‘उरी’ अपनी बातों को सीधे तरीके से कहने में नहीं कतराती है. उरी बेस कैंप में पाकिस्तान मे प्रशिक्षित आतंकवादी भारतीय जवानों की हत्या कर देते हैं और उसके बाद भारत बदला लेने की ठान लेता है चाहे उसका मतलब लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करके सबक सीखाना ही क्यों न हो. ये सब तो ठीक है लेकिन फिल्म के आखिर में जब इस फिल्म का हीरो एक आतंकवादी से दो-दो हाथ करता है और उसके बाद उसके ऊपर चाकू से प्रहार करता है और उसके बाद उसकी वजह जानने को मिलती है तो वो हास्यास्पद लगता है. जी हां, वजह ये है कि पाकिस्तान के आतंकवादियों ने उसके बहनोई को मारा है. फिल्म का अकेला यही मोमेंट फिल्म को मात दे देता है. लगता है कि देश को ताक पर रख कर मामला पूरा पर्सनल कर दिया गया है. ‘उरी’ पूरी तरह से एक रिवेंज फिल्म है जिसमें दर्शकों को भारतीय सेना का एक नया रूप देखने को मिलेगा. एक ऐसा रूप जो दर्शकों ने पहले नहीं देखा है जिसमें शामिल है नाईट विजन गॉगल्स और अत्याधुनिक शस्त्र. ‘उरी’ में उतार-चढ़ाव हैं और कई जगह पर ये फिसलते हुए भी नजर आती है लेकिन शुक्र है कि निर्देशक फिल्म की लगाम इसके डंवाडोल होने के पहले एक बार फिर से पकड़ लेते हैं.
सर्जिकल स्ट्राइक और इसकी योजना की बात फिल्म के सेकंड हाफ में की गई है
फिल्म की कहानी मेजर विहान सिंह शेरगिल (विक्की कौशल) के बारे में है और फिल्म में उनका इंट्रोडक्शन नागालैंड बॉर्डर के पास एक आर्मी ऑपरेशन के तहत कराया गया है. यूनिट के लोग विहान को बेहद प्यार करते हैं लेकिन जब विक्की अपनी मां की बीमारी की वजह से सेना को छोड़ने का मन बनाता है तब सरकार उससे दिल्ली में एक डेस्क जॉब ऑफर करती है. जब उरी में सेना के जवानों की हत्या सरहद पार के आतंकवादी कर देते हैं तब सेना के जवान इस बात को लेकर निराश हो जाते हैं कि पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के कई अटैक के बावजूद भारतीय सेना और भारत सरकार कोई भी पुख्ता कदम लेने में नाकामयाब रही है. और फिर उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनती है. ‘उरी’ का पहला हाफ सेना के जवानों के सेंटीमेंट्स के ऊपर ज्यादा केंद्रित है. मिलिट्री ऑपरेशन से ज्यादा आपको ड्रामा और इमोशंस देखने को मिलेगा. कई बार ये इमोशनल सीक्वेंसेस आपको झकझोरेंगे भी खासकर तब जब सीन में एक बच्ची अपने पिता की चिता के दौरान अपने पिता के बटालियन के स्लोगन को जोर से बोलती है. फिल्म के दूसरे हाफ में सर्जिकल स्ट्राइक और इसकी तैयारी के बात की गई है.
अभिनय के लिए विक्की कौशल को एक बार फिर से पुरे नंबर मिलेंगे
‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ पूरी तरह से विक्की कौशल के कंधों पर घूमती है. एक सेना के जवान के जो भी इमोशंस होते हैं विक्की उसको सही तरीके से पर्दे पर लाने में कामयाब रहे हैं. विहान सिंह शेरगिल की भूमिका में विक्की कौशल के अभिनय पर आप उंगलिया नहीं उठा सकते हैं. फिल्म में उनका काम काफी शानदार है. इसके अलावा फिल्म में मोहित रैना मेजर करण की भूमिका में नजर आएंगे और अभिनय के मामले में अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म में उन्होंने दिखा दिया है कि बॉलीवुड को एक और शानदार टैलेंट मिल गया है. यामी गौतम का काम फिल्म में न के बरबार है. नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल के रोल में परेश रावल हैं और उनका काम भी फिल्म में सधा हुआ है.
फिल्म की रिलीज के समय को लेकर शक होता है
इस बात में कोई शक नहीं है कि ‘उरी’ एक सधी हुई फिल्म है लेकिन जब आप ऐसी फिल्मों में उन्हें कश्मीर चाहिए और हमें उनका सर जैसे डायलाग सुनने को मिलते हैं तो यही लगता है कि यहां पर अंध देशभक्ति की बात हो रही है जिसको आप दूसरे शब्दों में जिंगोइज्म भी कह सकते हैं. हर सीन में अगर आप ये दिखाते हैं कि पाकिस्तानी सैनिक हिंदुस्तानी सैनिकों से हर मामले में पीछे हैं तब आपको ये लगता है कि आप एक फिल्म नहीं बल्कि महज देश भक्ति की भावना को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. जब एक फिल्म में प्रधान मंत्री, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और एक ऐसी घटना की बात होती है जिसको लेकर सरकार कई बार अपना सीना ठोक चुकी है और जब वही फिल्म चुनाव वाले साल में आती है तब फिल्म से जुड़े लोगों के इरादों पर शक होने लगता है. ‘उरी’ अंत में एक साधारण फिल्म ही है जो अपने ड्रामा से बाहर नहीं आ पाई है.
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