गांधीजी के समय से आज भारत बहुत लंबा रास्ता तय कर चुका है, और दुर्भाग्यवश, संपूर्ण भारत उनके बताए हुए मार्ग से बहुत दूर है. हम हर दिन बापू के चेहरे को रुपयों के नोटों पर देखते हैं पर एक बार भी उनके बताए हुए आदर्शों के बारे में नहीं सोचते हैं.
इस हिंसा और भ्रष्टाचार की वर्तमान दुनिया में, अब जरुरत है कि हम महात्मा द्वारा दी गई शिक्षा की ओर चल पड़े. गांधीजी के 148 वें जन्मदिन पर, टेलीविजन के ये सितारे भारत के बापू, गांधीजी के उन सपनो के बारे में बताते हैं जिन्हें हमें पूरा करने की आवश्यकता है.
शुभांगी अत्रे: महात्मा गांधी खादी को राष्ट्रीय कपड़ा मानते थे. उनका मानना था कि अगर हर भारतीय द्वारा खादी का इस्तेमाल किया जाता है, तो वह समृद्ध और गरीबों के बीच की खाई को पार करने में काफी मदद करेगा. हालांकि, कपड़ों के बारे में जो उनकी सोच थीं उसे ज्यादातर उन लोगों ने फॉलो नहीं किया जो बेहतर कपडें खरीदने की क्षमता रखते हैं. मुझे लगता है कि बापू की याद में हर भारतीय को कम से कम 2 अक्टूबर को खादी कपड़े पहनना चाहिए.
सुयश राय: गांधीजी को सच्चाई से सीख लेने में विश्वास था. उसी सच्चाई ने जिसने उन्हें महान बनाया, जिसने उन्हें छोटा तो रखा लेकिन सचाई से डर कर भागने ना दिया. उन्होंने कहा था, "शांति का मार्ग सत्य का मार्ग है."
तेजस्वी प्रकाश: गांधीजी ने न केवल ब्रिटिश शासन के जुए से भारत को स्वतंत्रता का सपना दिखाया बल्कि गरीबी, निरक्षरता, अस्पृश्यता से सभी नागरिकों को मुक्त भी कराया ताकि सभी नागरिक सफलता और आजादी के फल का साथ में आनंद ले सकें.
कुणाल जयसिंह: जिसने सच्चाई और अहिंसा का अतुलनीय हथियार इस्तेमाल किया है उसी से दुनिया के कई कष्टों का इलाज करने की जरूरत है. हम जानते हैं कि कैसे गांधीजी द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरण अपूर्ण थें, फिर भी इतिहास यह रिकॉर्ड करेगा कि हमें कम से कम संभावित बलिदान के साथ सफलता मिली है जो इसी तरह स्थित किसी भी अन्य देश को बनाने के लिए नहीं मिली होगी. चूंकि हमारे हथियार अनोखे थे, उससे मिलने वाले फल भी अनोखे हैं. मुझे आज भी लगता है कि हम शांति और अहिंसा के साथ बुराई पर जीत पा सकते हैं.
हेली शाह: हम अपनी स्वतंत्रता के माध्यम से गांधीजी के सपने को साकार कर सकते हैं जहां एक सामान्य सोशल लाइफ हो और इसमें संविधान का पालन हो और साथ ही सभी नागरिक बिना किसी डर या बहरी तकलीफों के मिलकर काम करें.
महिका शर्मा: गांधीजी ने इस शानदार सिद्धांत की सदस्यता लेने से इनकार कर दिया है कि भारत के मुसलमान 'एक अलग राष्ट्र' हैं. उन्होंने कहा, 'मेरा पूरा विचार इस विचार के विरूद्ध विद्रोह करता है कि हिंदू धर्म और इस्लाम दो शत्रुतापूर्ण संस्कृतियों और सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस तरह के एक सिद्धांत को स्वीकार करना मेरे लिए भगवान का खंडन करने के सामान है. क्योंकि मैं अपनी पूरी आत्मा से विश्वास करता हूं कि कुरान के देवता गीता का भगवान भी है. हम सभी चाहे जिस नाम के हैं लेकिन उसी भगवान के बच्चे हैं. इसलिए, कोई भेदभाव नहीं.
मनु पंजाबी: गांधीजी हमेशा भारतीय गांवों और ग्रामीणों को विकसित करना चाहते थे. वह चाहते थें कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत पहचान होनी चाहिए और हर इंसान के साथ इंसान जैसा व्यवहार करना चहिये नाकि दासों जैसा. वह चाहते थे कि श्रमिकों को अपना काम चुनने के लिए एक विकल्प दिया जाना चाहिए जिससे बेरोजगारी की समस्या हल हो सकती है.
सारा खान: गांधी जी हमेशा चाहते थे कि हम स्वराज के अर्थ को समझें और उसका पालन करें. वह सभी के लिए लोकतंत्र चाहते थे. सभी के लिए समान अवसर होना चाहिए फिर वह गरीब या अमीर हो या किसी भी जाति से हो.
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