25 साल की उम्र और राज़ी फिल्म की सफलता ने आलिया भट्ट को एक एक्सट्रेस के तौर पर दीपिका पादुकोण की बराबरी में ला खड़ा किया है. उनकी हालिया रिलीज़ हुई फिल्म ‘राज़ी’ ने रिलीज़ के बाद के पहले ही हफ्ते में 32.5 करोड़ का बिजनेस किया है, जो अब तक किसी और अभिनेत्री को हिस्से में नहीं आ पाया है.
ओरमैक्स मीडिया के शैलेश कपूर कहते हैं, ‘रिलीज के पहले ही दिन राजी फिल्म ने 7.5 करोड़ का बिजनेस किया है जो अब तक हिंदी फिल्मों की किसी भी बड़ी अभिनेत्री या फीमेल स्टार की फिल्म को मिली सबसे बड़ी ओपनिंग है.
जैसे, प्रियंका चोपड़ा की मेरी कॉम, कंगना रानौत की तनु वेड्स मनु और करीना कपूर की हिरोईन फिल्मों को मिली थी. अब अगला टारगेट 10 करोड़ की ओपनिंग को पाना है. जो आज तक किसी भी ऐसी फिल्म को नहीं मिला है जिसमें कोई बड़ा और व्यवसायिक हिट देने वाला पुरुष सुपरस्टार न हो. अब ये सिर्फ समय की बात है जब दीपिका या आलिया के हिस्से में ये सफलता भी आ जाए और वे इस मील के पत्थर को भी हासिल कर लें.’
ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श, फिल्म ‘राजी’ की सफलता और बिजनेस दोनों को देखकर चकित हैं. वे आलिया की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं. वे कहते हैं," आलिया को न सिर्फ दमदार और सशक्त रोल निभाने को मिल रहे हैं, बल्कि वो ऐसे किरदार को परदे पर निभा कर एक तरह का रिस्क भी ले रहीं हैं. वो एक एक्टर के तौर पर भी आगे बढ़ रही हैं और बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे भी फहरा रहीं है.
ये दोनों ही तरह से उन्हें जीत के नजदीक ले जाने वाले हालात हैं जहां उन्हें किसी नुकसान का सामना नहीं कर पड़ेगा. अपने फिल्मों की च्वाइस से वे खुद को एक एक्टर और एक स्टार दोनों ही तरह से साबित कर रहीं हैं. इस समय वे अपने चरम फॉर्म में हैं, सही मायने में देखें तो इस समय वे और दीपिका बिल्कुल साथ-साथ चल रहीं हैं. इंडस्ट्री में कुछ ऐसी एक्ट्रेस हैं जो रिस्क लेने से पहले खुद को स्थापित करना चाहती हैं, लेकिन आलिया ने ऐसा शुरू से ही किया. उनकी फिल्में हाईवे, डियर ज़िंदगी और अब राज़ी इस बात की मिसाल है कि इन फिल्में की सफलता उनके कंधों पर टिकी थी.
आलिया की पहली फिल्म, निर्माता-निर्देशक करण जौहर की स्टुडेंट ऑफ द ईयर थी, जिसने इंडस्ट्री में तीन नए कलाकारों को लॉन्च किया था (आलिया, वरुण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा). इस फिल्म ने अपने दिन की ओपनिंग में तकरीबन 7.48 करोड़ा रुपये कमाए थे. आलिया की अगली फिल्म हाईवे ने औसत रूप से अच्छा तकरीबन 3.42 करोड़ का बिजनेस किया था. उनकी अगली फिल्म टू-स्टेट्स ने 12.42 करोड़ का बिजनेस किया था, हंपटी शर्मा की दुल्हनिया ने तकरीबन 9.02 करोड़ और शानदार ने 13.10 करोड़ की ओपनिंग बिजनेस की थी.
