इराक के मोसुल में बंधक बनाए गए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि हो गई है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में इस बात की जानकारी दी.
39 Indians who were kidnapped in Iraq have died: EAM Sushma Swaraj in #RajyaSabha pic.twitter.com/3aHNt79g4o
— ANI (@ANI) March 20, 2018
सुषमा स्वराज ने बताया कि आईएस ने भारतीयों की हत्या की है. हरजीत मस्सी की कहानी सच्ची नहीं थी. तीन साल बाद इन भारतीयों की मौत की पुष्टि हुई है.
Yesterday we got information that DNA samples of 38 people have matched and DNA of the 39th person has matched 70 per cent: EAM Sushma Swaraj in #RajyaSabha on 39 Indians kidnapped in Iraq's Mosul pic.twitter.com/almEfDANlz
— ANI (@ANI) March 20, 2018
सुषमा स्वराज ने देश के उच्च सदन को बताया कि सभी 39 भारतीयों के शव को पहाड़ के खोद कर निकाला गया. 39 में से 38 शवों के डीएनए सैंपल मैच हो गए है.
सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को इस बात की जानकारी मिली. शवों को बगदाद भेजा गया था. डीएनए सैंपल मैच कराने के लिए परिजनों के डीएनए भेजे गए थे. इस मामले में चार राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल थे.
General VK Singh will go to Iraq to bring back mortal remains of Indians killed in Iraq. The plane carrying mortal remains will first go to Amritsar, then to Patna and then to Kolkata: EAM on 39 Indians who were kidnapped in Mosul pic.twitter.com/A0p6UaUMtp
— ANI (@ANI) March 20, 2018
सुषमा स्वराज ने कहा कि मारे गए भारतीयों के शव को देश वापस लाने के विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह इराक जाएंगे. जिस विमान से शव आएगा वह सबसे पहले अमृतसर, फिर पटना और आखिर में कोलकाता जाएगा.
आईएस की गिरफ्त के बच कर आए हरजीत ने क्या किया था दावा
आईएस की जाल से बचकर भारत लौटे हरजीत मस्सी ने दावा किया था कि 39 भारतीय नागरिकों को आईएस ने मार डाला है. हालांकि मस्सी के इस दावे को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खारिज कर दिया था.
मस्सी ने बताया था कि वह जून 2013 में इराक गया था. वहां उसे 20 बांग्लादेशी नागरिक भी मिले थे. मस्सी ने बताया कि हम जहां काम करते थे वहां 11 जून 2014 को आईएस आतंकियों ने धावा बोल कर सभी का अपहरण कर लिया और कहा कि कुछ दिन बाद उन्हें वापस भेज दिया जाएगा. मस्सी के मुताबित, सभी को गाड़ियों में बंद कर एक पहाड़ी क्षेत्र ले जाया गया जहां भारतीय और बांग्लादेशियों के अलग कर दिया गया.
मस्सी के मुताबिक, इसके 4-5 दिन बाद ही भारतीयों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया गया. मस्सी ने कहा कि मेरे भी पैर में गोली लगी थी लेकिन मैं बच गया. मस्सी वहां से अपनी जान बचा कर भारतीय कांउसलेट पहुंचा. कुछ दिन बाद उसे भारत भेज दिया गया.
मस्सी जब नवंबर 2014 में दिल्ली पहुंचा तो भारतीय एंबेसी ने उसकी जान को खतरा बताकर अपनी हिरासत में रख लिया. वहां भी हरजीत मस्सी ने दावा किया था कि सभी भारतीयों को मार दिया गया है और आतंकवादियों ने किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को नहीं मारा है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मस्सी के दावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अगर इस पर यकीन कर लिया गया तो इराक में भारतीयों की तलाश बंद हो जाएगी.
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Mar 20, 2018
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के दुनेटा गांव के रहने वाले संदीप कुमार आईएसआईएस के शिकार होने वाले राज्य के दूसरे शख्स हैं. संदीप की बहन जीवन ज्योति ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहती हैं, मेरा भाई 14 सितंबर 2013 को इराक गया था. संदीप चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर का था. संदीप से बड़ी दो बहन हैं और मैं सबसे छोटी बहन हूं. हम तीनों बहनों की शादी हो चुकी है. संदीप का जन्म 2 फरवरी 1976 का हुआ था.
