अपनी फिल्म का प्रमोशन करके जनता को थिएटर्स तक लाना स्टार्स की ‘मजबूरी’ है लेकिन जनता वर्ड ऑफ माउथ से व्यूअर्स को थिएटर्स तक लाए ये बॉलीवुड के लिए ‘जरूरी’ है और ऐसी ही एक ‘जरूरी’ फिल्म अंधाधुन का रिव्यू हम आपके लिए लेकर आए हैं. आप पढ़कर देखिए कि ये फिल्म व्यूअर्स के लिए क्यों ‘जरूरी’ है.
अंधे की ‘धुन’ की कहानी
अंधाधुन की स्टोरी घूमती है आकाश के इर्दगिर्द जिसका रोल आयुष्मान खुराना ने निभाया है. आकाश पियानो बजाता है और अंधा बनकर लोगों की सहानुभूति बटोरने की भी कोशिश करता है. ऐसी ही सहानुभूति के दौरान उसकी मुलाकात राधिका आप्टे से हो जाती है. ये सहानुभूति प्यार में बदल जाती है और आकाश राधिका के पिता रेस्टोरेंट में पियानो बजाने लगता है. इसी रेस्टोरेंट में उसकी मुलाकात प्रमोद सिन्हा (अनिल धवन) से होती है. जो अपनी शादी की सालगिरह पर पियानो बजाने के लिए आकाश को अपने घर बुलाते हैं. वो अपनी पत्नी सिमी (तब्बू) को सरप्राइज देना चाहते हैं. लेकिन उन्हें सालगिरह के दिन मौत का सरप्राइज मिल जाता है.
आकाश उनके घर पर पियानो बजा रहा होता है वहीं पर उनकी लाश को ठिकाने लगाने की तैयारी होती है. अंधा आकाश ये सब कुछ देख लेता है जब ये बात हत्यारों का पता चलती है तो फिर शुरू होता है हत्याओं का सिलसिला. हत्यारों से खुद का बचाने के लिए आकाश क्या-क्या खेल खेलता है ये इस फिल्म में देखने के लिए आपको जरूर थिएटर्स का रुख करना चाहिए.
एक्टर्स ने जीता दिल
अंधे की एक्टिंग के लिए आयुष्मान खुराना ने खुद का अच्छी तरह से तैयार किया है. फिल्म में काफी देर तक आप ये पता लगा नहीं पाएंगे कि क्या आकाश सच में अंधा है या उसे कुछ दिखाई भी देता है. आयुष्मान खुराना के एक्टिंग करियर का ये सबसे धमाकेदार रोल है. राधिका आप्टे ने फिल्म में अच्छी एक्टिंग की है और वो अपने हुस्न का जादू लोगों पर एक्टिंग से ज्यादा यहां छोड़कर जाने वाली हैं. लेकिन सबसे धमाकेदार एक्टिंग की बात की जाए तो सेहरा तब्बू के सिर बंधेगा. जिनकी एक्टिंग को देखकर अब आगे उनके पास ढेरों ऑफर्स की लाइन लगने वाली है ये पक्का समझिए.
डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन श्रीराम राघवन ने किया है जो इससे पहले बदलापुर, एजेंट विनोद, जॉनी गद्दार जैसी फिल्में बना चुके हैं. बदलापुर में उनके काम की काफी तारीफ हुई थी लेकिन अंधाधुन देखकर लोग उन्हें फिल्ममेकिंग का मास्टर जैसे टैग्स से नवाज रहे हैं. स्टोरी से लेकर स्क्रीन प्ले, सस्पेंस, थ्रिल और म्यूजिक हर चीज में श्रीराम राघवन की पकड़ पूरी फिल्म पर इतनी मजबूत है कि फिल्म में एक भी सीन ऐसा नहीं है जिसे आप मिस कर सकें.
संगीत
अंधाधुन के गाने उतने मशहूर नहीं हुए है लेकिन आप फिल्म देखकर आने के बाद उन्हें अलग से सुनेंगे इसकी गारंटी है. नैना दा क्या कसूर और आपसे मिलकर अच्छा लगा...छाप छोड़कर जाते हैं. अमित त्रिवेदी ने फिल्म के म्यूजिक के लिए मेहनत की है.
वरडिक्ट
इस वीक आप इस क्राइम सस्पेंस को मिस नहीं कर सकते हैं. आपके मनोरंजन के लिए इस फिल्म की टीम ने काफी मेहनत की है और हां इस फिल्म का उतना प्रमोशन नहीं किया है. जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने आप पर छोड़ दी है और हमें उम्मीद है कि आप उसे बखूबी निभाएंगे.
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