दिल्ली मेट्रो फेज 4 को लेकर दिल्ली सरकार ने दो नई शर्तें जोड़ दी हैं. केजरीवाल सरकार की शर्तों की वजह से पहले से ही काफी देरी देख चुका यह प्रॉजेक्ट अब और देर हो सकता है. ऑपरेशनल घाटे की शेयरिंग और बाहरी कर्जों की देनदारी से जुड़ी 2 नई शर्तें दिल्ली सरकार ने जोड़ी हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार नई शर्तें पहले से बनी सहमति से ठीक उलट हैं क्योंकि दिल्ली सरकार अब ऑपरेशनल घाटे को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार बराबर-बराबर वहन करें इसकी मांग कर रही है. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने एक शर्त और जोड़ी है कि अगर डीएमआरसी कर्जों को चुकाने में नाकाम रहती है तो उसकी देनदारी का जिम्मा केजरीवाल सरकार पर नहीं होगा.
जब केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से पूछा गया कि दिल्ली कैबिनेट द्वारा जब प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है तो केंद्र से मंजूरी मिलने में इसे कितना वक्त लगेगा? इस पर पुरी ने जवाब दिया कि केजरीवाल सरकार की तरफ से प्रस्ताव मंत्रालय को मिल चुका है. अभी उसका अध्ययन किया जा रहा है. फेज-4 का काम शुरू होने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है.
पुरी ने इसके बारे में और कोई ब्योरा देने से मना कर दिया है. लेकिन सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने मेट्रो के विस्तार में अपना हिस्सा चुकाने के लिए सहमत दे दी है. लेकिन इसके साथ उन्होंने नई शर्तें भी जोड़ दी हैं जिस पर सहमति बनना करीब-करीब नामुमकिन है. दिल्ली सरकार ने साफ कहा है कि किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई वह नहीं करेगी और यह पूरी तरह केंद्र की जिम्मेदारी है.
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