हम तीन बहनों में वह एकलौता भाई था. संदीप की शादी हो चुकी है और उसके दो बच्चे हैं. बेटी 10 साल की है और बेटा 6 साल का है. मां और पिताजी काफी बुढ़े हो चुके हैं. संदीप ही परिवार का एकलौता कमाने वाला शख्स था.
अंतिम बार हमलोगों की संदीप से 15 जून 2014 को बातचीत हुई थी. संदीप ने घर में सभी लोगों से बारी-बारी से बात किया था. हमारी अंतिम बार जो बात हुई थी उसमें संदीप ने कहा था कि कंपनी वाले हम लोगों को जाने के लिए बोल रहे हैं. कंपनी के अंदर हमलोग रह रहे हैं और हमारा रासन का सामान अब खत्म हो रहा है. कंपनी वाले धीरे-धीरे से भाग रहे हैं. हम कुछ लोग ही बचे हैं. बाहर लड़ाई हो रही है.
संदीप ने फिर दूसरे दिन फोन किया और कहा था कि हमलोगों को चार नकाबपोश वाले गाड़ी में ले जा रहे हैं. वे लोग हमसे कह रहे हैं कि आप लोगों को अब घर पहुंचा दिया जाएगा. फिर उसी दिन रात को संदीप का एक और फोन आय़ा था, जिसमें संदीप ने कहा कि हमें एक जगह ले कर आए हैं. खाना-पीना दे रहे हैं. उसके बाद से आजतक बात नहीं हुई. इस बीच हमलोगों ने उससे बात करने की काफी प्रयास किया. जिस समय वह इराक गया था उसका बेटा पैदा ही हुआ था. बच्चे के पैदा होने के कुछ दिन बाद ही इराक चला गया.
सुषमा स्वराज के आरोपों पर पलटवार करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर कोई राजनीति कर रहा है तो वह सुषमा जी हैं और यह बहुत ही दुखद है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि उन्होंने संसद और मारे गए लोगों के रिश्तेदारों को गुमराह किया.
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस 39 भारतीयों की इराक में मौत पर शोक जताती है. मोदी सरकार ने इस मामले पर संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी, जब पूरी दुनिया कह रही थी कि वे मारे जा चुके हैं, तब भारत सरकार देश और उनके परिवारवालों को यह भरोसा दे रही थी कि वे जिंदा हैं.
यहां देखिए सुषमा स्वराज का पूरा प्रेस कॉन्फ्रेंस
मारे गए 39 लोगों में से पंजाब के रूप लाल की पत्नी कमलजीत कौर ने कहा कि वे इराक 7 साल पहले गए थे. हमने 2015 में आखिरी बार बात की थी. उन्होंने (सरकार ने) 2-3 महीने पहले डीएनए सैंपल लिया था. मुझे पता नहीं अब मैं क्या कहूं
मारे गए 39 भारतीयों में से एक मनजिंदर सिंह की बहन गुरपींदर कौर ने कहा कि हम सरकार से डीएनए की रिपोर्ट मांगेंगे. इस पर राजनीति हो रही है. हम 4 साल से इधर से उधर भाग-दौड़ कर रहे हैं और अब हमें टीवी के जरिए ये पता चलता है कि हमने किसी अपने को खो दिया.
निशान सिंह
उत्तरी इराक में मोसुल की गलियां लगातार हो रहे बम धमाकों, गोलीबारी और अनजाने लोगों की लाशों से अटी पड़ी थीं. इसके बावजूद 32 साल के निशान सिंह की कंपनी ने उन्हें देश नहीं लौटने दिया. उन्हें वहीं रुककर काम करने के लिए मजबूर किया. निशान सिंह पंजाब के संगोआना गांव के रहने वाले थे.
