रामगोपाल वर्मा की आखिरी फिल्म वीरप्पन थी. उनकी हाल की कुछ फिल्में (अटैक, भूत रिटर्न्स, नॉट ए लव स्टोरी, डिपार्टमेंट) दर्शकों को खास पसंद नहीं आई. वह आजकल ट्विटर पर अपनी सक्रियता के लिए भी 'प्रख्यात' हैं.
इसलिए सरकार 3 देखने को लेकर मेरे मन में शंका थी. अमिताभ बच्चन और मनोज वाजपेयी के चेहरे ही इस फिल्म के बारे में सबसे भरोसा दिलाने वाली चीजें थीं.
मैं जब थिएटर में घुसा तो मैं उम्मीद कर रहा था कि रामगोपाल वर्मा में बदलाव आया होगा और वह बेहतर हो गए होंगे. अच्छी बात है कि वह बदल गए हैं, लेकिन और बुरे के लिए.
सरकार 3 की भारी-भरकम कास्ट में कई शानदार अभिनेता हैं (रोनित रॉय ने काबिल में शानदार काम किया था और वाजपेयी में तो गजब की काबिलियत है), लेकिन फिल्म को देखना शुरुआत से ही मुश्किल है.
आरजीवी सरकार 3 में किसी नौसिखिए निर्देशक की तरह हैं जो वह सबकुछ दिखा देना चाहता है जो उसे लगता है कि वह कर सकता है. हर सीन के सात एंगल हैं और सभी के सभी परेशान करते हैं. बैकग्राउंड संगीत इतना खराब लगता है कि आपको बेकार के डायलॉग झेलने लायक लगने लगते हैं. पूरी फिल्म एक ऐसे 'सेपिया' टोन में हैं कि आपको नींद आने लगती है.
काश रामगोपाल वर्मा ट्वीट करने के बजाय कुछ समय अपनी निर्देशक क्षमता को बेहतर बनाने में लगाते.
सरकार 3 महिलाओं की जांघों के प्रति निर्देशक की सनक को एक श्रद्धांजलि सा लगता है. जिस भी फ्रेम में एक युवा महिला है, एक एंगल उसकी जांघों पर फोकस करता है.
मेरी गारंटी है कि इंटरवल के समय तक आप सिनेमाघर से भाग जाना चाहते हैं.
फिल्म में अमित साध शिवाजी के किरदार में हैं. वह सरकार का पोता है जो रोनित राय की जगह सरकार का दायां हाथ बनना चाहता है. लेकिन शिवाजी की सोच कहीं न कहीं सरकार के तरीके से अलग है. इसके बाद जो होता है, वह एक के बाद एक बेमतलब, बेहूगा घटनाओं की एक लड़ी है.
फिल्म में कुछ अच्छे परफॉर्मेंस भी हैं (अमित साध) लेकिन कलाकारों को करने के लिए जो दिया गया है, वह इतना खराब है कि सभी किरदार खोए से लगते हैं. उदाहरण के लिए यामी गौतम को फिल्म के हर फ्रेम में सनग्लासेस पहने दिखाया गया है.
अमिताभ बच्चन बुरे नहीं लगते (इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं है), लेकिन जैकी श्रॉफ जिन्हें एक क्रूर और खतरनाक विलेन लगना था, कुछ सीन्स में हास्पप्रद लगते हैं. पता नहीं क्या रामगोपाल वर्मा ने किस नशे में उनके डायलॉग लिखे- एक सीन में वह अपनी 'क्रूरता' दिखाते हुए कहते हैं, 'आई डोंट लाइक विमिन विद ए हार्ट.'
कभी-कभी कोई फिल्म कागज पर अच्छी लगती है लेकिन जब बड़े परदे पर आती है तो कमी रह जाती है? सरकार 3 के साथ ऐसा नहीं है. इस फिल्म का हश्र पहले दिन से ऐसा ही तय लग रहा था.
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