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आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद अब छत्तीसगढ़ ने CBI की एंट्री पर लगी दी बैन

बीते गुरुवार को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है जिसमें प्रदेश में सीबीआई छापेमारी और जांच के लिए दी जाने वाली सामान्य रजामंदी को वापस ले लिया गया है

Updated On: Jan 11, 2019 09:53 AM IST

FP Staff

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आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद अब छत्तीसगढ़ ने CBI की एंट्री पर लगी दी बैन

छत्तीसगढ़ में शानदार जीत दर्ज करने के बाद बनी कांग्रेस सरकार ने अब प्रदेश में सीबीआई की एंट्री पर बैन लगाने का फैसला कर लिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में सीबीआई छापेमारी या जांच करने की इजाजत को वापस ले लिया है. बीते गुरुवार को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है जिसमें प्रदेश में सीबीआई छापेमारी और जांच के लिए दी जाने वाली सामान्य रजामंदी को वापस ले लिया गया है. बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वर्ष 2001 में यह रजामंदी दी गई थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने अब इसे वापस ले लिया है.

आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने यह फैसला उस दिन उठाया है जब मोदी सरकार की अगुवाई वाले पैनल ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया. उन्हें उनके पद से हटाकर अग्निशमन सेवा, नागरिक रक्षा और होमगार्ड्स का महानिदेशक नियुक्त किया गया है. केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच रिपोर्ट में वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था. केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को पलटते हुए उन्हें सीबीआई के डायरेक्टर पद पर फिर से बहाल कर दिया था.

आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने सीबीआई की एंट्री को बैन कर दिया था

बता दें कि इससे पहले आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने अपने अपने राज्य में सीबीआई की एंट्री को बैन कर दिया था और प्रदेश में सीबीआई की छापेमारी और जांच के लिए रजामंदी को वापस ले लिया था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदेश में किसी भी नए मामले को सीबीआई जांच के लिए दर्ज नहीं किया जाए. वहीं प्रदेश सरकार के इस फैसले पर दिल्ली के कार्मिक मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पहले से चल रही सीबीआई जांच के मामलों पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

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