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Happy Birthday Mohit Chauhan: आखिर क्यों मोहित चौहान को था एआर रहमान की डांट का डर?

प्लेबैक गायकी के अलावा मोहित चौहान ने एक और खूबसूरत काम किया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की कविताओं को कंपोज किया है.

Updated On: Mar 11, 2019 08:33 PM IST

Shivendra Kumar Singh Shivendra Kumar Singh

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Happy Birthday Mohit Chauhan: आखिर क्यों मोहित चौहान को था एआर रहमान की डांट का डर?

90 के दशक की बात है. इंडीपॉप का जमाना जोरों पर था. इंडीपॉप एक अच्छी खासी इंडस्ट्री बन चुकी थी. ऐसे समय में 1998 में एक एल्बम आई. उस एल्बम में गाने से पहले उसके वीडियो ने लोगों को आकर्षित किया. नीले साफ चमकते आसमान में नीले-नीले पानी के बीच एक पीले रंग की आधी डूबी-आधी तैरती कार और उस कार की छत पर गिटार थामे एक सिंगर. वो सिंगर थे- मोहित चौहान. एल्बम थी- बूंदे और वो गाना था- 'डूबा डूबा रहता हूं आंखों में तेरी.' इस बैंड का नाम था- सिल्क रूट. सिल्क रूट में मोहित चौहान के अलावा अतुल मित्तल, किम त्रिवेदी और केनी पुरी थे. किम और केनी मोहित चौहान के साथ पढ़े भी थे. जाहिर है दोस्तों में अच्छी ‘केमिस्ट्री’ थी. इस एल्बम ने धमाल मचा दिया. मोहित चौहान की आवाज में एक नयापन था. 1998 के तमाम म्यूजिक चार्ट्स में ‘बूंदे’ का जलवा कायम हो गया. ‘डूबा डूबा रहता हूं आंखों में तेरी’ नंबर एक पायदान पर बजने वाला गाना बना. इसके दो साल बाद इस बैंड ने एक और एल्बम तैयार की. जिसके बाद बैंड और मोहित चौहान के रास्ते अलग-अलग हो गए. इस एल्बम से पहले भी मोहित चौहान कई जिंगल्स बना चुके थे. डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का संगीत तैयार कर चुके थे. ये सारे छोटे-छोटे एसाइनमेंट करने के करीब पांच साल बाद ‘बूंदे’ एल्बम तैयार हुआ था. जो लंबे समय तक नहीं चल पाया.

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इसके बाद मोहित चौहान की अगली मंजिल थी मुंबई. उन्होंने वहां कुछ रिएलिटी शो में भी हिस्सा लिया. ऐसे ही एक रिएलिटी शो में जज थे एआर रहमान. एआर रहमान को मोहित चौहान की आवाज पसंद आई. दिलचस्प बात ये है कि रिएलिटी शो में हिस्सा लेने से पहले भी मोहित चौहान फिल्मों के लिए गा चुके थे. लेकिन उन गानों को वो सफलता नहीं मिली जिससे बॉलीवुड मोहित चौहान के हुनर की असली पहचान कर पाता. इस दौरान एक अवॉर्ड्स फंक्शन में मोहित चौहान की मुलाकात एआर रहमान से हुई. एआर रहमान ने उनसे सिल्क रूट बैंड के बारे में थोड़ी बहुत बात भी की. एआर रहमान का कद उस वक्त तक इतना बड़ा हो चुका था कि हर कोई जानता था कि उनके काम का स्तर अलग ही होता है. संयोग देखिए कि वही एआर रहमान मोहित चौहान की किस्मत को चमकाने वाले बने. साल 2006 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा ‘रंग दे बसंती’ बना रहे थे. फिल्म में एआर रहमान का म्यूजिक था. एआर रहमान ने मोहित चौहान को ब्रेक दिया. गाना था- 'खून चला.' इस फिल्म में मोहित चौहान ने इकलौता यही गाना गाया था लेकिन उनके इसी गाने ने उनकी किस्मत बदल दी. इस गाने की रिकॉर्डिंग का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है. मोहित चौहान रिकॉर्डिंग से पहले काफी ‘नर्वस’ थे. उन्हें इस बात का डर था कि वो ये गाना गा पाएंगे भी या नहीं. कहीं ऐसा ना हो कि एआर रहमान से डांट खानी पड़ जाए.

इस डर से निजात तब मिली जब उन्हें पता चला कि इस गाने को प्रसून जोशी ने लिखा है. प्रसून जोशी और मोहित चौहान की जान पहचान पहले से थी. प्रसून ने सिल्क रूट बैंड के लिए भी कुछ काम किया था. इस तरह उस अनचाही ‘नर्वसनेस’ से बाहर निकलकर मोहित चौहान ने गाना गाया. अगले ही साल मोहित चौहान ने ‘जब वी मेट’ का सुपरहिट गाना ‘तुम से ही दिन होता है’ गाया. इस गाने का संगीत प्रीतम ने तैयार किया था. इस गाने ने मोहित चौहान के लिए फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे पूरी तरह खोल दिए. सच्चाई ये भी है कि जिस म्यूजिक डायरेक्टर ने एक बार मोहित चौहान के साथ काम कर लिया वो उनकी पसंद में शुमार हो गए. इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए इम्तियाज अली और प्रीतम ने मोहित चौहान का एक महीने से ज्यादा इंतजार किया था. इम्तियाज अली ने जब कुछ साल बाद रॉकस्टार बनाई तो उन्होंने मोहित चौहान से फिल्म के लगभग सभी गाने गवाए. आज के दौर में इस तरह के उदाहरण कम ही मिलेंगे जब एक ही गायक ने फिल्म के लगभग सभी गाने गाए हों. रॉकस्टार के लिए मोहित चौहान को फिल्मफेयर अवॉर्ड से लेकर सारे बड़े अवॉर्ड्स से नवाजा गया.

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प्लेबैक गायकी के अलावा मोहित चौहान ने एक और खूबसूरत काम किया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की कविताओं को कंपोज किया है. इस शानदार आइडिया के पीछे काफी योगदान उनकी पत्नी का भी है. हुआ यूं था कि एक बार एक चैनल में उन्हें राष्ट्रभक्ति के गाने सुनाने थे. मोहित सोच ही रहे थे कि वो कोई नया गाना तैयार करें या पुराना गाना गाएं जब उनकी पत्नी ने उन्हें कलाम साहब की वो कविता लाकर दी. मोहित चौहान ने उस कविता को कंपोज किया. बाद में उन्हें राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें वो गीत सुनाने का मौका भी मिला. कलाम साहब भी इस प्रयोग से बहुत खुश हुए. आखिर में उन्होंने अपनी पांच और कविताएं दी जिसे कंपोज करके एल्बम तैयार किया गया. आज की तारीख में मोहित चौहान प्लेबैक गायकी का बड़ा नाम हैं. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि संगीत की उन्होंने कोई परंपरागत तालीम नहीं ली है. बस दिल से गाते हैं. बनना तो वो एक्टर चाहते थे. एफटीआईआई में आवेदन की कोशिश भी की थी लेकिन वहां से जवाब आ गया कि उनके पास एक्टिंग का कोई कोर्स नहीं है. लिहाजा पेंटर, एक्टर मोहित चौहान सिंगर बन गए. जिओलॉजी का छात्र आज संगीत के भूविज्ञान से करोड़ों फैंस का प्यार हासिल कर चुका है.

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