कपूर के मुताबिक, "आलिया भट्ट ने बहुत ही छोटे समय के करियर में खुद को एक बड़ा स्टार बना लिया है, आज के दिन में उनकी लोकप्रियता उतनी है जितनी दीपिका पादुकोण की है. स्ट्रॉन्ग और मजबूत परफॉर्मेंस देने की उनकी क्षमता अद्भुत है. वे अलग-अलग किस्म की फिल्मों में बिल्कुल जुदा रोल निभाती हैं, इसमें युवाओं को पसंद आने वाली हल्की-फुल्की बद्रीनाथ की दुल्हनिया से लेकर उड़ता पंजाब और हाईवे जैसी यथार्थ के नजदीक फिल्में भी शामिल हैं. राज़ी के साथ ही आलिया एक एक्ट्रेस के तौर पर और बड़ी हुई हैं. उन्हें एक बड़े दर्शक वर्ग की तारीफें भी मिल रहीं हैं और स्वीकृति भी. इनमें युवा वर्ग भी शामिल है और 30 से ऊपर का भी, बड़े शहरों में रहने वाले लोग भी शामिल हैं और छोटे शहरों व मिनी मेट्रो में भी.’’
एक अलहदा सी यात्रा
नियम कायदों से अलग हटकर, आलिया ने इम्तियाज़ अली की फिल्म हाईवे करने का निर्णय लिया जो परफॉर्मेंस के लिहाज़ से एक बहुत ही मजबूत फिल्म थी. फिल्म में उनके साथी कलाकार रणदीप हुड्डा थे. आलिया की माँ अभिनेत्री सोनी राज़दान कहती हैं, ``आलिया की फिल्मी यात्रा बहुत ही विविध और अलग किस्म की है. गौर से देखा जाए तो उनकी यात्रा की तुलना उनके समय की किसी अन्य अभिनेत्री से नहीं किया जा सकता है. उन्होंने खुद से ही अपने करियर को लेकर कुछ बेहद ही साहसिक फैसले लिए हैं, जिसकी वजह से वे आज वहां खड़ी हैं जहां वे हैं.
मुझे उनकी ये बात पसंद है कि वे अपने दिल की सुनती हैं और अपने फैसले उसी के आधार पर करती हैं न कि ये सोचकर कि ये करना सही होगा या ये करना गलत होगा. वे इस बात की भी परवाह नहीं करतीं हैं कि उन्हें एक एक्ट्रेस के तौर पर क्या करना चाहिए. ये सब बातें उनकी पर्सनैलिटी के बारे में ये बताता है कि उनके अंदर एक ख़ास किस्म भावनात्मक समझदारी है जो उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.’’
अपने सिर्फ छह साल के छोटे से करियर में, उन्होंने ऐसे चुनौती से भरे किरदार किए हैं जो आम तौर पर उनकी उम्र की कोई भी अदाकारा करना स्वीकार नहीं करती. कोई भी इस जोखिम को उठाने को राज़ी नहीं होती. "और यही उनकी ताकत है", कहती हैं सोनी राज़दान. “इतनी क्षमता होना कि आप एक एक्टर के तौर पर रिस्क ले सकें और सफलतापूर्वक उसे निभा भी सकें. यही एक कलाकार का काम भी तो होता है."
धर्मा प्रोडक्शंस के अपूर्वा मेहता कहते हैं, “आलिया ने शुरू से इंडस्ट्री में स्थापित फिल्मकारों के साथ काम करने को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया, इसके बजाय वे नए डायरेक्टरों के साथ काम करते हुए ज्यादा दिखीं. उन्होंने अभी तक महेश भट्ट के होम प्रोडक्शन के लिए भी कोई फिल्म नहीं की है, हमने सुना है कि वो जल्द ही अश्विनी अय्यर तिवारी के साथ भी कोई फिल्म करने वाली है, जिन्होंने नील बट्टे सन्नाटा और बरेली की बर्फी जैसी फिल्में बनाई हैं.” वे आगे कहते हैं, "आलिया ने अपने शुरुआती दिनों से ही लीक से हटकर रोल किए हैं उन्हें इनको लेकर किसी तरह की दुविधा में नहीं देखा गया. फिर चाहे वो विशुद्ध रूप से कमर्शियल फिल्में करने का फैसला हो या फिर सामाजिक मुद्दों को उठाने वाली हाईवे और उड़ता पंजाब जैसी फिल्में हों जिसकी ताज़ा कड़ी राज़ी है.
