बॉलीवुड ने एक तरफ तो पाकिस्तानी कलाकारों को बैन कर रखा है लेकिन इस बैन का लगता है बॉलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान पर कोई असर होता नहीं लग रहा.
अभी हाल ही में खबर आई थी कि सलमान खान ने आतिफ असलम के साथ अपनी आने वाली फिल्म रेस 3 के लिए एक गाना रिकॉर्ड किया है. नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके आप वो स्टोरी पूरी पढ़ सकते हैं.
रेस 3: सलमान खान के लिखे रोमांटिक सॉन्ग को आतिफ असलम देंगे अपनी सुरीली आवाज
लेकिन 20 अप्रैल को रिलीज होने जा रही फिल्म दासदेव के एक गाने को आतिफ असलम ने ये कहते हुए प्रमोट करने से इनकार कर दिया कि इस वक्त दोनों देशों में तनाव का माहौल है. लेकिन जब मामला सलमान खान का है तो क्या आतिफ असलम ऐसा करने की जहमत उठा पाएंगे.
आतिफ असलम ने किया बॉलीवुड गाने को प्रमोट करने से इनकार, जानिए क्यों?
सलमान खान ये भी ये जानते हुए कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ बॉलीवुड ने काम करने पर रोक लगा रखी है, आतिफ असलम को इस दलील के साथ साइन कर लिया कि वो अब तक रेस सीरीज के हर फिल्म का हिस्सा रहे हैं. तो क्या अब बॉलीवुड अपना विरोध बदल देगा.
सलमान खान के लिए नियम ताक पर रखे जाएंगे. यहां पढ़िए वो स्टोरी जो हमने आपको तब बताई थी जब बॉलीवुड ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाया था.
BAN: पाकिस्तानी कलाकारों को FWICE का बड़ा झटका, लगाया बैन
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर पाबंदी लगाने की मांग करना अप्रैल फूल जोक ( 1 अप्रैल को मूर्ख बनाने के लिए किया जाने वाला मजाक) बन गया है. दरअसल, यह ऐसा मामला है, जिसे कोई गंभीरता से नहीं लेता. बॉलीवुड से जुड़े कुछ लोग समय-समय पर पाकिस्तानी प्रतिभाओं के भारत में आने पर पूरी तरह से पाबंदी की मांग को लेकर जोरदार ढंग से शोर-शराबे के जरिये अपनी आवाज बुलंद करते हैं. हालांक, उनकी इन कोशिशों का कोई मतलब नहीं निकलता है, क्योंकि सिर्फ बातों तक सिमटा रहने वाला उदारवादी धड़ा भी बेहद गर्व के साथ अपने पाकिस्तानी प्रेम को इजहार करता रहता है.
इन कथित उदारवादियों को बातों से पेट भरने में महारथ हासिल है. वे (कथित उदारवादी) पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए सुरक्षा बलों के बहादुर जवानों के लिए सहानुभूति प्रदर्शित करेंगे, लेकिन साथ ही, अपने पाकिस्तानी भाई-बंधुओं के साथ संपर्क स्थापित करने से जुड़े किसी भी मौके की तरफ आक्रामक तरीके से बढ़ने की कोशिश करेंगे. 'ऐ दिल है मुश्किल' विवाद के दौरान गिल्ड ने किसी भी पाकिस्तानी कलाकार के साथ काम नहीं करने का प्रस्ताव पास किया था. इसके बावजूद कथित उदारवादी इस मामले में बड़ी बातें करने से बाज नहीं आते. इसके अलावा, हमारे बॉलीवुड की शख्सियतों ने ही इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए समय-समय पर इनोवेटिव तरीका अख्तियार किया है. यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान कभी तटस्थ सरजमीं पर हुआ है , तो कभी खुद पाकिस्तान में ही ऐसा देखने को मिला है.
पाक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में नजर आए बॉलीवुड के दिग्गज
मिसाल के तौर पर पाकिस्तान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की बात करते हैं. इसमें वैसे सभी भारतीयों की मौजूदगी नजर आई, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान के पक्ष में खड़े रहे हैं. यह हमारी अपनी फिल्म इंडस्ट्री की उन शख्सियतों के मुंह पर तमाचा है, जिन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर पाबंदी लगाए जाने की वकालत की थी.
