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विकास रथ यात्रा: नेता जी सब ‘ठीक-ठाक’ नहीं है

उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा ने साबित कर दिया है कि आपसी मतभेद को छिपाना आसान नहीं है

Updated On: Nov 21, 2016 02:34 PM IST

Pratima Sharma Pratima Sharma
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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विकास रथ यात्रा: नेता जी सब ‘ठीक-ठाक’ नहीं है

किसी ने ठीक ही कहा है कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते.

इसी तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि आपसी मतभेद को भी छिपाना आसान नहीं है.

समाजवादी पार्टी की आपसी कलह और आने वाले चुनाव के लिहाज से अखिलेश यादव की इस विकास यात्रा को बेहद अहम माना जा रहा है.

पिछले कुछ दिनों में परिवार की कलह सबके सामने उजागर हो गई है. लेकिन इस यात्रा में शिवपाल चाचा और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी पहुंचे.

रैली में सब कुछ सामान्य दिखाने की नेता जी कोशिश रंग लाई थी.

लेकिन शिवपाल और अखिलेश यादव के समर्थन ने यह साफ करने में जरा भी देर नहीं की कि सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है.

रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाने के कुछ ही देर बाद दोनों पक्षों के कैडर आपस में भिड़ गए. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने विरोधी पार्टियों के सामने शक्ति प्रदर्शन करने के लिए खूब लाव-लश्कर के साथ विकास रथ यात्रा शुरू की थी.

लेकिन शिवपाल और अखिलेश के कैडर ने मंच तक पहुंचने की होड़ में आपस में शक्ति प्रदर्शन करने से भी गुरेज नहीं किया.

मंच पर एक साथ अखिलेश, शिवपाल और मुलायम सिंह यादव को देखना एक सपने जैसा था. लेकिन गुरुवार सुबह ऐसा हकीकत में हुआ.

पहली नजर में यह नजारा हैरान करने वाला था. क्योंकि विकास रथ यात्रा की तैयारियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि अखिलेश अकेले ही सफर पर निकले हैं.

वैसे भी सीएम साहब का मानना है कि उत्तर प्रदेश में विकास उन्होंने किया है तो रथ यात्रा का श्रेय भी उन्हें ही मिलना चाहिए. पूरा लखनऊ विकास रथ यात्रा के लिए पोस्टरों से अटा पड़ा था, लेकिन पोस्टर में सिर्फ अखिलेश यादव ही नजर आ रहे थे.

समाजवादी पार्टी युवाओं की पार्टी बन रही है और सीएम साहब ने भी अपने भाषण में युवा जोश की ही बात की है.

अच्छे चाचा की तरह शिवपाल न सिर्फ रैली में पहुंचे बल्कि अखिलेश को रथ यात्रा की शुभकामनाएं भी दीं. शिवपाल ने यह शुभकामना दिल से दी या नहीं इसका तो पता नहीं, लेकिन अखिलेश के मन में क्या है यह बात किसी से छिपी नहीं है.

उन्होंने मंच पर अपने प्रदेश अध्यक्ष का जिक्र किया लेकिन पहली पंक्ति में बैठे शिवपाल चाचा का नाम तक नहीं लिय़ा. फिर भी नेता जी का मानना है कि सबकुछ ठीक ठाक है.

'सब ठीक-ठाक है' का भुलावा नेता जी खुद को दे रहे हैं या जनता को इसका पता तो अगले साल चुनाव के बाद ही चल पाएगा.

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