आलिया ने लगभग अपनी हर फिल्म के किरदार के साथ न्याय किया है, उन्हें जो भी रोल दिया गया है वो उसमें पूरी तरह से फिट दिखी हैं. राज़ी में सहमत का किरदार निभाते हुए उन्होंने जिस तरह से अपनी मासूम खुबसूरती, ऑफिसर होने की चालाकी और उसका रुख़ापन जिस तरह पूरी गहराई से परदे पर लेकर आयी है उससे ये कहना गलत न होगा कि राज़ी फिल्म को आलिया ने पूरी तरह से अपने कंधे पर उठाया है. उन्होंने अपनी एक्टिंग की काबिलियत का अनूठा प्रदर्शन किया है. वो अपने किरदार में समानुभूति रखने वाली, ठोस और विश्वास करने लायक लगी हैं. ऐसा करते हुए उन्होंने कई परतों में लिपटे अपने किरदार को काफी अच्छे से जीया है.”
अपने किरदारों और फिल्मों के चयन में आलिया बहुत ज्यादा टैक्टिकल या यूं कहे कि चतुराई नहीं दिखा रही हैं, यहीं तक की कमर्शियल और कंटेट बेस्ड कहानियां चुनने में भी--ये मानना है फिल्म इंडस्ट्री की एक्सपर्ट भवानी अय्यर का, भवानी ने ही राज़ी फिल्म की कहानी भी लिखी है. भवानी आलिया को एक स्पेशल आर्टिस्ट कहती हैं. उनके मुताबिक, "आलिया एक बेहद ही स्पेशल आर्टिस्ट हैं. वो गिफ्टेड यानि कि नैसर्गिक रूप से गुणी हैं. ये देखा जा सकता है, लेकिन जो चीज़ उन्हें सबसे अलग बनाती है वो ये कि वे कभी भी अपने इस नैसर्गिक गुण को लेकर सहज या लापरवाह नहीं होतीं. वे बहुत मेहनती हैं और हमेशा एक छात्र की तरफ बर्ताव करतीं हैं.
REVIEW राज़ी : आलिया की एक्टिंग देखने के लिए अपने दिल को कर लीजिए ‘राज़ी’
उनमें काम को लेकर एक भूख है, हमेशा कुछ नया सीखने को लेकर उनके अंदर एक तरह का लालच है वो खूब-खूब नई चीज़ें सीखना चाहती हैं और उसे अपने जीवन में उतारना भी चाहती हैं. वे कठिन से कठिन सीन को भी आसान बना देती हैं. उनके पास एक कमाल का दिमाग है जिसकी बदौलत वे अपने किरदार को छोटी-छोटी बारीकियां प्रदान करती हैं जिसे आमतौर पर लोग मिस कर देते हैं. लेकिन वो उनका एक निजी तरीका होता है, अपने आर्ट और क्राफ्ट को बेहतर करने का, अपने परफॉर्मेंस को आकार देने का, ऐसे करते हुए उसे इस तरह की गूढ़ता प्रदान करने का जिसे आप या दर्शक सिर्फ फिल्मी पर्दे पर ही देख पाते हैं. आप एक दर्शक के तौर पर जब उन्हें परदे पर देखते हैं तो उसे पूरी संपूर्णता में देखते हैं, उन छोटे-छोटे निजी टुकड़ों में नहीं जो आलिया के जरिये उसमें डाला जाता है. जब आप वो पूरा परफॉर्मेंस एक साथ देखते हैं तो तब आपको लगता है कि आप कोई जीवित ओपेरा देख रहे हैं. उन्होंने सहमत के अपने किरदार को इतना रौशनमय कर दिया है कि वो किसी चमत्कार से कम नहीं है.’’
राज़ी का आलिया के करियर में किस तरह का प्रभाव पड़ेगा?
डिस्ट्रीब्युटर और एक्सहिबिटर अक्षय राठी कहते हैं राज़ी का बॉक्स ऑफिस नंबर किसी भी वैसी फिल्म के लिए सबसे बेहतरीन है, जिसकी लीड एक फीमेल एक्ट्रेस है लेकिन वे इसका पूरा क्रेडिट फिल्म के प्रोड्यूसर्स को देते हैं.
