गुजरात के स्कूलों में कक्षा 6,7 और 8 के दस में तीन बच्चे गुजराती और अंग्रेजी के सामान्य से वाक्य नहीं लिख सकते हैं. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि ये बच्चे एक अंकों वाले जोड़ घटाव तक नहीं कर पाते हैं! शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया- 'कक्षा 6-8 तक के 21 लाख बच्चों पर किए सर्वे में से लगभग 6 लाख बच्चे सामान्य से वाक्य न तो लिख सकते हैं, न पढ़ सकते हैं और न ही मैथ बना सकते हैं.'
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सामान्य वाक्य पढ़ने मतलब ये कि वो बच्चे- 'मेरा नाम रमेश है' या 'गाय घास खाए छे' (गुजराती में- गाय घास खाती है) जैसे वाक्य भी न तो पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं. यहां तक की वो 2+2=4; 3+7=10; 7-4=3 जैसे सामान्य से जोड़ घटाव तक नहीं कर पाते. राज्य शिक्षा की हालत के बारे में ये चौंकाने वाले खुलासा 'गुणोत्सव' के सांतवे संस्करण में हुआ है. इस स्टडी को राज्य सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के छात्रों के पढ़ने की क्षमता को मापने के लिए किया था.
शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया:
शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुड़ासमा ने स्वीकार किया कि सीखने का ये अंतर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस स्थिति को बदलने के लिए दृढ़ है. सिर्फ गुजरात सरकार ने ही दिक्कत को समझा और फिर हमने मिशन विद्या जैसे प्रोग्राम चलाए. हमारी इस पहल के बाद जहां पहले पूरी क्लास में सिर्फ पांच ही बच्चे पढ़ पाते थे. वहीं अब सिर्फ पांच बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं.
मिशन विद्या हाल ही में गुजरात सरकार द्वारा लागू किया गया था. इसके तहत् स्कूलों के टीचरों को 35 दिनों के लिए कमजोर बच्चों को तीन घंटे अलग से देने के लिए कहा गया था. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा में इस गैप को भरने के लिए सिर्फ इस तरह के उपायों से हल नहीं निकलने वाला.
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