आजकल हर तरफ एक शब्द चर्चा के केंद्र में बना हुआ है. हम 'नेपोटिस्म' की बात कर रहे हैं.'नेपोटिस्म' यानी भाई-भतीजावाद जो सालों से हर तरफ-हर क्षेत्र में गहरी जड़े जमाये हुए है. लेकिन हाल फिलहाल में बॉलीवुड ने 'नेपोटिस्म' शब्द को हिट करके रख दिया है. कंगना रनौत और करण जोहर के बीच उनके शो 'कॉफी विथ करण' में 'नेपोटिस्म' को लेकर जो गुफ्तगू हुयी वो धीरे धीरे नेशनल इशू बन गया.
अब हाल ही में न्यूयॉर्क में हुए आइफा अवॉर्ड शो में एक एक्ट में नेपोटिज्म को लेकर कंगना का मजाक उड़ाया गया. एक बार फिर करण जोहर ने 'नेपोटिस्म' का झंडा सबके सामने बुलंद किया. सैफ अली खान और वरुण धवन जैसे फिल्मी फैमिली के स्टार्स ने उनका खुलकर साथ दिया. यहां तक कि खुले आम 'नेपोटिस्म' के सपोर्ट में नारे लगाए गए.
हालांकि करण, सैफ और वरुण ने कंगना से इसके लिए मांफी मांग ली.
बॉलीवुड के बाद टीवी इंडस्ट्री में भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गयी है. टीवी के सितारे भी खुलकर इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं. टीवी सितारों का मानना है कि बॉलीवुड की तरह टीवी इंडस्ट्री में अभी भाई-भतीजावाद की हवा नहीं लगी है.
आइये जानते हैं कि 'नेपोटिज्म' को लेकर टीवी इंडस्ट्री के सेलेब्स का कहना क्या है ?
शुभांगी अत्रे पूरे
एंड टीवी के पॉपुलर कॉमेडी शो 'भाभी जी घर पर हैं' में अंगूरी भाभी का किरदार निभाने वाली शुभांगी अत्रे पूरे नेपोटिस्म पर अपनी राय रखते हुए कहती हैं कि 'टेलीविजन इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के लिए कोई जगह नहीं है. मुझे लगता है कि, यहां पर लोगों को आसानी से ग्रो करना का मौका मिलता है. लेकिन सर्वाइव करने के लिए टैलेंट जरूरी है. मैं खुदको लकी मानती हूं कि मुझे हमेशा लीड रोल ही अॉफर किए गए. अगर हम फिल्मों की बात करें तो एेसा लगता है कि नेपोटिज्म है लेकिन किसी भी स्टार किड की लॉन्चिंग पहले से तय दिखाई देती है चूंकि जैसे ही वो पैदा होते हैं मीडिया उन्हें पॉपुलर बना देती है.
देवोलीना भट्टाचार्य
स्टार प्लस के शो 'साथ निभाना साथिया' में गोपी बहू का किरदार निभाकर देश की सबसे पॉपुलर बहू में से एक बनने वाली देवोलीना भट्टाचार्य कहती हैं कि 'बतौर एक्ट्रेस टेलीविजन ने मुझे एक्सेप्ट किया है और मुझे अपने आपको प्रूव करने का मौका दिया है. मैंने कभी भी अपने वर्किंग एनवायर्नमेंट में नेपोटिज्म को फेस नहीं किया. लेकिन हां, हम सभी बॉलीवुड के सपना लेकर ही बड़े होते हैं। तो बाद में लगता है कि नेपोटिज्म कही न कही है.
अदिती गुप्ता
स्टार प्लस के शो 'इश्कबाज' में रागिनी का किरदार निभा रही अदिति गुप्ता का कहना है की नेपोटिज्म की टेलीविजन इंडस्ट्री में कोई जगह नहीं है. मुझे हमेशा टैलेंट के कारण रोल्स मिले हैं. मैं पर्सनल लाइफ को प्रोफेशनल लाइफ के साथ मिक्स करने के बारे में सोच भी नहीं सकती.बात करें बॉलीवुड की तो टीवी में टैलेंट को ज्यादा स्कोप मिलता है और अब ये छोटा परदा नहीं रह गया है. और मेरी फैमिली से इंडस्ट्री में कोई नहीं है जिससे मैं नेपोटिज्म को एंजॉय कर सकूं.
रिद्धिमा पंडित
कृष्णा अभिषेक के कॉमेडी शो 'ड्रामा कंपनी' में दिखाई दे रहीं रिद्धिमा पंडित भी नेपोटिस्म पर जिस प्रकार फिल्म्स में नेपोटिज्म है टेलीविजन में नहीं है. जबकि टेली टाउन ने तो बहुत सारे एक्टर्स को उनके टैलेंट को शो करने का मौका दिया है. टेलीविजन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री एेसी धरती है जहां मौके ही मौके हैं. टेली स्क्रीन अब छोटी नहीं रह गई है जो पहले हुआ करती थी. ये बॉलीवुड की तरह ग्रो कर रही है.
माहिका शर्मा
'रामायण' और 'एफआईआर' जैसे शोज में काम कर चुकीं माहिका शर्मा नेपोटिस्म पर कहती हैं कि 'नेपोटिज्म सिर्फ एक मौका दिला सकता है लेकिन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में लाइफ जीने के लिए टैलेंटेड होना जरूरी है. अगर आपके अंदर एबिलिटी नहीं है तो कोई भी आपको स्टार नहीं बना सकता. बॉलीवुड में ही बहुत सारे उदाहरण है जहां नेपोटिज्म काम नहीं आता जबकि लोग स्टार फैमिली से होते हैं. पहले लोग बैक रूम अॉडिशन की बात करते थे और अब नेपोटिज्म पर चर्चा कर रहे हैं. इससे इंडस्ट्री पॉल्यूट हो रही है.