निशान सिंह के छोटे भाई सरवन सिह ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘मेरे बड़े भाई मोसुल से फोन करते थे. हमने उनसे वापस लौटने के लिए कहा लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी और 7 महीने काम करने का दबाव बना रही है. लिहाजा उनके लिए देश लौटना मुमकिन नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘2014 से हमारी कोई बात नहीं हो पाई और हम उनके वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं, जो अब कभी मुमिकन नहीं है. इतने साल तक इंतजार के बाद आज हमें पता चला है कि उनकी मौत हो चुकी है.’ सरवन सिंह 30 साल के हैं.
इराक में क्या करते थे निशान
निशान सिंह क्रेन ऑपरेटर थे और 2011 से ही दुबई में काम कर रहे थे. 2013 में उनकी कंपनी ने उनके सामने दो विकल्प रखा. पहला वह भारत लौट जाएं क्योंकि दुबई में अब कोई काम नहीं बचा है. दूसरा ये कि वो इराक चले जाए.
इराक की बद्तर हालत की वजह से निशान इराक जाने से हिचक रहे थे लेकिन मोटी सैलरी की वजह से वह मोसुल चले गए. निशान सिंह सिर्फ एकाबर 20,000 रुपए अपने मां-बाप को भेज पाए थे. उसके बाद उन्हें कोई सैलरी नहीं मिली. निशान सिंह की सैलरी 40,000 रुपए तय हुई थी. निशान सिंह का परिवार कई बार दिल्ली आया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिले. लेकिन उन्हें हर बार सिर्फ आश्वासन मिला.
अपने आंसुओं को रोकने में नाकाम सरवन ने कहा, ‘मेरे भाई ने कहा था कि उनकी कंपनी ने कभी उतनी सैलरी नहीं दी, जितना वादा किया था. उन्हें जो कुछ भी मिलता था खाने पर खर्च हो जाता था. वह मोसुल में बड़ी बुरी हालत में रहते थे. एक आदमी जिसे पंजाब में कोई रोजगार नहीं मिला. उसे काम की तलाश में दुबई और मिडिल ईस्ट जाना पड़ा, जहां से वह कभी नहीं लौट पाया.’
निशान के चचेरे भाई चरणजीत सिंह ने कहा, ‘हमने सषमा स्वराज से मुलाकात की और अपने भाई और दूसरे भारतीयों की सुरक्षित वापसी की बात कही. निशान की नई-नई शादी हुई थी. लेकिन उनकी पत्नी इंतजार नहीं कर पाई और पिछले साल अलग हो गई. उसने दूसरी शादी कर ली है.’ निशान सिंह के घर में उनके बूढ़े मां-बाप, सरवन सिंह, उनकी पत्नी और बेटा है.
मुआवजे के सवाल पर सुषमा ने कहा कि अभी इस पर कुछ भी कहना ठीक नहीं. हमें संबंधित राज्य सरकारों से भी बात करनी है, सबसे पहले हमें शवों को सौंपना है.
सुषमा ने कहा कि यह बिल्कुल बेबुनियाद बात है कि हरजीत मसीह को प्रताड़ित किया गया, उसे प्रोटेक्टिव हिरासत में लिया गया था. संसद में पहले भी मैं इस बारे में बता चुकी हूं.
इन्हें कब मारा गया यह हमें मालूम नहीं, शायद 6 महीने पहले या दो साल पहले, बॉडी की तलाश मोसुल को आईएसआईएस से मुक्त करवाने के बाद ही शुरू हुई.
सुषमा ने कहा कि हरजीत मसीह एक व्यक्ति है, वह यह दावा कर सकता है कि सभी 39 लोग मारे गए लेकिन हम सरकार हैं, हम इसे इतनी आसानी से नहीं कह सकते थे. इस तरह के मामलों में हमें जिम्मेदारी से पेश आना होगा.
विदेश मंत्री ने कहा कि मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि मैंने उन्हें उस दिन मृत घोषित किया जिस दिन मुझे इस बारे में ठोस सबूत मिला, मैंने अपने किए हुए वादे को निभाया. मैं जब मृतकों के अवशेषों को उनके रिश्तेदारों को सौंप दूंगी और जब सही उनका अंतिम संस्कार हो जाएगा तभी इस केस को बंद करूंगी.
सुषमा ने कहा कि मारे गए लोगों में 27 लोग पंजाब से, 6 बिहार से, 4 बंगाल से और 2 पश्चिम बंगाल से थे. एक ही पहचान होनी अभी बाकी है.
