर जांच दल में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. कल तक हमें 25 अक्टूबर की स्थिति के अनुसार और आज की स्थित के अनुसार जांच दल के उन सदस्यों के नाम चाहिए. पीठ इस मामले में गुरूवार को आगे सुनवाई करेगा.
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों से कथित रूप से बलात्कार और उनके यौन शोषण की घटनायें सामने आने पर बृजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इस मामले की गंभीरता को देखते हुये बाद में इसकी जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी गयी थी. जांच ब्यूरो ने अब तक 17 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.
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