राठी कहते हैं, "हमें इसका श्रेय धर्मा प्रोडक्शंस और मेघना गुलज़ार को भी देना चाहिए, बशर्ते सफलता का सारा श्रेय फिल्म के कलाकारों और महिला शक्ति को. हमें धर्मा प्रोडक्शंस की तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने ऐसी कहानी का साथ दिया, एक ऐसी कहानी जिसने इस देश के लाखों-करोड़ों लोगों की सोच को प्रभावित किया. हमारे देश के लिए ये कोई बहुत आसान बात नहीं है कि, महिला मुद्दे पर बनी किसी कहानी ने पूरे देश को इतनी बड़ी संख्या में न सिर्फ प्रभावित किया बल्कि उन्हें पसंद भी आयी हो.”
वो आगे कहते हैं, “आलिया की लोकप्रियता के अलावा जो चीज़ मायने रखती है वो ये कि धर्मा प्रोडकर्शंस और मेघना गुलज़ार एक ऐसी कहानी को लेकर लोगों के सामने आये, उसे इस तरह से सजा कर पेश किया, उसकी मार्केटिंग की और कई और चीजें हैं जो इस नतीजे यानि फिल्म की सफलता के लिए ज़िम्मेदार है. हालांकि, ये सब कहने के बाद मैं ये भी कहना चाहुँगा कि फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी लीड एक्ट्रेस आलिया भट्ट और दर्शकों के बीच उनकी अपार लोकप्रियता ही है.”
लेकिन क्या इसके बाद फिल्म बनाने के धंधे से जुड़े लोग, ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को केंद्र में रखकर बनायी गई फिल्मों में पैसा लगाने को तैयार होंगे? इसका जवाब देते हुए अक्षय राठी जेंडर से जुड़े मुद्दों से अलग हटकर जवाब देते हैं, "मैं उम्मीद करता हूं कि हिंदी फिल्मों से जुड़े निर्माता- निर्देशक ऐसी फिल्मों में पैसा और ताकत लगाएं जहां महिलाएं मुख्य भूमिका में हों. उनका फोकस स्टार मैटीरियल में नहीं होना चाहिए, बल्कि फिल्म की दमदार कहानी में होना चाहिए. ईमानदारी से कहें तो- हमें सिर्फ जेंडर के मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए, हमें उसके इतर भी देखने की जरूरत है.
हमारे देश के दो बड़े स्टार हिट फिल्म देने में चूक गए क्योंकि उनकी फिल्म की कहानी में कोई दम नहीं था. ये दोनों फिल्में थीं शाहरूख़ ख़ान की चेन्नई एक्सप्रेस और सलमान खान की टाईगर ज़िंदा है. इसलिए हम ये कह सकते हैं किसी भी फिल्म की सफलता उसके स्टार पॉवर पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि उस फिल्म के पास एक अच्छी और दमदार कहानी का होना भी बेहद ज़रूरी है. जब भी किसी फिल्म के बनाने में इन दोनों चीज़ों के कॉम्बिनेशन का ध्यान रखा जाएगा और ये दोनों चीज़ें उसमें होंगी, तब तक उस फिल्म की सफलता की गारंटी होगी. वो फिल्म बॉक्स ऑफिस में पैसे कमाने में जरूर सफल होगी.’’
लेकिन ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श मौजूदा हालात को लेकर काफी पॉज़िटिव हैं और उनके पास अपना एक अलग तर्क है. वे साफ-साफ लहज़े में कहते हैं, “हिंदी फिल्मों के निर्माता ऐसी फिल्मों में पैसा लगाने को ज़रूर तैयार होंगे और राज़ी फिल्म इस बात की गवाह भी है, लेकिन इसकी कुछ शर्तें भी हैं. हम ऐसी फिल्मों का निर्माण ऐसे व्यवसायिक तरीके से करें कि वो कमर्शियल फिल्मों की कसौटी पर भी खरी उतरे, आप विशुद्ध तौर पर एक आर्ट-हाउस या पैरेलल सिनेमा बनाकर दर्शकों को सामने परोस देंगे और सोचेंगे या चाहेंगे कि वो फिल्म भी इतनी ही कमाई कर लें तो आप मुगालते में होंगे, ये कभी भी नहीं हो पाएगा.”
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