दीपिका पादुकोण का स्टारडम इतना बड़ा है कि अगर वो खुद किसी के साथ काम करने की ख्वाहिश जाहिर करें तो उन्हें भला कौन मना कर सकता है? बात अगर बॉलीवुड की होती तो शायद कोई नहीं लेकिन बॉलीवुड से बाहर शायद दीपिका का ये स्टारडम ज्यादा मायने नहीं रखता.
शायद यही वजह है कि ऑस्कर अवॉर्ड नॉमिनेटेड ईरानी डायरेक्टर माजिद मजीदी की फिल्म 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' के लिए दीपिका की जगह मालविका मोहनन को साइन कर लिया गया है.
इस फिल्म के लिए दीपिका ने ना केवल अपना लुक टेस्ट दिया बल्कि इसमें काम करने के लिए काफी दिनों तक मजीदी से संपर्क भी करती रहीं लेकिन मजीदी ने दीपिका के दावे को खारिज करते हुए मालविका के नाम का एलान कर दिया.
'बियॉन्ड द क्लाउड्स' की टीम ने अपनी फिल्म से जुड़े अफवाहों को खारिज करते हुए एक स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि उनकी फिल्म में मालविका मोहनन को कास्ट कर लिया गया है और वह मुंबई में पिछले एक हफ्ते से फिल्म के निर्देशक मजीदी के साथ फिल्म की शूटिंग भी कर रहीं हैं.
मलयाली फिल्मों से जुड़ी अभिनेत्री मालविका मोहनन मशहूर सिनेमेटोग्राफर के यू मोहनन की बेटी हैं. खबर है कि मालविका को ह्यूमन रिलेशनशिप को लेकर हाजिरजवाब होने की वजह से इस किरदार के लिए चुना गया था. निर्माताओं के अनुसार 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' भाई और बहन के रिलेशनशिप को केंद्र में रखकर बनाई जा रही कहानी है.
ख़बरों के मुताबिक़ इस फिल्म के लिए मजीदी को एक नए चेहरे की तलाश थी जिससे दर्शक ज्यादा वाकिफ ना हों. जबकि इस फिल्म को लेकर बॉलीवुड अभिनेत्रियों के बीच होड़ सी मची हुई थी. दीपिका के कद को देखते हुए उनका दावा सबसे मजबूत नज़र आ रहा था. लेकिन बात बनी नहीं.इस तरह दीपिका एक न्यूकमर के हाथों मात खा गई.
'बियॉन्ड द क्लाउड्स' से शाहिद कपूर के छोटे भाई ईशान खट्टर अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत कर रहे हैं. फिल्म में ईशान और मालविका भाई-बहन की भूमिका में नजर आएंगे.
दुनिया की तीन सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में एक हैरी पॉटर है. हैरी पॉटर पर बैन की भी सबसे ज्यादा मांग की गई है
मुस्लिम ड्राइवर होने पर ओला की राइड कैंसल करने वाले अभिषेक मिश्रा का ट्विटर हैंडल वेरिफाइड है और उन्हें कई केंद्रीय मंत्री ट्विटर पर फॉलो भी करते हैं.
चुनाव आयोग की मंजूरी का इंतजार कर रहे इस समूह ने अपने राजनीतिक संगठन का नाम ‘बहुजन आजाद पार्टी’ (बीएपी) रखा है
बीजेपी अध्यक्ष ने महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं को कहा, हमें सिर्फ 5, 10, या 15 वर्षों तक चुनाव जीतन को लेकर खुद को सीमित नहीं करना है, बल्कि अगले 50 वर्षों में होने वाले पंचायत से लेकर संसद तक के हर चुनाव को जीतने का लक्ष्य बनाना होगा
कंपनियां ऐसे नियम बना रही हैं जहां किसी व्यक्ति की राय को कंपनी की राय मानते हुए उसके सोशल मीडिया पर रोक लगाई जा सकती है