कैमरों की चकाचौंध के बीच दिन में लाइव एनकाउंटर को अंजाम देने वाली अलीगढ़ पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है. अलीगढ़ की सतर्क पुलिस ने एक डबल मर्डर हत्याकांड के दो खुलासे किए हैं. पहले खुलासे में तीन युवकों को 25 दिन पहले जेल भेज दिया है तो दूसरा खुलासा करते हुए पांच लोगों को जेल भेजा है और एनकाउंटर में मारे गए दो युवकों को भी उस हत्याकांड का आरोपी बनाया है.
घटनाक्रम कुछ इस तरह है कि 12-13 अगस्त की रात अलीगढ़ के पाली थाना क्षेत्र में एक साधु और किसान की हत्या हुई थी. एक साधु हमले में घायल हो गया था. 10-12 दिन बाद पुलिस ने इस मामले में तीन स्थानीय युवकों तुलसी, विजय और बबलू को हत्या का आरोपी बताकर जेल भेज दिया. मीडिया के सामने एनकाउंटर करने वाली पुलिस ने बिना किसी शोर शराबे और प्रेस कांफ्रेंस किए युवकों को जेल भेज दिया.
इस मामले की आवाज अतरौली, अलीगढ़ निवासी महिला विजय किरन ने उठाई. किरन का आरोप है कि पुलिस ने आरोपी युवकों की एक विडियो दिखाते हुए हमे ये कहकर शांत कर दिया कि युवकों ने खुद अपना जुर्म कबूल कर लिया है.
पुलिस ने दी आवाज नहीं उठाने की धमकी
जिस लकड़ी के डंडे से हत्या की गई उसे भी बरामद कर लिया गया है. किरन का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें भी धमकी दी की अगर ज्यादा आवाज उठाई तो उन्हें भी इस मामले में जेल भेज दिया जाएगा. इस धमकी की आडियो होने का दावा भी किरन ने किया है.
तीनों युवकों को जेल गए 25 दिन से ज्यादा हो गए. इतने दिन बीत जाने के बाद अलीगढ़ पुलिस एक बार फिर एक नई रोचक कहानी सामने लेकर आती है. 18 सितम्बर को अलीगढ़ पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया. कुछ सामान भी बरामद होना बताया.
मीडिया के सामने खुलासा करते हुए पुलिस ने बताया कि इन पांचों का हाथ 12-13 अगस्त की रात अलीगढ़ के पाली थाना क्षेत्र में एक साधु और किसान की हुई हत्या में रहा है. पांचों लोगों को पुलिस जेल भेज देती है. इसी हत्या में तीन अन्य लोग मुस्तकीम, नौशाद और अफसर को पुलिस फरार बताती है.
20 सितम्बर की सुबह हुए पुलिस एनकाउंटर में नौशाद और मुस्तकीम मारे जाते हैं. इसके बाद पुलिस 25 दिन पहले जेल भेज गए युवकों को बेकसूर बताते हुए उनके परिजनों से वादा करती है कि तीनों युवक जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे.
सवाल जो एक घटना के दो खुलासे पर उठ रहे हैं-
-13 अगस्त को साधु और किसान की हत्या पर एसएसपी, अलीगढ़ ने कहा था कि ये ज़मीन और लूट के लिए की गई हत्या मालूम होती है.
-18 अगस्त को एसएसपी कहते हैं कि ये हत्या एटा में हुए एक मर्डर केस के गवाहों को फंसाने के लिए की गई थी.
-एटा वाली बात को साबित करने के लिए एसएसपी बताते हैं कि घटनास्थल से गवाहों के नाम की पर्ची मिली थी. जो उन्हें फंसाने के लिए छोड़ी गई थी.
-लेकिन 13 अगस्त को एसएसपी ने ऐसी किसी भी पर्ची के मिलने का कोई जिक्र नहीं किया था.
-22 अगस्त को पुलिस को कैसे पता चला कि हत्या तुलसी, बबलू और विजय ने की है.
- साधु-किसान की हत्या करने वाला डंडा पुलिस ने कहां से बरामद किया.
- एनकाउंटर में मारे गए नौशाद-मुस्तकीम हत्यारोपी हैं इसका पुलिस को क्या सबूत मिला है.
इस बारे में पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम को सुनने के बाद ऐसा लगता है कि ये सब पुलिस का पहले से तय कार्यक्रम था. पुलिस जवाब दे कि किस आधार पर उसरे 302 के जुर्म में तीन युवकों को जेल भेजा. और इस मामले की जांच सीबीसीआईडी से होनी चाहिए.
इस पूरे मामले में जब एडीजी आगरा जोन, डीआईजी अलीगढ़, एसएसपी अलीगढ़ से बात करने की कोशिश की गई तो एडीजी मामले को टालते रहे. डीआईजी ने अलीगढ़ एनकाउंटर का नाम सुनते ही बात करने से इंकार कर दिया. वहीं एसएसपी अलीगढ़ ने फोन नहीं उठाया और मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया.
वहीं अलीगढ पुलिस एनकाउंटर पर और एफआईआर में गड़बड़ी के सवाल पर डीआईजी लॉ एंड आर्डर प्रवीण कुमार का कहना है ̔एनकाउंटर के मामले में पूरे प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय पीयूसीएल गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है. इस एनकाउंटर में भी विवेचना और मजेस्ट्रीयल जांच सब नियम के मुताबिक हो रहा है.̓
(न्यूज 18 के लिए नासिर हुसैन की रिपोर्ट)
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