उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ में एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आने के बाद 5000 आबादी वाले प्रेमगंज गांव के लोगों में डर का माहौल है. बांगरमऊ तहसील से अबतक करीब 38 लोग एचआईवी संक्रमित पाए जा चुके हैं.
यहां के निवासी दीप चांद (बदला हुआ नाम) अब पछता रहे हैं और कह रहे हैं कि काश मैं डॉक्टर के पास नहीं गया होता. दीप चांद पास के ही अनाज मंडी में पल्लेदार का काम करते थे. बाद में वो इस काम को कर पाने में असमर्थ होने लगे. शरीर में दर्द की शिकायत के बाद वो झोला छाप डॉक्टर राजेंद्र यादव के पास इलाज के लिए. इस पूरे मामले में राजेंद्र यादव ही आरोपी है. जिसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
पिछले महीने प्रेमगंज में वो एचआईवी टेस्ट कराने गए थे. पत्नी और बेटे के साथ कैंप गए दीप चांद का टेस्ट पॉजिटिव आया. इसके बाद अब उन्हें रोज इलाज के लिए कानपुर जाना पड़ता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, एचआईवी पॉजिटिव का मामला सामने आने के बाद उन्होंने अपनी बेटियों का जांच नहीं करवाया. उन्हें डर है कि क्या पता ये भी संक्रमित हो.
इलाके में कई परिवार में एक-दो लोगों को छोड़ कर सभी संक्रमित पाए गए हैं. इस घटना से डॉक्टर और कर्मचारी भा हैरान हैं. जांच में पता चला है कि झोला छाप डॉक्टर एक ही सिंरिंज से कई लोगों को इंजेक्शन देता था. उसने पूछताछ में इस बात को स्वीकार भी किया है.
इस झोला छाप डॉक्टर की फीस सिर्फ दस रुपए थी और दवाइयां भी कम कीमत पर देता था इसीलिए इसके पास मरीजों की भीड़ जुटती थी. स्थानीय लोगों ने बताया कि डॉक्टर इंजेक्शन देने के बाद इस्तेमाल की गई सिरिंज को हैंडपंप के पानी से साफ कर के दोबारा उसी से इजेंक्शन देता था.
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