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'बेफिक्रे' ईजी, सिंपल और मस्ती भरी फिल्म है: रणवीर सिंह

'शाहरूख़ के बाद आदित्य चोपड़ा की फिल्म में सिर्फ मैं हुआ हूं रिपीट'

Updated On: Dec 09, 2016 02:41 PM IST

Runa Ashish

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'बेफिक्रे' ईजी, सिंपल और मस्ती भरी फिल्म है: रणवीर सिंह

साल के अंत में 2016 की अपनी इकलौती फिल्म ‘बेफिक्रे’ लेकर रणवीर सिंह एक बार फिर दर्शकों के सामने आ रहे हैं. फिल्म में रणवीर आज की यंग सोच वाले यंगस्टर बने हैं. पेश है उनसे हुई खास बातचीत.

एक शेर आपके लिए कह सकते हैं, ‘आखों में नमी, हंसी लबों पर, क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो’. आपसे जब भी मिलते हैं तो आप हमेशा खुशमिजाज नजर आते हैं. कितने रूप हैं आपके?

मेरे सौ रूप हैं. मुझे पता नहीं होता कि मेरा मूड कैसा होने वाला है. मैं बहुत मूडी हूं. मैं जब लोगों से मिलता हूं ना तो मैं बहुत खुश रहता हूं. मुझे लोग बहुत पसंद हैं. मुझे उनको खुश रखना पसंद हैं. मैं खुद भी हमेशा खुश रहता हूं. गंभीर सिर्फ एकांत में होता हूं. मैं कभी भी लाइफ में सीरियस नहीं हुआ हूं. मैं सिर्फ अपने अभिनय, अपनी फिल्म और प्रोफेशन को लेकर सीरियस होता हूं. आप किसी से भी पूछ लो, हम लोगों की हमेशा गपशप होती रहती है, बकवास करते हैं, बेकार बातें करते हैं. मुझे ऐसे खुले वातावरण में काम करना पसंद है.

तो क्या संजय लीला भंसाली के सेट पर भी आप ऐसे ही पेश आते हैं? सुना है वहां का माहौल अलग होता है?

अगर आप संजय भंसाली के सेट पर आएंगे तो आपको बहुत ही अलग रणवीर देखने को मिलेगा. आम किसी सेट पर जब आप आएंगे तो हो सकता है कि मैं आपसे जोक कर लूं. या हंसी मजाक कर लूं. लेकिन उनके सेट पर मैं आपको बहुत सीरियस मिलूंगा. शायद मैं आपकी तरफ देखूं भी नहीं. मैं अपने कैरेक्टर में घुसा रहता हूं.

हाल ही में आपके एक ऐड को ले कर भी कई खबरें आईं. आपको काफी कुछ सुनना भी पड़ा?

हां, मुझे काफी कुछ सुनना पड़ा. लेकिन एक बात है कि जब मैं किसी ब्रांड का एंबेसेडर हूं तो उनकी एक एजेंसी होती है. उनके क्रिएटिव राइटर्स होते हैं. मैं भी उनका क्रिएटिव राइटर हुआ करता था. जरूरी होता है कि उनको अपनी एक आजादी दी जाए. उनको वो बेनिफिट ऑफ डाउट दे दिया जाए क्योंकि हर एक को अपना काम मालूम होता है. तो मैंने उन लोगों को उनकी आजादी दी. इसमें उनकी अपनी कोई बुरी नीयत भी नहीं थी. लेकिन शायद लोगों को ये अच्छा नहीं लगा. मुझे मालूम पड़ने लगा कि लोगों को ऐड अच्छा नहीं लग रहा है. तो एक जिम्मेदार ऐंबेसेडर की तरह मैंने उस ऐड को तुरंत ही हटवा लिया था. उसके बाद भी चर्चा चली तो मैंने उसके लिए माफी भी मांगी, सॉरी बोला.

आदित्य चोपड़ा ने आपको अपनी अगली फिल्म में लिया. शाहरुख के बाद आप ऐसे हीरो बने जिसे आदित्य ने रिपीट किया. इतना भरोसा आप पर किया गया है. अब फिल्म की सफलता और असफलता आपके हाथ में है. कितना चैलेंज है आपके लिए?

फिल्म की सफलता और असफलता मेरे हाथ में नहीं है. मेरे हाथ में सिर्फ मेहनत करना है. तो जितनी मेहनत मुझे करनी थी वो मैंने की. वैसे भी ये कोई इंटेंस फिल्म नहीं है. ये बहुत ही सरल और मस्ती भरी फिल्म है. तो जो किरदारों के रोल हैं या बातचीत है वो बहुत नैचुरल लगनी चाहिए.

