ठग्स ऑफ हिंदोस्तान के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि ये बॉलीवुड के इतिहास की अब तक की सबसे महंगी फिल्म है और यहां पर मैं दक्षिण की फिल्मों की बात नहीं कर रहा हूं.
अगर ठग्स ऑफ हिंदोस्तान को बनाने में इतने रुपये खर्च किये गए हैं तो फिल्म देखने के बाद काफी दुःख होता है क्योंकि इस पैसे की वसूली न के बराबर है. न अभिनय के मामले में, न कहानी के मामले में और न ही एक अनुभव के मामले में.
बेहतर ये होता कि इस फिल्म के निर्माता यशराज फिल्म्स इन्हीं पैसों से पांच मर्दानी और पांच रॉकेट सिंह सेल्समैन ऑफ द ईयर जैसी फिल्में बना लेते. ठग्स ऑफ हिंदोस्तान को देखने का अनुभव काफी अंडर व्हेल्मिंग है और इसकी वजह इसकी बेहद ही साधारण कहानी है जिसमें उतार चढ़ाव तो है लेकिन उनसे आपका दिल नहीं भरेगा. आमिर खान और अमिताभ बच्चन पहली बार रुपहले पर्दे पर एक साथ आए हैं और नतीजा फुस्स निकला है. अगर ये कहें कि ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान साल 2018 की सबसे बड़ी निराश करने वाली फिल्म है तो ये कहीं से गलत नहीं होगा.
कहानी बेहद ही साधारण है
इस फिल्म की कहानी की शुरुआत मिर्जा सिकंदर बेग (रोनित रॉय) से होती है जो एक रियासत के मालिक हैं. अंग्रेज उनकी रियासत को धोखे से अपने कब्जे में ले लेते हैं. लेकिन इसे बचाने में मिर्जा बेग और उनके बेटे की मौत हो जाती है. अंग्रेज अफसर क्लाइव जब मिर्जा बेग की बेटी को मारने वाला होता है तभी खुदाबक्श जहाजी (अमिताभ बच्चन) एन वक्त पर पहुंचकर उसकी जान बचा लेता है और रियासत से दूर ले जाकर उसकी परवरिश अपने सरंक्षण में करता है.
फिरंगी मल्लाह (आमिर खान) अवध का जाना-माना ठग है जो अंग्रेजों के लिए काम करता है. जब अंग्रेज खुदाबक्श को अपने रास्ते से हटाने की चाल चलते हैं तब उनको फिरंगी की जरुरत पड़ती है. फिरंगी अपना जाल बुनना शुरू कर देता है और खुदाबख्श के काफी करीब पहुंच जाता है.
फिरंगी की ठग नीयत की वजह से खुदाबख्श को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है जो फिल्म का इंटरवल पाइंट भी है. उसके बाद पासे पलट जाते हैं और अंत में कई चीज़ों का खुलासा होता है.
ये फिल्म मसाला फिल्म के नाम पर आपको ठगेगी
इस फिल्म की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि फिल्म में ऐसा एक भी सीन नहीं है जिसके अंदर खूबी हो आपको अपने सीट से चिपकाने की. लगभग पौने तीन घंटे की ये फिल्म आपको बोर ज्यादा करती है. आपको इस बात की जानकारी पहले हो जाती है कि आगे क्या होने वाला है. इस फिल्म के बारे में ऐसा कहा जा सकता है कि जिस तरह की बदले की भावना से ओत प्रोत फिल्में हम 80 के दशक में देखते थे, ठग्स ऑफ हिंदोस्तान कुछ वैसी ही है. अगर कुछ कमी रह गई है इस फिल्म में तो वो ये है कि फिल्म मेकर्स बदले जमाने के साथ इस फिल्म के रंग रूप को बदल नहीं पाए हैं.
अगर फातिमा सना शेख का किरदार धनुष और तीर के साथ अपने दुश्मनों का मुकाबला करता है तो जाहिर सी बात है कि आपको बाहुबली 2 के उस सीक्वेंस की याद आएगी जब बाहुबली अपने दुश्मनों का मुकाबला तीर धनुष से करता है. कहने की जरुरत नहीं है कि ठग्स इस मामले में काफी पीछे रह जाता है.
सिर्फ आमिर के कंधों पर फिल्म
अभिनय की बात करें तो आमिर खान को छोड़कर फिल्म में एक भी ऐसा कलाकार नहीं है जिसने अपने अभिनय कौशल दिखाए हो. अमिताभ बच्चन और फातिमा सना शेख को देखकर लगता है कि फिल्म के निर्देशक उनसे ये कहना भूल गए कि अभिनय आपको दिल से करना है. अमिताभ बच्चन के अभिनय कौशल के बदले उनके कुछ डायलॉग और चेहरे पर गुस्से के भाव ज्यादा देखने को मिलते हैं. फातिमा शेख का अभिनय बेहद साधारण है. समझ में नहीं आता कि कैटरीना कैफ ने अपने रोल के लिए हामी क्यों भरी. कैटरीना ने फिल्म के दो गानों में अपना पूरा ग्लैमर उड़ेल दिया है और उसके बाद वो फिल्म से लगभग गायब ही नज़र आती हैं.
फिल्म की बर्बादी के लिए कई लोग जिम्मेदार
ठग्स ऑफ हिंदोस्तान अगर एक बकवास फिल्म बनी है तो इसके पीछे कई लोग जिम्मेदार हैं. विजय कृष्णा आचार्य का निर्देशन बेहद औसत दर्जे का है. लगता है कि जब उनको इस बात का पता चल गया था कि फिल्म में अमिताभ बच्चन और आमिर खान एक साथ काम करने वाले हैं तब लगता है कि उसके बाद वो ख़ुशी के मारे अपना असली काम करना भूल गए. अजय-अतुल का संगीत बेहद ही साधारण है और ये यशराज फिल्म्स की परंपरा से मेल नहीं खाता. काश इस फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर देने वाले पर फिल्म के निर्माता ने अपनी चाबुक चलाई होती. इतना लाउड म्यूजिक फिल्म व्यूइंग एक्सपीरियंस को और कमजोर बनता है.
2018 की सबसे खराब फिल्म
देखकर बेहद अफसोस होता है कि फिल्म के बजट का किसी ने आदर सम्मान नहीं किया. कुछ सालों बाद जब इस फिल्म के बारे में लोग बात करेंगे तो इसके बारे में वो यही कहेंगे की अमिताभ बच्चन और आमिर खान जब पहली बार ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान में एक साथ आए थे तब वो फिल्म धमाका करने के बजाये फुस्स साबित हुई था. यही गुजारिश है की इस फिल्म से आप दूर रहे. ये फिल्म पूरी तरह से पैसे की बर्बादी है.
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