अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी (एईएस) के प्लॉट पर पिछले एक दशक से अहमदाबाद में दशहरा मेला का आयोजन होता आ रहा था. लेकिन इस साल एईएस द्वारा शहर में आयोजित समारोह के स्टॉलों में मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी गई. जिसके बाद से शहर में पिछले सात दशक से समारोह का आयोजन कराने वाली बंगाल सांस्कृतिक संघ (बीसीए) के सामने अगले साल दुर्गा पूजा का आयोजन कराने के लिए स्थान पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं.
मांसाहारी भोजन की बिक्री पर 'आखिरी मिनट में प्रतिबंध' लगाने के कारण, बीसीए अब अगले साल आयोजन के लिए नया स्थान तलाश करेगी. बीसीए के ट्रस्टी ने कहा कि पूजा के कुछ दिन पहले ही उन्हें एईएस के गवर्निंग बॉडी द्वारा बताया गया कि वो नहीं चाहते कि उनके ग्राउंड पर मांसाहारी भोजन परोसा जाए.
बीसीए के सेकरेट्री कनक दास अधिकारी ने कहा कि 'इस नए निर्देश के बाद समिति अगले साल पूजा का आयोजन करने के लिए नई जगह तलाश करेगी. हालांकि वो स्थान शहर से दूर नहीं होगा क्योंकि फिर भक्तों को पंडाल दर्शन के लिए आने में परेशानी होगी.'
बीसीए सबसे पुराना और सबसे बड़ा संघ:
पूरे अहमदाबाद में विभिन्न बंगाली संघों द्वारा एक दर्जन से अधिक पूजा पांडलों में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है. लेकिन शहर में लगभग 3.5 लाख बंगाली आबादी का प्रतिनिधित्व करते हुए, बीसीए सबसे पुराना और सबसे बड़ा संघ है. बीसीए के वकील और आजीवन सदस्य कृष्णेंद्र घोश ने कहा, 'धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक मुद्दे में बदल दिया गया है. आप किसी विशेष समुदाय के खानपान की आदतों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं.'
बीसीए ने कहा कि मांसाहारी भोजन पर 'प्रतिबंध' लगाने ने पंडालों में आने वाले भक्तों की संख्या में तो कोई कमी नहीं आई. हालांकि, फूड स्टालों की कमाई पर जरुर असर पड़ा.
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