निर्देशक: Rajiv walia
कलाकार: Arbaz khan and Sunny leone
कलाकार - अरबाज खान, सनी लियॉन, सुधा चंद्रन, आर्य बब्बर
सितारे - डेढ़
अगर कोई इंसान सफल होने के लिए बार-बार प्रयास करता है तो आप उसे क्या कहेंगे. मुमकिन है कि आप उसकी पीठ ठोकेंगे और ताली बजाकर आप उसका हौसला अफजाई करेंगे लेकिन अगर वो इंसान अभिनेता के रूप में सलमान खान के भाई अरबाज खान हो तब आप क्या कहेंगे. इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिये कि शायद आपका जवाब यही होगा कि बस करो यार, बहुत हो गया. 'तेरा इंतजार' देखने के बाद भी आप यही कहेंगे कि अरबाज़ भाई बस करो यार, अभिनय के बदले निर्देशन पर ध्यान दो. वो सभी निर्देशक जो सनी लियॉन से इस बात की उम्मीद करते हैं कि वो फिल्म में अपने अभिनय का कौशल दिखाएंगी तो उन सभी को उनके हिम्मत के लिए सलाम है. 'तेरा इंतजार' का दूसरा नाम पैसे और समय की बर्बादी है. काश आज 'पद्मावती' सिनेमा हॉल में रिलीज हुई होती तो ये सितम नहीं सहना पड़ता.
फिल्म एक थ्रिलर है जिसमें मुख्य भूमिका में हैं रौनक (सनी लियॉन) और वीर (अरबाज खान) जो एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं. वीर जहां एक पेंटर है तो वहीं दूसरी तरफ रौनक एक आर्ट गैलरी की मालकिन. एक दिन वीर, रौनक की तस्वीर उसे बिना देखे बनाता है जबकि उसने उसे इससे पहले कभी नहीं देखा तो रौनक अचरज में पड़ जाती है. बाद में वीर इस बात का खुलासा करता है कि जो लड़की उसके सपनों में अक्सर आती है उसने उसी की पेंटिंग बनाई है. इसके बाद दोनों के बीच प्रेम पनपता है लेकिन जब वीर एक दिन अचानक गायब हो जाता है तब उन दोनों की दुनिया बदल जाती है. रौनक उसकी खोज में जी जान से लग जाती है. इस फिल्म में सुधा चंद्रन एक मीडियम के रोल में हैं जो रौनक के इस मिशन में उसकी मदद करती है. अपने प्रेमी की खोज में लगी रौनक के रास्ते का रोड़ा बनते हैं आर्य बब्बर. लेकिन फिल्म का अंत एक सरप्राइज के फॉर्म में होता है.
जाहिर सी बात है कि फिल्म में जब अरबाज खान और सनी लियॉन जैसे सितारे हों तो एक्टिंग की बात करना पूरी तरह से बेवकूफी होगी. ये ऐसे सितारे हैं जिनसे आप किसी भी हद तक मेहनत करवा लें, उनकी हद एक सीमा पर समाप्त हो जाती है. उम्र के इस पड़ाव में अगर अरबाज़ खान 25 साल के एक्टर जैसी हरकतें करेंगे तो इसे आप कहीं से भी पचा नहीं सकते. कुछ वही हाल सनी लियॉन का भी है. ये बात तय है कि अगर कोई प्रोड्यूसर उनको अपनी फिल्म के लिए साइन करता है तो वो उनके ग्लैमर के लिए करता है ना कि उनकी अभिनय प्रतिभा के लिए. इन दोनों ने फिल्म में बेहद ही निराशाजनक अभिनय का प्रदर्शन किया है.
इस फिल्म के कहानी बेहद ही साधारण है और आपको पता चल जाता है कि आगे क्या होने वाला है. अगर साल के सबसे खराब एक्टिंग का ताज किसी फिल्म के सितारे को मिलना चाहिए तो शायद तेरा इंतज़ार की दावेदारी सबसे आगे रहेगी. फिल्म की कहानी नॉन लिनियर फॉर्मेट में है यानी कि ये हमेशा आगे-पीछे चलती रहती है और हमेशा कहानी क्लू देने की कोशिश करती है कि आखिर वीर को हुआ क्या था. लेकिन फिल्म के बीच में ही तब तक आपकी रूचि पूरी तरह से गायब हो चुकी होती है और आप इसी बात का इंतजार करते हैं कि आखिर फिल्म खत्म कब होगी. भूतिया पेंटिंग्स, लोगों के एक के बाद एक मरने की कहानी. इन सबकी मदद ली गई है इस कहानी को आगे बढ़ने के लिए जो कहीं से भी आपका ध्यान आकर्षित नहीं कर पाता है. आश्चर्य होता है कि फिल्म में काफी देर के बाद सनी लियॉन के ग्लैमर को भुनाया गया है. केमिस्ट्री की बात करें तो दोनों के बीच में वो भी पूरी तरह से नदारद है.
कुछ फिल्में होती हैं जो बेहद ही खराब होती हैं लेकिन उनको कुछ समय देखने के बाद मज़ा आने लगता है. अफसोस की बात ये है कि 'तेरा इंतजार' के साथ ऐसा भी नहीं है. ये फिल्म महज एक खराब फिल्म है. इस फिल्म का निर्देशन किया है राजीव वालिया ने जिनकी ये पहली फिल्म है और कहने की जरुरत नहीं है कि उन्हें बहुत कुछ सीखना पड़ेगा. उन्होंने अनवर खान के साथ मिलकर फिल्म के डायलॉग भी लिखे हैं जिनको सुनने के बाद इस बात का मुझे पक्का यकीन है कि आपको बाम की जरुरत पड़ेगी. अगर आप इस फिल्म को अंत तक सह लेंगे तो आपके हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी. मौका अभी भी है कि आप उन सिनेमा हॉल से कोसों दूर रह सकते हैं जहां पर ये फिल्म चल रही है.