पाकिस्तान इंटनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान हैदर के निर्देशक और बॉलीवुड के जानेमाने फिल्मकार विशाल भारद्वाज, एक्टर नंदिता दास और सारंगी वादक हर्ष नारायण भारत-पाकिस्तान के बीच सहयोग और समन्वय को लेकर पाकिस्तानी पटकथा लेखक अंजुम राजाबली, असीम रजा और सजल अली के साथ एक परिचर्चा में नजर आए. इस परिचर्चा का संचालन पाकिस्तान के लेखक आसिफ नूरानी ने किया.
यह परिचर्चा दोनों देशों के बीच राजनीतिक विवाद, अतीत के सहयोग और तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कला और संस्कृति को कैसे जिंदा रखा जाए, इन बातों पर केंद्रित रही. इस फिल्म फेस्टिवल में जिन बॉलीवुड फिल्मों का प्रसारण किया गया, उनमें शाहरुख खान की 'डियर जिंदगी', इरफान खान की हिंदी मीडियम (जिसमें पाकिस्तानी एक्ट्रेस सबा कमर की भी भूमिका है), फिल्म निर्देशक- ओनिर की 'कुछ भीगे अल्फाज' और 'नील बटा सन्नाटा' जैसी फिल्में भी शामिल हैं.'
इस फिल्म फेस्टिवल पर दोनों देशों की सीमा पर मौजूद राजनीतिक तनाव का कोई असर नहीं दिखा और सब ने हर हाल में सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाए रखने की बात दोहराई. ओनिर ने कहा, 'आम लोगों के दिल के तार अब भी एक-दूसरे से जुड़े हैं. दिलों का बंटवारा नहीं हुआ है. पाकिस्तान में जो प्यार और गर्मजोशी मैं महसूस करता है, वह बेहद बेशकीमती और कभी नहीं भुलाने वाला अनुभव है.' वह अपनी फिल्म 'कुछ भीगे अल्फाज' को पाकिस्तान में बड़े पर्दे पर प्रसारण का मौका मिलने को लेकर बेहद खुश थे. ओनिर ने कहा, 'मुझे और मेरी फिल्म को इस मुल्क (पाकिस्तान) में जो प्यार मिला है, उससे मैं अभिभूत हूं...मैं इस बात को लेकर बेहद खुश हूं कि यहां के मल्टीप्लेक्स में भारतीय फिल्में चल रही हैं, रिलीज की जा रही हैं और पाकिस्तान के दर्शक इन फिल्मों को पसंद कर रहे हैं. '
यह पूछे जाने पर क्या सीमा के दोनों तरफ से और ऐसे फोरमों की जरूरत है, ओनिर का जवाब का हां में था. उन्होंने कहा, 'हम जितनी जागरूकता और प्यार फैलाएंगे, हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा.' उनका यह भी कहना था कि न सिर्फ फिल्में बल्कि पाकिस्तान की प्रतिभाओं को भी भारतीय फिल्मों में दिखाने की जरूरत है. उन्होंने बताया, 'मुझे पता है कि कुछ दिक्कतें हैं और उन्हें दूर करने की जरूरत है. बेशक उन्हें दूर किया जाना चाहिए. साथ ही, दोनों देशों के आम लोगों का एक-दूसरे के साथ संपर्क बढ़ने से बातचीत के लिए भी माहौल नरम होगा.'
जानेमाने निर्देशक विशाल भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच की खाई को पाटने के लिए इस तरह के और सांस्कृतिक आयोजन की जरूरत है. वह पांच साल के अंतराल के बाद पाकिस्तान आए थे.
पाकिस्तान फिल्मकारों और फिल्म प्रेमियों के लिए बड़ा मौका
बहरहाल, पाकिस्तानी फिल्मककार असीम रजा से जब इस बारे में पूछा गया, तो उनका कहना था, 'पाकिस्तानी फिल्मकारों, स्टूडेंट्स और फिल्म प्रेमियों के लिए पाकिस्तान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के काफी अहम मायने हैं. एक छत के नीचे इतने सारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों से मिलना ऐसा अनुभव है, जिसकी हमारे देश में सख्त जरूरत है. दुनिया भर की फिल्मों में क्या चल रहा है, उसके बारे में जानकारी और जागरूकता होने से निश्चित तौर पर हमें पूरी तरह से एक नया नजरिया मिलेगा. साथ ही, उम्मीद है कि इस सिलसिले में पाकिस्तान आए फिल्मकारों ने इस मुल्क के अलग पक्ष को देखा होगा, जो शायद वे कभी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में नहीं देख पाते. मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि यह कोशिश हर साल ज्यादा बड़ी और बेहतर हो.'
