हाल ही में अंग्रेजी अखबार 'मुंबई मिरर' में छपी रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में बॉलीवुड के ए-लिस्ट के अभिनेताओं के बच्चों की लॉन्चिंग के लिए तकरीबन 300 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है.
‘मुंबई मिरर’ में प्रकाशित इस लेख में सात स्टार किड्स के नाम शामिल हैं, जिन्हें आने वाले डेढ़ साल में लॉन्च किया जाएगा. इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं.
इन नामों में श्रीदेवी-बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी, सैफ अली खान-अमृता सिंह की बेटी सारा, सनी-पूजा देओल के बेटे करण, सुनील-माना शेट्टी के बेटे अहान, शोमैन राज कपूर की बेटी रीमा जैन के बेटे आदर, डियान-चिक्की पांडे के बेटे अहान, नीलिमा अज़ीम-राजेश खट्टर के बेटे और (शाहिद कपूर के सौतेले भाई) ईशान शामिल हैं.
इन सभी स्टार किड्स को लॉन्च करने के लिए जिस तरह से बड़े बजट की प्लानिंग की गई है, उससे आने वाले समय के इन स्टार्स को लेकर बॉलीवुड की गंभीरता देखी जा सकती है.
अगर इन स्टार किड्स को अलग-अलग यानी, हर एक को अलग-अलग फिल्म में लॉन्च किया जाता है तो एक फिल्म की औसत लागत लगभग 42 करोड़ आएगी जो सामान्य से कहीं ज्यादा होगी.
पर क्या वाकई ऐसा है?
एक समय था जब बॉलीवुड में आने का सपना देखने वाले कलाकारों को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. वे अपना पोर्टफोलियो लिए निर्माताओं के दफ्तरों के चक्कर लगाते, अपने काम की शो-रील बनवाते और बिना थके उस एक फोन कॉल का इंतजार करते जो उनकी जिन्दगी बदल सकती थी.
दर्शकों के चहेते गोविंदा रोज निर्माताओं से मिलने लोकल ट्रेन में विरार से बांद्रा जाया करते थे, कई बार ट्रेन की भीड़ में उनके कपड़े खराब हो जाते तो गोविंदा सड़क किनारे बैठे धोबी से पहले उसे धुलवा कर इस्त्री करवाते फिर उसे पहन कर निर्माताओं से मिलते.
इसके अलावा वे एक्टिंग और डांस की क्लास भी लेते, अपने खुद के वीडियो शूट करते और हर दफ्तर में देने जाया करते. मिथुन चक्रवर्ती, श्रीदेवी, जैकी श्रॉफ यहां तक कि कंगना रनौत के स्ट्रगल के किस्से भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज हैं.
वैसे, इन स्टार किड्स के साथ सिर्फ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि उन्होंने अपने माता-पिता जितना स्ट्रगल नहीं किया, क्योंकि उनके घर के बाहर प्रोड्यूसर्स की लाइन लगी रहती है. ये जानना दिलचस्प है कि कुछ ऐसे भी कलाकार हैं जो बच्चों की तरह खुद भी स्टार किड थे, पर उन्हें कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिला.
सलमान को पिता सलीम खान की दो टूक
जैसे मशहूर स्क्रीनप्ले लेखक सलीम खान,ने अपने बेटे सलमान खान को दो टूक शब्दों में कह दिया था कि वे उनके लिए न तो कहीं कोई सिफारिश करेंगे और न ही उन्हें लॉन्च करेंगे.
इस मसले पर सैफ अली खान एक अच्छा उदाहरण हैं. फिल्मी करियर की शुरुआत के लिए, उनका क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर का बेटा होना काफी नहीं था. सैफ को काजोल के साथ अस्सी के दशक के बड़े फिल्मकार राहुल रवैल लॉन्च करने वाले थे, लेकिन उनके उदासीन रवैये के कारण उन्हें इस फिल्म से निकाल दिया गया था.
फिर उन्होंने यश चोपड़ा की परंपरा फिल्म साइन की, पर आखिरकार पहली रिलीज फिल्म 'आशिक आवारा' थी.
पहले के समय में जब सनी देओल, संजय दत्त, अनिल कपूर, करिश्मा कपूर और करीना कपूर ने अपने करियर की शुरुआत की तब सब कुछ उनके पहले इम्प्रेशन यानी पहली फिल्म पर ही केन्द्रित रहता था. उसके बाद उनको अपनी राह खुद ही बनानी होती थी.
अपवाद के तौर पर सिर्फ कुमार गौरव और कुणाल गोस्वामी ही भाग्यशाली रहे जिन्हें असफलताओं के बावजूद हर दो साल पर रीलॉन्च किया गया.
पर, आज जो निर्माता इन स्टार किड्स को लॉन्च करते हैं, वे टैलेंट एजेंसियों की मदद से उन्हें न केवल एक्टिंग की ट्रेनिंग देते हैं बल्कि उन्हें मीडिया को मैनेज करना भी सिखाते हैं.
जैसे, श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर की लॉन्चिंग इस तरह से प्लान की जा रही है जैसे एक शो-रील बनाया जा रहा है. इसके साथ यहां निर्माता-निर्देशकों कि भूमिका पर भी सवाल उठते हैं जिन्होंने स्टार किड्स को लॉन्च करने को ही अपना काम मान रखा है.
फिल्मों में स्थापित कलाकारों के बच्चों को जहां डांटना-डपटना आसान है, उनसे उनके रवैये को लेकर सवाल-जवाब किया जा सकता है, लेकिन इससे बॉलीवुड के उन ए-लिस्ट फिल्मकारों पर सवाल उठता है, जिनका रुचि फिल्म बनाने में कम और स्टार किड्स को लॉन्च करने में ज्यादा है.
क्या ही अच्छा होता, अगर वरुण धवन जुड़वा के रीमेक या दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के नए वर्ज़न (हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया (2014) और बद्रीनाथ की दुल्हनिया) में काम करने के बजाय बदलापुर (2015) जैसे फिल्म में और प्रयोग करते?
अगर अशीम अहलूवालिया की (मिस लवली) जैसी फिल्म में किसी स्टार किड को काम करते देखना ज्यादा दिलचस्प होगा, ठीक वैसे ही जैसे करन जौहर एक और ‘स्टूडेंट ऑफ द इयर’ या ‘हीरोपंती’ बनाने के बजाय, ‘आउटसाइडर’ सुशांत सिंह राजपूत के साथ फिल्म बनाते...पर ये बॉलीवुड है...यहां सब ऐसे ही चलता है!
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