शाहरुख खान 51 साल के हो गए हैं. इस उम्र तक आते-आते आम लोग अपना बर्थडे भूलने लगते हैं. उन्हें बीपी, ब्लड शुगर और कॉलेस्ट्रॉल की चिंता रहती है. वो अपना रिटायरमेंट प्लान करने लगते हैं, बच्चों की शादी, घर-मकान के झंझट और ईएमआई से मुक्ति की रुपरेखा तय करते हैं. दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का शायद इन सब पचड़ों में ही पड़ा रह जाता. अगर उसने तीस साल पहले दिल्ली से मुंबई की ट्रेन न पकड़ी होती.
आप उनकी एक्टिंग पसंद करें न करें. बाजीगर या डर की तरह उनके खास तरह के हकलाने वाले अंदाज पर कितनी भी मसखरी कर लें. दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के उनके आयकॉनिक पोज़ की कितनी भी हंसी उड़ा लें. हर दूसरी कामयाब फिल्म में उनके फिल्मी नाम राहुल पर भले ही अब बोरियत महसूस करने लगें. आपको उनके मेहनत से बनाए स्टारडम की तारीफ करनी होगी. अपने करियर की नींव के पत्थर से लेकर बुलंद इमारत की तामीर खींचने तक एक-एक ईंट उन्होंने अपने हाथों से रखी है. इसलिए उनका स्टार पावर सबसे खास हो जाता है.
जरा याद करके देखिए. फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कितने स्टार हुए हैं जिनके डायलॉग की मिमिक्री करते हुए आपने खुद की कलाकारी पर फख्र किया हो. भले ही वो हल्केफुल्के अंदाज में घरपरिवार,दोस्तों या किसी पार्टी में ही आपको अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला हो...
क...क...क...किरण... या बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं सैनोरिटा. या हारकर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं. या जिसे शिद्दत से चाहो उससे मिलाने की साजिश सारी कायनात करती है.
रोमांस की शुरुआत निगेटिव
इश्क के जुनून की जो तस्वीर शाहरुख खान ने खींची. वो दूसरी कहीं नहीं दिखती. चाहे डर हो, या बाजीगर, या फिर अंजाम. दर्शकों के दिलोदिमाग को फिल्म की कहानी से ज्यादा किरदार के अभिनय ने झकझोरा. आलोचकों ने कई मौकों पर इसे शाहरुख खान की ओवरएक्टिंग करार दिया. लेकिन दर्शकों के लिए ये ज्यादा मायने नहीं रख पाया.
नब्बे के दशक में शाहरुख खान सिनेमाई इश्क के बेमिसाल सितारे बन गए. दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), कुछ कुछ होता है (1998) ने शाहरुख खान का कद बहुत बड़ा कर दिया. उनके स्टारडम ने कभी बादशाह का नाम दिया, कभी किंग खान का, तो कभी एसआरके का.
कामयाब होने का कोई तय फॉर्मूला नहीं होता. बस गलतियां कम करनी होती हैं. आपको आलोचकों के मुंह से भी शाहरुख खान की गलतियां कम ही सुनने को मिलेंगी. आप कह सकते हैं कि शाहरुख खान चालाक हैं, क्योंकि वो बड़े से बड़े विवाद से खुद को बाहर निकाल ले जाते हैं. होशियार हैं, क्योंकि आमिर और सलमान के सामने होने के बावजूद अपनी खान वैल्यू उन्होंने कम नहीं होने दी. हाजिरजवाब हैं, क्योंकि मीडिया के सवालों में उलझने से वो साफ बच जाते हैं.
बॉलीवुड में खान होना अपने आप में एक खासियत है. लेकिन ये खासियत मुंबई के बाहर कई बार उलझनें भी पैदा करती है. मुंह पर ताले लगवा देती है. विदेशी एयरपोर्ट पर कपड़े उतरवा देती है. सहिष्णुता-असहिष्णुता के मुद्दे पर मन की बात कहने पर राजनीतिक मुद्दा बना देती है. शाहरुख खान ने दोनों नावों की सवारी की है.
शाहरुख खान के पिता इंजीनियर थे. लेकिन शाहरुख की दिलचस्पी मशीनों में नहीं थियेटर में थी, टीवी में थी, सिनेमा में थी. जिस दौर में फिल्म इंडस्ट्री में सिनेमा से जुड़े स्टार पुत्रों का पर्दापण हो रहा था. शाहरुख खान बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के सिनेमा में अपने पैर जमाने चल दिए. थियेटर से टीवी और टीवी से सीधे फिल्में. अस्सी के दशक में उन्होंने फौजी और सर्कस से घर-घर में अपनी पहचान बनाई. लेकिन खुद को टीवी तक समेटे नहीं रखा.
शाहरुख के साथ कई कामयाब फिल्में दी चुकीं जूही चावला उनके फिल्म डेब्यू पर मजेदार किस्सा सुनाती हैं. फिल्म राजू बन गया जेंटलमैन के लिए जूही चावला के पास हिरोइन का ऑफर आया. उस वक्त तक जूही चावला अपनी पहली हिट फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ के अलावा पांच फिल्में कर चुकी थीं. जबकि शाहरुख खान पहली बार टीवी से फिल्मों में आ रहे थे.
कहानी पसंद आने पर जूही ने पूछा कि फिल्म का हीरो कौन है. उनका दिल रखने के लिए कहा गया कि है तो नया लड़का. लेकिन दिखने में आमिर खान की तरह है. आमिर की तरह दिखने वाले लड़के के नाम पर जूही ने फिल्म करना मंजूर कर लिया. लेकिन शूटिंग के पहले ही दिन शाहरुख को देखकर खुद को रोक नहीं पाई. बोल पड़ी- ‘यही हीरो है, आमिर खान की तरह दिखने वाला !’. एक टेलीविजन इंटरव्यू में जूही ने बताया कि उस वक्त वो सोच रही थी कि ये किस एंगल से आमिर खान लगता है. आज वही शाहरुख खान हैं. जिन्हें अगर एक आम आदमी पहचानने से इनकार कर दे, तो शायद वो बुरा मान जाएं.
शाहरुख खान 51 साल के हो गए हैं. लेकिन इसे बार-बार कहने की कोई जरूरत नहीं है. ये सिर्फ टेलीविजन, अखबार और डिजीटल मीडिया के लिए एक मौका भर है. आप शाहरुख खान के बहाने अपने अपने हिस्से का इश्क याद करें. किस राहुल ने सैनोरिटा के ख्वाब न संजोए होंगे. और ऐसा करते हुए खुद के शाहरुख होने का अहसास न किया होगा.
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