सुषमा स्वराज ने कहा कि हम पहले से ही यह कहते आ रहे हैं कि हमारे पास उनके जिंदा रहने या हत्या होने संबंधी कोई सबूत नहीं थे. 2014 से 2017 तक यही स्थिति थी. हमने किसी को अंधेरे में नहीं रखा और न किसी से कुछ छिपाया है. हम किसी को झूठी उम्मीद नहीं देना चाहते थे.
इराक के मोसुल में मारे गए सुरजीत मैनका का 7 साल का बेटा उनकी तस्वीर के साथ
सुषमा ने कहा कि 38 पीड़ितों के डीएनए का मिलान हो गया है सिर्फ एक की प्रक्रिया जारी है.
सुरजीत मैनका के 7 साल के बेटे उनकी तस्वीर लिए खड़ा है. सुरजीत भी उन 39 लोगों में शामिल हैं जिनकी इराक में आईसआईएस ने हत्या कर दी है. वह पेशे से बढ़ई थे. वह पंजाब में जालंधर के छुहारावाली गांव में रहते थे. सुरजीत के साले मनजीत सिंह ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि एजेंट ने उनसे इराक जाने के लिए 2.5 लाख रुपए लिए थे. मनजीत ने कहा, ‘2013 में जब वह इराक गए तब वहां शांति थी. पहले 9 महीने अच्छे बीते. सबकुछ ठीकठाक था.’ सुरजीत सिंह की पत्नी और मनजीत सिंह जून 2014 से कई बार विदेश मंत्रालय की बैठक में शामिल होते रहे हैं. जून 2014 में ही आखिरी बार सुरजीत सिंह से फोन पर बात हुई थी. उन्हें उम्मीद थी कि सुषमा स्वराज अपना वादा पूरा करेंगी लेकिन उनके साथ धोखा हुआ है.
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम किसी को किसी और की बॉडी सिर्फ दावे के आधार पर सौंप देते तो यह गलत होता, सिर्फ फाइल बंद करने के लिए हम ऐसा नहीं कर सकते थे.
सुषमा ने कहा कि पीड़ितों के कुछ रिश्तेदार मुझसे सवाल कर रहे हैं कि हमें संसद से पहले मौत के बारे में क्यों नहीं बताया गया. यह संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है कि मुझे सबसे पहले संसद को इस बारे में बताना था, यह मेरी ड्यूटी थी.
सुषमा स्वराज ने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से संबंधित देशों के विदेश मंत्रियों से बात की, मैं उनसे मिली और उनसे पूछा कि अगर इस बारे में कोई सबूत हो तो हमें उपलब्ध करवाएं. 'खोए हुए हो तो मारे हुए समझे जाओगे' ये सरकार ऐसी नहीं है.
सुषमा ने कहा कि आज कांग्रेस काफी निचले स्तर की राजनीति की, शायद कांग्रेस अध्यक्ष को लगा हो कि राज्यसभा में कोई हंगामा नहीं हुआ तो उन्होंने सिंधिया को लोकसभा में हंगामा करने का निर्देश दिया. कांग्रेस लोगों की मौत पर राजनीति कर रही है.
सुषमा ने कहा कि राज्यसभा में जब मैं बोल रही थी तब सबने ध्यान से सुना. सभी ने श्रद्धांजलि दी, मुझे लगा कि लोकसभा में भी ऐसा होगा. लेकिन पिछले दिनों की बवाल की तरह आज कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हंगामा किया. यह बहुत ही दुखद है.
सुषमा स्वराज ने मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस की
इराक में अपने दो सदस्यों को खोने वाले परमिंदर लकी ने कहा कि अपने परिवार को खोना बेहद दर्दनाक है. कंवलजीत सिंह मेरे भाई और गुरदीप सिंह (32) मेरे साले थे. दोनों कई साल पहले इराक गए थे और जून 2014 तक संपर्क में थे. अचानक उन्होंने फोन करना बंद कर दिया. परमिंदर ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय ने मुझसे कहा कि वे वापस लौटेंगे. लेकिन अचानक उन्होंने कह दिया अब वे लोग नहीं रहे.’ गुरदीप सिंह की दो बेटियां और पत्नी हैं. एक बेटी की उम्र 4 साल और दूसरे की 5 साल है. ये लोग पंजाब के होशियारपुर में रहते हैं. वहीं दूसरी तरफ कंवलजीत सिंह के पीछे उनकी पत्नी और 5 साल की बेटी है.
