एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी ने अरुणाभ कुमार के खिलाफ पुलिस को शिकायत तो दर्ज करा दी है लेकिन पुलिस ने अभी तक इस केस में आगे कुछ भी नहीं किया है. पुलिस को इंतजार है कि पीड़िता खुद आकर अपना बयान दर्ज कराए क्योंकि बिना पीड़िता के सामने आए केस को आगे लेकर जाना संभव नहीं है.
ऐसे में मामला फिर वहीं का वहीं लटका नजर आ रहा है. इस बात के इंतजार में कि कब पीड़िता सामने आएगी और कब इस केस को आगे बढ़ाया जा सकेगा. पीड़िता के सामने ना आने की वजह से अभी तक उसकी सत्यता पर सवालिया निशान लगा हुआ है. टीवीएफ के कई लोग तो पहले से ही इन शिकायतों को कंपनी को बदनाम करने की साजिश बता चुके हैं.
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एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी ने ऑनलाइन एंटरटेनमेंट चैनल 'द वायरल फीवर' (TVF) के सीईओ अरुणाभ कुमार के खिलाफ मुंबई के एमईडीसी पुलिस स्टेशन में एप्लिकेशन देकर मामले की जांच की मांग की है. सिद्दीकी ने इसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा है कि पुलिस को अरुणाभ कुमार के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए.
गौरतलब है कि (TVF) की एक पूर्व कर्मचारी ने कंपनी के सीईओ और संस्थापक अरुणाभ कुमार पर ‘द इंडियन उबर - डेट इज टीवीएफ’ नाम से एक अज्ञात ब्लॉग के जरिए छेड़छाड़ की अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया है. महिला ने यह ब्लॉग ‘इंडियन फॉवलर’ के नाम से लिखा है.
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सिद्दीकी का कहना है कि यह मामला ख़ुद पुलिस भी दर्ज कर सकती थी. मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और यह बहाना बनाया कि उत्पीड़न की शिकार कोई पीड़ित सामने नहीं आ रही है. यही कारण है कि वो इस मामले को बतौर 'थर्ड पार्टी' दर्ज कराने की कोशिशों में जुटे हैं. वहीं एमआईडीसी पुलिस के वरिष्ठ निरीक्षक शैलेश पासलवार ने बताया कि सिद्दीकी ने कुछ दिनों पहले इस मामले को लेकर एक एप्लिकेशन देते हुए पीड़िता को सामने लाने की बात कही थी. फिलहाल हम पीड़िता के सामने आने का इंतज़ार कर रहे हैं.
सिद्दीकी के मुताबिक़, हम पीड़िता से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. अगर वो सामने नहीं भी आती तो पुलिस भारतीय क़ानून अधिनियम 195 से 199 के अंतर्गत मामले को दर्ज तो कर ही सकती है.
इसी संदर्भ में मुंबई स्थित 'स्टार्ट अप' कंपनी 'द वायरल फीवर' ने कहा है कि, "उसने अपने 'सीईओ' अरुणाभ कुमार पर लगाए गए कथित यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू कर दी है. लेकिन ये जांच सिर्फ उन बिंदुओं पर होगी जिसमें ऑफिस में काम करने के दौरान लगाए गए आरोप हैं. कंपनी उन आरोपों की जांच नहीं कर रही है, जिनका सरोकार बतौर व्यक्ति अरुणाभ कुमार से है और जिनका ऑफिस के काम काज से कोई लेना देना नहीं है."
क्या है मामला
उक्त ब्लॉग में महिला ने लिखा है कि, साल 2014 में अरुणाभ से पहली बार उसकी मुलाकात मुंबई के एक कैफे में हुई थी. वह लड़की बिहार के उसी शहर से हैं, जिससे कुमार ताल्लुक रखते हैं. इसलिए कुमार ने उसे अपनी कंपनी में नौकरी दे दी. ब्लॉग में महिला ने आरोप लगाया है कि कंपनी में काम करते हुए मात्र 21 दिन में ही पहली बार उसके साथ छेड़छाड़ की घटना हुई. मैं हैरान थी, उसके बाद तो यह रूटीन बन गया.
महिला ने कंपनी साल 2016 में छोड़ दी थी लेकिन महिला का कहना है कंपनी की लीगल टीम उन्हें कॉन्ट्रेक्ट तोड़ने के बारे में नोटिस भेजती रहती है. जैसे ही यह ब्लॉग वायरल हुआ तो 2 और महिलाएं इस महिला के समर्थन में आ गई.
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