ये बहुत ही आसान फिल्म थी. शूट के लिहाज से कोई खास दिक्कत वाली फिल्म तो नहीं थी. आदि सर ने अब तक सिर्फ शाहरुख खान के साथ दूसरी बार काम किया है. मेरे लिए बहुत बड़ी बात है कि मुख्य किरदार में उन्होंने मुझे लिया. अब बतौर अभिनेता मैं इतना ही कर सकता हूं. अब अगर फिल्म चलनी होगी तो चलेगी वर्ना नहीं चलेगी. आदि सर के लिए ये फिल्म उनके दिल के बहुत करीब है. उनका मन था कि वो ऐसी फिल्म बनाएं तो उन्होंने बनाई. तो वो भी किसी दबाव में नहीं हैं कि फिल्म चलनी चाहिए. मैंने उनसे पूछा था कि आप ये फिल्म क्यों बनाना चाहते हो? उन्होंने कहा कि ‘मैं बहुत खुश हूं और मैं चाहता हूं कि फिल्म के जरिए लोगों तक खुशियां पहुंचा सकूं’.

तो आप बिल्कुल भी इंसिक्योर नहीं हैं?

नहीं, मैं क्यों इंसिक्योर हो जाऊं? कोई कारण नहीं है. मेरे पास एक बहुत ही सपोर्टिव परिवार है जो मुझे जमीन से जोड़े रखता है. उन्होंने मुझे मेरे अच्छे और बुरे समय में देखा है. मेरे दोस्त और मेरे घरवाले मेरे साथ हैं.

इस फिल्म के लिए आपको आदित्य ने एकदम फ्रेश रहने के लिए कहा था. तो क्या किया फ्रेश रहने के लिए आपने?

फ्रेश बने रहने के लिए पहले तो आपको 6 से 8 घंटे के लिए सोना पड़ता है. सोएंगे नहीं तो आप अजीब लगेंगे. शॉट में जाएंगे तो वो आपके चेहरे पर दिख जाता है. और मेरे चेहरे पर तो पहले दिख जाता है. तो 8 घंटे की नींद ली. सुबह शूट के पहले आप कार्डियो या वेट करके आते हो तो पूरा सिस्टम ऑन हो जाता है. कार्डियो करो तो चेहरा चमकने लगता है. रही बात शराब की तो मैं ड्रिंक करता ही नहीं.

खाली डाइट करना पड़ा बेफिक्रे के लिए. तो जो भी पिज्जा या न्यूटैला टाइप का खाना मिलता था, वो तो सिर्फ शॉट के लिए मिलता था. आप और वो चल रहे हैं और चलते-चलते न्यूटैला खरीद कर खा रहे हैं. उस समय तो मैं अपने ट्रेनर को कहता था कि ये तो शॉट के लिए है लॉएड, शॉट के लिए. वो बहुत ही खड़ूस है. वैसे मुझसे पूछें तो मुझे डाइट करना पसंद नहीं है. मुझे खाना पसंद है और मीठा तो मेरी कमजोरी है.Befikre

इस फिल्म में आपने पेरिस में शूट किया है, तो इसके पहले कभी पेरिस गए थे या ये पहली बार था?

मेरा पेरिस से पुराना कनेक्शन है. मैं 21 साल का था जब शाद अली का असिस्टेंट डायरेक्टर था. मुझे याद है कि शुक्रवार की सुबह थी और शाद का फोन आया कि पेरिस आ जाओ. उन्होंने कहा कि तू एक्टर बनना चाहता है ना, तो आ बना देता हूं एक्टर. तू आ जा बस. तो मैं उठा और एंबेसी गया, अपनी टिकट बनवाई और पहुंच गया पेरिस.

हुआ ये था कि शाद वहां के शहरों के एक फेस्टिवल में परफॉर्म कर रहे थे. इस फेस्टिवल में देश-विदेश के कलाकार परफॉर्म करने आते थे. अब अगर ये फेस्टिवल हमारे यहां होता तो छत्रपति शिवाजी टर्मिनस या गेट वे ऑफ इंडिया के बगल में होता. तो पेरिस में जो मेन जगहें थी वहां पर ये परफॉर्मेंस हो रहा था. शाद जो कर रहे थे वो था बॉलीवुड सॉन्ग एंड डांस परफॉर्मेंस पर. जिसमें उन्होंने एक इंडियन आर्टिस्ट और एक फ्रेंच ऐक्टर को लिया था. जो फ्रेंच ऐक्टर था वो आखिरी दिन सरोज ख़ान की कोरियोग्राफी देखकर डरकर भाग गया.

शाद के पास कोई हीरो नहीं था तो शाद ने मुझे कहा. 24 घंटे के अंदर मैं पहुंचा पेरिस. गाना मैंने उनसे मंगवा लिया था. कोरियोग्राफी सीखी. उन्होंने एक खास गाना बनवाया था. प्यारेलालजी ने बनाया था. सोनू निगम और श्रेया घोषाल ने उसे गाया था. उसका कोई वीडियो कट भी है जो कहीं यशराज में ही होगा. मैं देखूंगा जरूर उसको. तो ये पहली बार था कि मैंने कैमरा फेस किया था.

लगता है बाजीराव के बाद दाढ़ी और मूंछों का लुक आप पर चिपक कर रह गया है?

