‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ बॉक्स ऑफिस पर काम क्यों करेगी इसके पीछे की एक बड़ी वजह मैं आपको बताता हूं. कुछ हफ्ते पहले एक और सीक्वल ‘साहब बीवी और गैंगस्टर 3’, रिलीज हुई थी जिसका बॉक्स ऑफिस पर बड़ा बुरा हश्र हुआ था. अगर आपने ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ का ट्रेलर देखा होगा तो आपको इस बात का अहसास होगा कि जो दुनिया मुदस्सर ने अपनी पहली फिल्म में बनाई थी वही दुनिया दूसरी फिल्म में भी नजर आती है. फिल्म की स्टार अट्रैक्शन सोनाक्षी सिन्हा उसी दुनिया का हिस्सा हैं न कि वो दुनिया सोनाक्षी की दुनिया का हिस्सा है. कहने का मतलब ये है कि समझौता किसी भी तरह से नहीं किया गया है और फिल्म के इस मूल सोच को सम्मान भी दिया गया है. ट्रेलर में चीजें बग्गा और अफरीदी पर केंद्रित है न कि सोनाक्षी सिन्हा के ऊपर और यहीं पर ‘साहब बीवी और गैंगस्टर 3’ पूरी तरह से मात खा गई थी जहां पर उस दुनिया के बाशिंदों ने अपना खुद का रैन बसेरा छोड़ कर बाहर की दुनिया से आए संजय दत्त के महिमामंडन में लग गए थे. लेकिन खामियां भी हैं इस फिल्म में और अगर किसी बात की परेशानी है तो वो है इसकी लिखावट को लेकर जो पहली फिल्म जैसी नहीं है. कई बार यही लगता है कि ये फिल्म गोले में भाग रही है और अपनी बात कह नहीं पा रही है. दूसरी हैप्पी में मस्ती की कमी आपको नजर आएगी.
इस बार हैप्पी शंघाई पहुंच गई है
फिल्म की कहानी पटियाला की हैप्पी या हरप्रीत कौर (सोनाक्षी सिन्हा) के बारे में है जिसे चीन में प्रोफेसर की नौकरी मिल जाती है. कहानी तब शुरू होती ही जब वो दिल्ली से शंघाई पहुंचती है और एयरपोर्ट पर ही कुछ लोग उसे अगवा कर लेते हैं पहली हैप्पी (डायना पेंटी) समझ कर. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसी विमान से पहली फिल्म की हैप्पी और उसके पति गुड्डू शंघाई की यात्रा पर हैं. हैप्पी को अगवा करने के पीछे कुछ ऐसे लोग हैं जो ये चाहते हैं कि हैप्पी लाहौर जाकर बिलाल अहमद से एक बार फिर मिले और इस बात की गुजारिश करे कि जिन पाकिस्तानी लोगों को कुछ काम का कॉन्ट्रैक्ट उनको चीन में दे दिया है वो उसको बदल दें. इस काम में जुड़े चीनी लोग अपने हाथ गंदे नहीं करना चाहते हैं और इसी वजह से वो दमन सिंह बग्गा और उस्मान अफरीदी को भी अगवा करके शंघाई ले आते हैं ताकि हैप्पी ये काम कर दे. लेकिन जब हैप्पी कैद से भाग निकलने मे कामयाब हो जाती है और जब उसकी मुलाकात भारतीय दूतावास में काम करने वाले खुशवंत सिंह गिल से होती है तब परेशानियों की आफत सर पर आ जाती है जिसमें आगे चल कर पहली फिल्म के सभी किरदार एक-एक करके शामिल हो जाते हैं. आखिर में जब दोनों हैप्पी मिलती हैं तब परेशानियों की गुत्थी सुलझ जाती है.
