आरक्षण को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार विवाद बना हुआ है और विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर बनी हुई है. आर्थिक रूप से गरीब ‘सवर्णों’ को 10% आरक्षण देने का विवाद अभी थमा ही नहीं था कि आरक्षण से जुड़ा एक नया विवाद शुरू हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालयों और इससे संबद्ध कॉलेजों और संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति हेतु 200 रोस्टर प्वाइंट को खारिज करके 13 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर स्पेशल लीव पिटीशन को 22 जनवरी को खारिज कर दिया. इसके बाद कई राजनीतिक पार्टियों, शिक्षक और छात्र संगठनों और कई समाजसेवी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश जारी करने की मांग की है.
क्या है मांग?
इन संगठनों की मांग है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर को ही लागू किया जाए. इन संगठनों का कहना है कि 13 प्वाइंट रोस्टर के लागू हो जाने से विश्वविद्यालयों में OBC, SC, ST और दिव्यांग श्रेणी के लिए आरक्षित शैक्षणिक पदों में भारी कमी आ जाएगी.
13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध करने के लिए कई बुद्धिजीवियों और प्रोफेसरों ने मिलकर ‘ज्वॉइंट फोरम फ़ॉर एकेडमिक एंड सोशल जस्टिस’ नामक एक साझा मंच बनाया है ताकि इसका विरोध करने वाले संगठनों को एकजुट किया जाए. इस फोरम ने 13 प्वाइंट रोस्टर को खारिज करने और 200 प्वाइंट रोस्टर को फिर से लागू करने के लिए गुरुवार को दिल्ली में मंडी हाउस से संसद मार्ग तक एक मार्च भी निकाला.
इस मार्च के बाद एक सभा भी हुई जिसमें RJD के तेजस्वी यादव, SP के धर्मेंद्र यादव, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, लेफ्ट पार्टियों से सीताराम येचुरी, डी. राजा और कविता कृष्णन, आरएलएसपी के नेता उपेंद्र कुशवाहा, छात्र नेता उमर खालिद, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’, पूर्व सांसद अली अनवर समेत कई नामचीन नेताओं ने शिरकत की.
फोरम के केंद्रीय समिति के सदस्य और श्यामलाल कॉलेज में इतिहास के अस्सिटेंट प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने बताया कि दिल्ली में मार्च के साथ-साथ देशभर में गुरुवार को लगभग 100 जगहों पर 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हुए और इस आंदोलन का करीब 80 संगठनों ने समर्थन किया है.
क्या है यह 200 और 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम?
सवाल यह है कि आखिर यह 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम है क्या जिसे लेकर विपक्ष गोलबंद हो रहा है. और एससी, एसटी, ओबीसी और दिव्यांग श्रेणी के लोगों में गुस्सा है. दरअसल यह 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम विभागवार आरक्षण है. इसमें पूरे विश्वविद्यालय या कॉलेज या संस्थान को एक यूनिट न मानकर विभाग को एक यूनिट मानने की सिफारिश की गई है. जबकि 200 रोस्टर प्वाइंट में पूरे विश्वविद्यालय या कॉलेज या संस्थान को एक यूनिट माना जाता था. 2006 से इसी पद्धति से एससी, एसटी, ओबीसी और दिव्यांग श्रेणी को शैक्षणिक पदों पर आरक्षण दिया जा रहा था.
अभी ओबीसी के लिए 27 फीसदी, एससी के लिए 15 फीसदी और एसटी के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. क्योंकि एसटी को 7.5 फीसदी आरक्षण दिया जाता है तो इस हिसाब से 100 पदों में एसटी के लिए 7.5 पद बनते. क्योंकि 0.5 कोई पद हो नहीं सकता तो 7.5 की जगह अगर अगर 100 में इसे 8 पद किया जाता तो यह 50 फीसदी की आरक्षण की अधिकतम सीमा से ऊपर हो जाता और 7 पद करने पर एसटी को संवैधानिक रूप से दिए गए आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होता. इसलिए इस 0.5 की समस्या को खत्म करने के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर प्वाइंट की व्यवस्था की गई ताकि 200 पदों में से एसटी के लिए 15 आरक्षित पद बन सके जो 200 का 7.5 फीसदी है.
ऐसे कम होंगे आरक्षित पद?
अब चूंकि किसी भी विश्वविद्यालय या संस्थान में एक साथ 200 पद सामान्यतः विज्ञापित नहीं होते हैं तो सभी वर्गों को 200 रोस्टर प्वाइंट से आरक्षण देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञापित हर चौथी सीट ओबीसी को, सातवीं सीट एससी को और फिर 14वीं सीट एसटी, 15वीं सीट एससी और 16वीं सीट ओबीसी को दी जाती थी. यह क्रम विश्वविद्यालय द्वारा 200 पदों के विज्ञापित होने तक चलता था और 200 पदों के बाद फिर यही क्रम दोहराया जाता था.
