दिवाली पर पटाखे फूटना आम बात है. हालांकि प्रदूषण से भरी हुई दिल्ली में इस साल दिवाली पर करीब 50 लाख किलोग्राम के पटाखे जलाए गए है. अर्बन इमिशन्स के एक शोध समूह की ओर से दावा किया गया है कि इससे PM 2.5 के 1,50,000 किलोग्राम का उत्सर्जन हुआ है.
इस साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट के जरिए पटोखों को फोड़ने की समयसीमा निर्धारित कर दी गई थी. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की खराब हालात के कारण कोर्ट ने पटाखे फोड़ने की समय सीमा तय कर शाम 8 बजे से 10 बजे तक की थी. लेकिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को ताक पर रखते हुए जमकर पटाखे फोड़े. अधिकारियों ने भी माना कि पिछले साल की तरह इस साल भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है. वहीं दिल्ली में प्रदूषण सुरक्षित स्थित से 66 गुणा ज्यादा बढ़ गया है. इसके साथ ही पूरी दिल्ली में प्रदूषित हवा फैली हुई है.
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक दिल्ली की हवा गुणवत्ता का इंडेक्स 574 था. वहीं 8 नवंबर की रात 2 बजे हालात काफी बिगड़ गए. वहीं स्मोक लेयर बनी और तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा. सफर ने कहा कि दिल्ली की हवा बिगाड़ने में पटाखों के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जलाई जा रही पराली भी जिम्मेदार है. पराली जलाने के कारण भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमिटी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ. दिल्ली पुलिस के अलावा उत्तर प्रदेश या हरियाणा के सुरक्षा बल भी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं.
(साभार: न्यूज 18 के लिए अनिरुद्ध घोषाल की रिपोर्ट)
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