जिमी शेरगिल और सोनाक्षी सिन्हा का शानदार अभिनय
फिल्म के सभी कलाकारों ने फिल्म में शानदार अभिनय किया है. जिमी शेरगिल और पीयूष मिश्रा ने वहीं से शुरूआत की है जहां पर उन्होंने चीजों को पहली फिल्म में खत्म किया था. अगर ये कहें कि जिमी सही मायनों में फिल्म की जान हैं तो वो कहीं से भी गलत नहीं होगा. आमतौर पर हिंदुस्तान में जो स्लैपस्टिक कॉमेडी बनती है उसका मापदंड आजकल साजिद खान की फिल्में या फिर इंद्र कुमार की कॉमेडी ही बनी हुई है. लेकिन ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ इस मिथ को तोड़ती है और बताती है कि स्लैपस्टिक होने के बावजूद भी एक स्वस्थ मनोरंजक फिल्म बनाई जा सकती है. हैप्पी की दुनिया में इस बार दो नए कलाकारों की एंट्री होती है - सोनाक्षी सिन्हा और जस्सी गिल. सोनाक्षी को देखकर यही लगता है कि निर्देशक ने अपने चुनाव में कही से भी कोई गलती नहीं की है. सोनाक्षी सिन्हा को देखने के बाद यही लगता है कि क्या ये असल जिंदगी में पंजाबी हैं. सोनाक्षी सिन्हा का अभिनय काफी कंट्रोल्ड है और बिलकुल सधा हुआ अभिनय किया है. जिमी शेरगिल के अभिनय की धार पहले से ही तेज थी और इस बार भी बग्गा के रूप में बता दिया है कि फिल्म के लीड में होने या न होने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है. कुछ फर्क पड़ता है तो फिल्म की कहानी से और इसको जीवंत करने वाले किरदारों से. जिमी का किरदार फिल्म में शानदार है लेकिन इस फिल्म में उनका साथ पीयूष मिश्रा से नहीं मिल पाया है जो अपने अभिनय में हैम करते हैं. जस्सी गिल को देखने के बाद यही लगता है कि पंजाब से आजकल टैलेंट की बाढ़ आ रही है. अपने किरदार में जस्सी बेहद सहज नजर आएं हैं.
मुदस्सर ने मेहनत की है लेकिन वो स्क्रीन पर नजर नहीं आता है
मुदस्सर ने जो दुनिया पहली फिल्म में बनाई थी, वही दुनिया इस फिल्म में भी रखा है अगर कुछ बदला है तो वो है इस फिल्म का लोकेशन जो इस बार पाकिस्तान से चीन हो गया है. उनको इस बात का इल्म था कि पहली फिल्म को पसंद करने की वजह उसकी दुनिया था लिहाजा उनकी इस फिल्म के किरदार वही हैं और पिछली ही वेश भूषा इस बार भी है. कॉमेडी बनाना कोई आसान काम नहीं होता है और इस फिल्म को देखकर लगता है कि मेहनत पूरी तरह से की गई है. डायलॉग वगैरह पर उनकी पकड़ दिखाई देती है लेकिन एक्जीक्यूशन में वो भटक गए हैं. कई बार लगता है कि उनकी कहानी की सुई अटक क्यों गई है? जिस तरह की केमिस्ट्री फिल्म में जस्सी गिल और जिमी शेरगिल के बीच देखने को मिली है वो बेहद ही कमाल की है. जब जस्सी जिमी को चिढ़ाते हैं वो काफी निराला बन पड़ा है. लेकिन फिल्म में कुछ और भी परेशानियां हैं. सोनाक्षी सिन्हा का एक ट्रैक फिल्म में जहां पर उनकी शादी के पहले उनका मंगेतर उनको छोड़ कर चीन चला जाता है जिसका सदमा उनके पिता पर पड़ता है. इसके बाद की कहानी में जब वो उसकी तलाश में होती है और आखिर में जब उनको इस बात की जानकारी होती है कि उनके मंगेतर ने उनको क्यों छोड़ा था, पता चलने के बाद अटपटा लगता है. वहां पर यही महसूस होता है कि जो वजह फिल्म में बताई गई है उससे कोई और भी बड़ी तगड़ी वजह फिल्म में बताई जाती तो मजा दोगुना हो सकता था.
हैप्पी के मनोरंजन में बेशक आपको कमी मिलेगी लेकिन ये फिल्म ठगती नहीं है
‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ हिंदुस्तान में बनने वाली स्लैपस्टिक कॉमेडी फिल्मों के लिए एक सबक है कि बिना किसी भौंडापन और डबल मीनिंग डायलॉग के सहारे भी एक साफ सुथरी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है. लेकिन फिल्म देखते वक्त इस बात का भी अहसास होता है कि ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ एक बिंदु पर ही अटकी हुई है और बातें आगे नहीं बढ़ रही हैं. इसके अलावा भी कई खामियां हैं लेकिन इस फिल्म को आप सिरे से नकार भी नहीं सकते. स्लैपस्टिक होने की वजह से आप दूसरा चश्मा पहनकर इसे सिरे से खारिज भी कर सकते हैं लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए. हैप्पी आपका मनोरंजन करेगी और कई बार आपको चीजें बेतुकी भी लगेंगी लेकिन लेकिन ये फिल्म ठगती नहीं है.
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