बिहार के एक बौद्ध मिशनरी स्कूल से 18 आदिवासी छात्रों को त्रिपुरा सुरक्षित पहुंचाया गया है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने बताया कि ये बच्चे उत्तरी त्रिपुरा के जिले में पेंचार्थल के मोग और चकमा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इनके परिवारवालों ने इन्हें 2 साल पहले बोध गया पढ़ाई के लिए भेजा था लेकिन बच्चों के अभिभावकों को सूचना दिए बगैर यह स्कूल दो महीने पहले बंद हो गया था. इन बच्चों को बिहार पुलिस ने सुरक्षित ट्रेन से त्रिपुरा पहुंचा दिया है. बिहार पुलिस के एक अधिकरी ने बताया कि इनमें से कुछ बच्चे असम के भी थे जिन्हें गुवाहाटी रेलवे स्टेशन के अथॉरिटी के हाथों में सौंप दिया गया है. इन बच्चों को लेने अगरतला रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार की शाम को बर्मन खुद पुहंचे थे.
बर्मन ने बताया, 'बच्चों के त्रिपुरा पहुंचने के बाद हम लोगों को राहत मिली है. बिहार सरकार से जनजाती कल्याण विभाग इस मामले की जांच करने के लिए कहेगा. हम नहीं चाहते हैं कि त्रिपुरा सरकार की जानकारी के बिना कोई बच्चा राज्य से बाहर जाए. यह घटना हम सभी लोगों के लिए आंख खोलने वाली है.' त्रिपुरा राज्य बाल कल्याण सोसाइटी की अध्यक्ष निलीमा घोष ने बच्चों से मुलाकात की और आरोप लगाया कि इन बच्चों के शरीर पर चोट और प्रताड़ित करने के निशान हैं. सोसाइटी जल्द ही स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी.
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