इसे और आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि अगर किसी नए बने संस्थान या विश्वविद्यालय में अगर 200 रोस्टर प्वांइट से 16 सीट विज्ञापित होते हैं तो इसका चौथा, 8वां, 12वां और 16वां सीट ओबीसी के लिए आरक्षित होगा, 7वां और 15वां एससी के लिए और 14 वां सीट एसटी के लिए. लेकिन अगर यही 16 पद विषय विभागवार यानी 13 प्वाइंट रोस्टर से विज्ञापित होते हैं तो तस्वीर बिल्कुल बदल जाएगी.
आइए समझते हैं कैसे?
विभागवार रोस्टर में चौथा, 8वां और 12 वां पद OBC के लिए आरक्षित होगा और 7वां पद एससी के लिए. 13 प्वाइंट रोस्टर होने की वजह से एसटी को आरक्षण विभाग के पहले 13 विज्ञापित पदों में नहीं मिलेगा.
मान लिया जाए इन 16 पदों में 6 पद हिन्दी विभाग से, 3 पद इतिहास विभाग से, 3 पद जीवविज्ञान विभाग से, 2 पद भूगोल विभाग से और 2 पद गणित विभाग से विज्ञापित होते हैं तो सिर्फ हिन्दी में विज्ञापित 5वां पद ही ओबीसी के लिए आरक्षित होगा. बाकी अन्य सभी पद सामान्य श्रेणी की होंगी क्योंकि विभाग को यूनिट माना गया है. इस आधार पर विभाग का 7वां पद एससी के लिए आरक्षित होगा जबकि चौथा, 8वां और 12वां पद ओबीसी के लिए. इसमें एसटी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.
यानी 200 रोस्टर प्वाइंट से जहां 16 में से 4 ओबीसी, 1 एससी और 1 एसटी के लिए यानी कुल 6 पद आरक्षित थे, वहीं 13 प्वाइंट रोस्टर में सिर्फ 1 पद ही ओबीसी के लिए आरक्षित होगा और बाकी सभी सामान्य श्रेणी की होंगी. और जिन्हें विश्वविद्यालयों का हाल पता है वो जानते हैं कि सामान्य पदों पर ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय से आने वाले कितने लोगों की नियुक्तियां होती हैं. हाल में आए आंकड़ों ने यह साबित भी किया है कि इन वर्गों की विश्वविद्यालयों समेत लगभग सभी जगहों पर तय आरक्षण से काफी कम है. विश्वविद्यालयों में तो यह न के बराबर है.
एसटी और दिव्यांग श्रेणी को होगा सबसे बड़ा नुकसान
13 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से किसी विभाग में एसटी को 26वें पद पर आरक्षण मिलेगा और अमूनन इतने बड़े विभाग होते नहीं हैं. और छोटे विभाग में 26वां क्रम आने में काफी वक्त लगेगा.
इस क्रम को इस तस्वीर से समझा जा सकता है.
13 प्वाइंट रोस्टर की एक बड़ी खामी यह भी है कि इसमें दिव्यांग श्रेणी को अलग-अलग श्रेणियों (OBC, SC, ST और सामान्य) के तहत कुल 3 फीसदी दिए जाने वाले आरक्षण पर भी अस्पष्टता है. 200 प्वाइंट रोस्टर में हर 34वां विज्ञापित पद दिव्यांग श्रेणी को जाता था और दिव्यांगों में भी अलग-अलग श्रेणियों का जिक्र होता था. 13 प्वाइंट रोस्टर में यह आरक्षण देना लगभग नामुमकिन होगा.
यही वजह है कि पूरे देश में इसका जमकर विरोध हो रहा है और केंद्र सरकार द्वारा इस मुद्दे पर अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बदलने की मांग की जा रही है. केंद्र सरकार और यूजीसी ने भले ही 13 प्वाइंट रोस्टर को लागू करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी दाखिल की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान मौजूद और जेएनयू के प्रोफेसर राजेश पासवान का कहना है कि केंद्र सरकार और UGC के वकील ने 200 रोस्टर प्वाइंट के पक्ष में ठीक से तर्कों को नहीं रखा. सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को रोस्टर के बारे में सही से पता भी नहीं था. इस वजह से यह एसएलपी सुप्रीम कोर्ट खारिज हुई या सरकार ने छिपे तौर से खारिज होने दिया.
मुमकिन है कि आंकड़ों की जाल में उलझा 13 प्वाइंट रोस्टर बहुत लोगों को समझ में नहीं आ रहा हो लेकिन इतने सारे संगठनों के एकजुट होने से देश के वंचित तबकों के एक बड़े हिस्से में यह संदेश गया है कि उनके वर्ग के लोगों की विश्वविद्यालयों में हिस्सेदारी घटेगी. आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को दिए गए10 फीसदी आरक्षण पर जिस विपक्ष के एक बड़े तबके ने चुप्पी साध ली थी. उस विपक्ष को इस 13 प्वाइंट रोस्टर ने एक नया हथियार दिया है और सामाजिक न्याय के नाम पर एक नई गोलबंदी की राह खुल गई है.
आगामी बजट सत्र में यह मुद्दा हावी हो सकता है. केंद्र सरकार पर जहां अध्यादेश लाने का दबाव होगा वहीं 13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध कर रहे लोगों की विपक्ष पर भी निगाह होगी कि वो इस मुद्दे को कितने जोरशोर से उठाते हैं.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.