रजा ने बताया कि कई तबकों और फिल्म निर्माताओं की कुछ एसोसिएशंस के विरोध के बावजूद कई फिल्मी शख्सियतें सामने आईं और उन्होंने इस फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लिया. उनका कहना था, 'मैं इस बात से वाकिफ नहीं हूं कि वहां किस तरह का विरोध है, लेकिन निश्चित तौर पर भारतीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने पाकिस्तान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के माहौल को काफी बेहतर बना दिया. हमारी (दोनों देशों की) संस्कृतियों और परंपराओं की समानताएं हमें एक-दूसरे के लिए ज्यादा प्रासंगिक बनाती हैं और पाकिस्तानी सिनेमा के लिए बॉलीवुड एक प्रेरणा से भी कहीं बढ़कर है. विशाल भारद्वाज, रेखा भारद्वाज, अंजुम राजाबली और कई अन्य बड़ी और सम्मानित हस्तियों से मिलना और बातचीत करना बेहद शानदार अनुभव रहा. हम सभी के लिए यह वाकई में सीखने वाला अनुभव था.'
कलाकारों ने कहा, नफरत का लंबा दौर ठीक नहीं
पाकिस्तान इंटरनेशनल फेस्टिवल में कुछ अवॉर्ड को पेश करने वाले पाकिस्तानी एक्टर इमरान अब्बास का कहना था कि वह इस आयोजन में भारतीय फिल्मी हस्तियों से मुलाकात कर काफी खुश हैं. अब्बास ने बताया, 'मैं वाकई में उन लोगों की तारीफ करता हूं, जो पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा का जुगाड़ कर लेते हैं. मौजूदा हालात में भारतीयों और पाकिस्तानियों दोनों के लिए (खासतौर पर जानीमानी हस्तियों) के लिए वीजा मिलना आसान नहीं है. भारत से आए कलाकारों को देखना काफी सुखद था. इन नफरतों को इतना लंबा नहीं होना चाहिए. पाकिस्तान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल छोटा आयोजन था, लेकिन यह बेहद सकारात्मक और सुखद कार्यक्रम रहा.'
करण जौहर की फवाद खान से मुलाकात ने बटोरीं सुर्खियां
बहरहाल, मध्य पूर्व में करण जौहर का उनकी मां के पसंदीदा एक्टर फवाद खान से पुर्नमिलन हुआ. इस घटनाक्रम ने तमाम लोगों को ध्यान अपनी तरफ खींचा. दोनों के साथ बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा दीपिका पादुकोण भी थीं.
भारत और पाकिस्तान के कलाकारों के बीच इस तरह का दोस्ताना देखकर जाहिर तौर पर किसी को लग सकता है कि कलाकारों पर पाबंदी के लिए बार-बार किया जाने वाला आह्वान बेमतलब की बात के अलावा कुछ भी नहीं है. महज एक महीना पहले पाकिस्तानी कलाकारों खासतौर पर आतिफ असलम पर पाबंदी लगाए जाने संबंधी खबरें आई थीं. जाहिर तौर पर इस तरह की परिस्थिति में वह फिल्म को प्रमोट नहीं कर रहे थे. हालांकि, आज यह बात गुमराह करने वाली और बकवास लगती है. दरअसल, बॉलीवुड निर्माता रमेश तौरानी ने सलमान खान की भूमिका वाली फिल्म 'रेस 3' का एक गाना गवाने के लिए उनके साथ करार किया है.
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भी पाकिस्तानी कलाकारों पर अस्थायी रूप से पाबंदी लगाए जाने की मांग को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार किया था. इस केंद्रीय मंत्री ने फिल्म 'वेलकम टू न्यूयॉर्क' के गाने इश्तेहार से राहत फतेह अली खान की आवाज को हटाकर इसे किसी अन्य से गवाए जाने की मांग की थी. उनका कहना था कि ऐसे वक्त में जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर है, एंटरटेनमेंट संबंधी काम और गतिविधियों के लिए सीमा पार करने की इच्छा और जरूरत की बात उन्हें समझ में नहीं आती.
एक और जहां वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्लॉयीज ने पाकिस्तानी पासपोर्टधारकों पर पाबंदी लगा रखी है, वहीं दूसरी तरफ सीआईएनटीएए के सुशांत सिंह का कहना था, 'भारत सरकार की तरफ से जिस शख्स को भी वीजा जारी किया गया है, वे यहां वर्क परमिट के लिए अप्लाई कर सकते हैं.'
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