टू जी स्पेक्ट्रम मामले में आरोपियों के खिलाफ गलत तथ्यों के साथ ‘बखूबी गढ़े गए आरोपपत्र’ दाखिल करने को लेकर सीबीआई को गुरुवार को एक विशेष अदालत से आलोचना का सामना करना पड़ा. दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले में आरोप साबित करने में नाकाम रही.
विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा कि पूर्व संचार मंत्री ए राजा और अन्य के खिलाफ दाखिल सीबीआई के आरोपपत्र में गलत तथ्य दिए गए और वे लोग बरी होने के हकदार हैं.
अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज तीन अलग मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया.
अदालत ने कहा, ‘बहस का आखिरी नतीजा यह है कि मुझे यह करार देने में कोई हिचक नहीं है कि अभियोजन (सीबीआई) किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई आरोप साबित करने में नाकाम रहा है, जो बखूबी गढ़े गए आरोपपत्र में लगाए गए थे.’
जज ने कहा, ‘मैं यह कह सकता हूं कि आरोपपत्र में दिए गए कई तथ्य तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, जैसे कि वित्त सचिव का पुरजोर तरीके से प्रवेश शुल्क की सिफारिश करना, ए राजा द्वारा मसौदा इरादा पत्र का प्रावधान खत्म करना, प्रवेश शुल्क के लिए भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशें आदि.’
इस पेचीदा मुद्दे में वकीलों की सहायता मिलने को लेकर अदालत ने उनकी सराहना भी की.
न्यायाधीश ने कहा कि इस बड़े तकनीकी और पेचीदे मुकदमें की सुनवाई के दौरान कड़ी मेहनत करने को लेकर वह दोनों पक्षों के वकीलों की भी सराहना करते हैं . इस मामले का रिकार्ड तीन-चार लाख पन्नों का है.
अदालत ने जमानत पर रिहा आरोपियों में प्रत्येक को अपीलीय अदालत के समक्ष जरूरत पड़ने पर उपस्थित होने के लिए पांच लाख रुपए का जमानत बॉन्ड के साथ इतनी ही राशि का एक मुचलका भरने के किए कहा है.
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