मेरे ख्याल से तो अपने कैरेक्टर के लिए जो भी लुक हो वो करते रहना चाहिए. मैं उन अभिनेताओं को देखता हूं जो अपने रोल के लिए अपने लुक या बॉडी में बदलाव लाते हैं. तो वो मुझे बहुत लुभाता है. मेरे लिए किसी भी कैरेक्टर का लुक बहुत जरूरी है. मेरे लिए तो किरदार के लुक में जाना मतलब रोल मे जाने का पहला कदम है. कोई भी एक्टिंग कर सकता है लेकिन आप जो अपने रोल में एक किरदार को डेवलप करते हैं, वो ही तो है बात.

मेरी मैनेजमेंट टीम कहती है कि अब आप टकले होने वाले हो. शैंपू कंपनी पूछ रही थी क्या बोलेंगे अब उसको. मुझे तो खुद भी उन एक्टर्स को देख कर मजा नहीं आता जो हर फिल्म में एक जैसे दिखते हैं. सेम एक्टिंग, सेम लुक. अब आप 'बाजीराव मस्तानी' और 'दिल धड़कने दो' को ही देख लो. दोनों एक ही साल में आई थीं.Befikre-posters

आप बहुत एनर्जैटिक हैं, कैसे रह लेते हैं? खासकर तब जब आपका कंधा टूट गया था?

आप जानना चाहेंगे कि मैं कब डाउन महसूस करता हूं या उदास हो जाता हूं? जब मुझे कोई चोट लग जाए तब. मुझे लगता है कि मैं क्या कर रहा हूं. मैं तो कुछ भी नहीं कर पा रहा हूं. यहां से मुझे जाना है, उठना है, लोगों का मनोरंजन करना है. लेकिन बिना कंधे या हाथ के आप कितना कर लोगे? तो उस समय मैं बहुत डिप्रेस हो जाता हूं.

पिछले साल मैं तीन-चार महीने एक्शन से बाहर था. मेरा कंधा टूट गया था. वो मेरे जीवन का बहुत डार्क टाइम था. मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी उस सिचुएशन से बाहर निकलने के लिए. मैं बिल्कुल टूट हो गया था कि मेरे करियर की इतनी बड़ी फिल्म. कैसे होगा सबकुछ. कितनी तलवारबाज़ी करनी है. मैं दाएं हाथ से काम करता हूं और मेरा दायां हाथ ही टूट गया था.

हाल ही में ग्लोबल सिटिजन फेस्टिवल में आपने मल्हारी पर परफॉर्म किया था, तो आपका और बाजीराव का ये नाता कब तक रहेगा?

अब तो जिंदगी भर रहेगा. मेरे लिए जो बाजीराव ने किया है वो किसी भी फिल्म ने नहीं किया है. मैंने पिछले 6 साल में जो भरोसा कमाया था वो एकदम से डबल हो गया. तो बाजीराव मेरे लिए एक मील का पत्थर है. लेकिन मैं चाहता हूं कि ऐसी कई और फिल्में हों. मैं चाहता हूं कि मैं कई फिल्में करूं, कई रोल करूं, कई यादगार किरदार करूं. बाजीराव मेरे करियर का एक सुनहरा चैप्टर है लेकिन एक ही नहीं है. अभी और कई काम करने हैं.

एक बार आपने कहा था कि अब आपको मीडिया को हैंडल करना आ गया है. तो कैसे रिएक्ट करते हैं जब आपकी लव-लाइफ को लेकर, पैसे को ले कर या किसी भी चीज को ले कर कोई बात होती है?

पिछले 3-4 महीने में जो लिखा जा रहा है, बहुत अनाप-शनाप लिखा जा रहा है. पहले तो बहुत ही परेशान हो जाता था लेकिन तब मेरी शुरूआत थी. तो मुझ पर असर होता था. लेकिन अब जब भी कोई ऐसी खबर आती है तो पहले तो बुरा लगता है. लेकिन फिर लगता है कि ऐसा होने वाला है. आप इससे भाग नहीं सकते हैं. पिछले 6 साल में ऐसा एक-दो बार हुआ कि मुझे लगा कि ये तो ठीक नहीं है. मैं तो पढ़ता भी नहीं हूं आजकल. मेरी टीम पढ़ कर बताती है.

कभी-कभी लगता है कि ये जो सब लिखा है, कहां से मिल जाता है? कैसे लिख देते हैं? मेरा नाम लेकर अपनी जगह भर देते हैं. फिर लगता है कि इन सब बातों पर अटेंशन करूंगा तो कैसे चलेगा. मैं अपनी एनर्जी गलत जगह पर लगा रहा हूं. तो मैं आगे बढ़ जाता हूं. कभी कभी हंस देता हूं इन सब पर.

पद्मावती के बारे मे कुछ बताएं?

एक शेड्यूल पूरा हो गया है. भंसाली साहब बहुत खुश हैं मेरे काम से. बेफिक्रे रिलीज हो जाएगी तो फिर मैं पद्मावती के लिए शेड्यूल्ड हूं.

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