इराक में अपने दो सदस्यों को खोने वाले परमिंदर लकी ने कहा कि अपने परिवार को खोना बेहद दर्दनाक है. कंवलजीत सिंह मेरे भाई और गुरदीप सिंह (32) मेरे साले थे. दोनों कई साल पहले इराक गए थे और जून 2014 तक संपर्क में थे. अचानक उन्होंने फोन करना बंद कर दिया. परमिंदर ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय ने मुझसे कहा कि वे वापस लौटेंगे. लेकिन अचानक उन्होंने कह दिया अब वे लोग नहीं रहे.’ गुरदीप सिंह की दो बेटियां और पत्नी हैं. एक बेटी की उम्र 4 साल और दूसरे की 5 साल है. ये लोग पंजाब के होशियारपुर में रहते हैं. वहीं दूसरी तरफ कंवलजीत सिंह के पीछे उनकी पत्नी और 5 साल की बेटी है.
अमृतसर के मानावाला के रहने वाले रंजीत सिंह की मोसुल में आईएसआईएस के आतंकवादियों के हाथों मारे जाने की खबर आई है. जिन 39 लापता भारतीयों के मौत की पुष्टि हुई है. उनमें रंजीत सिंह का नाम भी शामिल है. रंजीत सिंह की बहन जसप्रीत कौर इस बारे में बात करने पर फूट-फूट कर रो रही हैं. हालाकि इस मामले में वो ज्यादा नही बात करना चाहती. केवल अपने भाई के बारे में वो आखिरी बातचीत को याद कर रही हैं. जसप्रीत कौर कहती हैं कि आखिरी बार अपने भाई से 15 जून 2014 को बात हुई थी. उस दौरान उन्होंने घर आने के बारे में भी बात की थी और कहा था कि वो घर आएंगे.
जबतक सरकार पुख्ता सबूत नहीं पेश करती हम इसे नहींं मानेंगे
गुरदासपुर के तिलियावाला बटाल इलाके के रहने वाले मलकित सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे. युवा मलकित सिंह की शादी फरवरी 2014 में ही हुई थी. लेकिन, उसके कुछ ही महीने बाद वो नौकरी के लिए इराक चले गए. लेकिन, वहां के खराब हालात का शिकार हो गए.
आईएसआईएस की गिरफ्त में आने के बाद उनकी मौत हो चुकी है. उनके बड़े भाई मनजीत सिंह का बात करते हुए गला रूंध जाता है. माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल है. मनजीत बताते हैं कि शादी के कुछ ही महीने हुए थे लेकिन, मेरा भाई एजेंज के हत्थे चढ़ गया. हालांकि उनकी नाराजगी सरकार को लेकर भी है.
फर्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान मनजीत ने कहा कि हमने लगातार समय मांगा लेकिन, सरकार की तरफ से हमें मिलने के लिए समय नहीं दिया गया. सरकार कभी कुछ कह रही है, तो कभी कुछ और ही कह रही है. हालांकि अभी भी मनजीत को भरोसा नहीं हो रहा है कि उनका भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा.
मनजीत का कहना है कि जबतक सरकार पुख्ता सबूत नहीं पेश करती तबतक हम इस बात को नहीं मानेंगे. उनकी नाराजगी 40 भारतीयों में से भाग कर बाहर निकले हरजीत के बयान को लेकर भी है. वो कहते हैं कि सरकार कभी बोलती है कि हरजीत गलत है और अब बोल रही है कि हरजीत सही बोल रहा है. तो किस बात पर भरोसा करें.
अपने छोटे भाई को खोने के बावजूद मनजीत सिंह को यहां तक पता नहीं है कि उनका भाई कौन-सा काम करता था. वो कहते हैं कि उनका छोटा भाई एजेंट के माध्यम से विदेश गया था. पता नहीं वहां कौन-सा काम करता था.