निति टेलर
लाइफ ओके के शो 'गुलाम' में फीमेल लीड के तौर पर दिखाई दे रही निति टेलर कहती हैं कि 'टीवी टाउन में नेपोटिज्म नहीं है. मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा हूं और हार्डवर्क को एंजॉय कर रही हूं. यहां से मुझे आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट और पॉजिटिविटी मिलती है. एक्टिंग स्किल्स के कारण ही रोल्स मिलते हैं. बॉलीवुड की बात करें तो कुछ को इजी लॉन्च मिल जाता है लेकिन फिर से बात लाइफ को एक आर्टिस्ट की तरह जीने की बात आती है जिसके लिए टैलेंट आवश्यक है. बिना टैलेंट के तो रेफरेंस भी काम नहीं करते.
मनीष गोपलानी
कलर्स के शो 'थपकी प्यार की' में बिहान की भूमिका में दर्शकों का मन मोहने वाले मनीष गोपलानी कहते हैं कि 'टेलीविजन इंडस्ट्री में नेपोजिज्म के लिए कोई जगह नहीं है. टेलीविजन सबके लिए एक जैसा है. अगर आपके पास स्किल्स है तो आप ग्रो करोगे. जितना ज्यादा आप काम करोगे उतनी ज्यादा ग्रोथ मिलेगी. अगर बॉलीवुड में नेपोटिज्म है तो स्टारकिड आसानी से खुद को शोकेस कर पाते हैं. दूसरों की तुलना में स्टारकिड आसानी से लॉन्च हो जाते हैं.
श्रेनू पारिख
स्टार प्लस के शो 'इश्कबाज' में मुख्य अदाकरा 'गौरी' का किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाने वाली श्रेनु पारीख कहती हैं कि 'मुझे नहीं लगता कि टीवी इंडस्ट्री के लिए नेपोटिज्म मीनिंगफुल वर्ड है. नए टैलेंट के लिए टेलीविजन बेस्ट मीडियम है जिसमें से मैं एक हूं. मेरा या मेरी फैमिली का किसी से कनेक्शन नहीं है पर फिर भी मैं अच्छा कर रही हूं. एेसे कई उदाहरण हैं. मुझे लगता है टीवी फेयरेस्ट मीडियम है.
यश सिन्हा
कई हिट शोज का हिस्सा रहे और हाल ही में हिट फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में वरुण धवन के बड़े भाई का किरदार निभाने वाले यश सिन्हा कहते हैं कि 'मैं टेलीविजन और इंडियन फिल्म इंडस्ट्री दोनों का हिस्सा रहा हूं. एक्सपीरियंस कहता है कि, नेपोटिज्म के लिए टेलीविजन इंडस्ट्री में कोई जगह नहीं है. मैं सहमत हूं कि, बॉलीवुड में नेपोटिस्म होता है क्योंकि फिल्म मेकर्स और स्टार किड्स एक साथ में बड़े होते हैं, एक दूसरे को जानते हैं. इसमें गलत क्या है जब टैलेंट आपके सामने है तो उसका उपयोग क्यों न किया जाए. मुझे लगता है कि फिल्म फैमिली के बच्चों को अपना एक अलग स्ट्रगल होता है. मैं महसूस करता हूं कि नेपोटिज्म हर फील्ड में है. कई एक्टर्स एेसे भी हैं जिनका कोई कनेक्शन नहीं था लेकिन वो अच्छा कर रहे हैं.
तेजस्वी प्रकाश
सोनी टीवी के हाल ही में चर्चा में आये शो 'पहरेदार पिया की' में मुख्य भूमिका निभाने वाली तेजस्वी प्रकाश कहती हैं कि 'टेली इंडस्ट्री से नेपोटिज्म वर्ड का कोई रिलेशन नहीं है. टेली स्क्रीन अपने टैलेंट को दिखाने का सबको बराबर मौका देती है. ये सब आपके टैलेंट और हार्डवर्क पर डिपेंड करता है कि आप बतौर आर्टिस्ट कितना ग्रो करते हैं. नेपोटिज्म और ब्यूटी से बड़ी ग्रोथ हासिल नहीं की जा सकती, न ही कपड़े उतारने से ग्रोथ होगी. ये सब सिर्फ आपको हेडलाइन्स में ला सकता है. टीवी हो, बॉलीवुड हो या हॉलीवुड अगर आपके अंदर टैलेंट है तो आप एक आर्टिस्ट की लाइफ को जी सकते हैं और अच्छी ग्रोथ हासिल कर सकते हैं.
रूप दुर्गापाल
कलर्स के शो 'बालिका वधु' फेम रूप दुर्गापाल कहती हैं कि 'टैलेंट और हार्डवर्क का कोई सब्सटीट्यूट नहीं है, चाहे वो कोई भी इंडस्ट्री हो. ये जरूरी नहीं कि नेपोटिज्म है या नहीं जब तक कि आपके अंदर क्वालिटी न हो. नहीं तो आप ज्यादा सर्वाइव नहीं कर सकते. ये जरूरी है कि अपनी लर्निंग और स्किल्स को लगातार बढ़ाया जाए.
तान्या शर्मा
स्टार प्लस के शो 'साथ निभाना साथिया' में मीरा का किरदार निभाने वाली तान्या शर्मा ने कहा कि , 'मुझे नहीं लगता कि नेपोटिज्म होता है. अगर एेसा है तो वो लंबे समय तक नहीं चल सकता. इंडस्ट्री में लाइफ बिताने के लिए हार्डवर्किंग और टैलेंटेड होना जरूरी है.
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