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भारतीय फिल्मों से बचने की मुहिम में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री 'बच' पाएगी?

पाकिस्तान ने अब ये करीब-करीब साफ कर दिया है कि वहां के बॉक्स ऑफिस पर भारतीय फिल्मों का स्वागत अब उस 'स्वैग' से नहीं होगा, जैसा पहले होता रहा है

Updated On: Jun 04, 2018 02:50 PM IST

Bharti Dubey

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भारतीय फिल्मों से बचने की मुहिम में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री 'बच' पाएगी?

सोनम और करीना की फिल्म वीरे दी वेडिंग भी पाकिस्तान में रिलीज नहीं हो रही है. पाकिस्तान सरकार ने इस फिल्म के कॉन्टेंट को अडल्ट करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है.

मजे की बात ये है कि इस फिल्म ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार ओपनिंग की है. ऐसे में पाकिस्तानी बॉक्स ऑफिस मुंह बनाए अपनी खाली झोली लिए दुखी मन से सरकार की तरफ देख रहा है कि ऐसे फैसले से वो पैसा कमाने के लिए कब तक वंछित रहें.

पाकिस्तान सरकार के एक फरमान ने वहां बॉलीवुड फिल्मों के प्रशंसकों का ईद का जश्न भी फीका कर दिया है. दरअसल पाकिस्तान सरकार ने ईद के मौके पर भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग और रिलीज पर रोक लगा रखी है. बॉलीवुड फिल्मों को लेकर पाकिस्तान में भी दीवानगी कम नहीं है. ऐसे में अपनी सरकार के फैसले से पाकिस्तान के फिल्म प्रेमी खासे निराश हैं.

‘वीरे दी वेडिंग’ हुई पाकिस्तान में बैन, सेंसर बोर्ड ने दी बेतुकी दलील

पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बाबत बीती 25 मई को एक आदेश जारी किया था. उस आदेश के मुताबिक सभी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को ईद के दो दिन पहले बैन कर दिया जाएगा और ये बैन ईद के बाद 2 हफ्तों तक जारी रहेगा. पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्रालय का यह आदेश ईद उल फित्र (मीठी ईद) के साथ-साथ ईद उल अज़हा (बकरा ईद) में भी लागू रहेगा.

यहां पढ़िए कि पाकिस्तान सरकार ने अपने आदेश में भारतीय फिल्मों पर बैन लगाने के पीछे क्या तर्क दिया है?

पाकिस्तान सरकार ने यह कदम अपनी घरेलू फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उसके हितों की रक्षा के लिए उठाया है. दरअसल पाकिस्तान के फिल्म प्रोड्यूसर और कलाकार अरसे से शिकायत करते आ रहे थे, कि भारतीय और हॉलीवुड फिल्मों की वजह से उनकी घरेलू फिल्म इंडस्ट्री को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पाकिस्तानी फिल्मों की बजाए भारतीय और हॉलीवुड फिल्मों को ज्यादा तरजीह देते हैं. खासकर त्यौहार के सीजन में जिस थियेटर में भारतीय फिल्म लगी होती है, वहां दर्शक टूट पड़ते हैं. जबकि उस दौरान पाकिस्तानी फिल्मों के लिए दर्शक ढूंढ़े नहीं मिलते. लिहाजा ईद के मौके पर भारतीय और हॉलीवुड फिल्मों पर रोक लगाकर पाकिस्तान सरकार ने अपनी घरेलू फिल्म इंडस्ट्री को तोहफा दिया है. हालांकि सरकार का यह तोहफा आम पाकिस्तानी को रास नहीं आ रहा है.

पाकिस्तान में सलमान खान की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. ऐसे में पाकिस्तानी बॉक्स ऑफिस को सलमान की फिल्मों का बेसब्री से इंतजार रहता है. ईद के मौके पर सलमान खान की फिल्म रेस 3 रिलीज होने वाली है. भारतीय दर्शक 15 जून से थियेटर में इस फिल्म का लुत्फ उठा सकेंगे. लेकिन पाकिस्तानी आवाम को फिल्म रेस 3 को पर्दे पर देखने के लिए अब 29 जून तक का इंतजार करना होगा. एक्शन और सस्पेंस से भरपूर फिल्म रेस 3 को रेमो डिसूजा ने निर्देशित किया है. फिल्म में सलमान के अलावा बॉबी देओल, अनिल कपूर और जैकलीन फर्नाडिस भी हैं.

पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों की रिलीज पर रोक और फिल्म रेस 3 की रिलीज में देरी को लेकर आम पाकिस्तानी लोग जहां मायूस है, वहीं दूसरी तरफ फिल्म समीक्षकों और वितरकों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं. किसी को पाकिस्तान सरकार का फैसला सही नजर आ रहा है, तो किसी को इस फैसले में कई खामियां दिखाई देती हैं.

Bollywood films Pakistani I&b Ministry

पाकिस्तानी वितरकों और थियेटर मालिकों को रेस 3 से अच्छी कमाई की उम्मीद है. लेकिन उन्हें यह भी डर सता रहा है कि, पाकिस्तान में फिल्म की रिलीज में देरी से बॉक्स ऑफिस का कारोबार प्रभावित हो सकता है. यानी पाकिस्तानी वितरकों और थियेटर मालिकों को कम कमाई पर संतोष करना पड़ सकता है. एक वरिष्ठ वितरक का कहना है कि, "रेस 3 को पाकिस्तान में पायरेसी से सबसे बड़ा खतरा है. पायरेसी की वजह से फिल्म की कमाई चौपट हो सकती है. वास्तव में पाकिस्तानी फिल्मों को बॉलीवुड फिल्मों से कोई खतरा नहीं है. यह डर महज एक मिथक भर है. अगर ईद पर पाकिस्तानी फिल्मों के साथ रेस 3 को भी रिलीज किया जाए, तो उससे बॉक्स ऑफिस को फायदा ही होगा. रेस 3 की वजह से पाकिस्तानी फिल्मों को बल मिलेगा. जिन पाकिस्तानी फिल्मों में अच्छी कहानी, संगीत और ट्रीटमेंट का अभाव होगा वे भी रेस 3 की देखादेखी बॉक्स ऑफिस पर दौड़ पड़ेंगीं."

पाकिस्तानी वितरक ने आगे कहा कि, जिस दिन पाकिस्तान में सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान रिलीज हुई थी, उसी दिन दो पाकिस्तानी फिल्में भी रिलीज हुईं थीं. उन दोनों फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल्स में भीड़ उमड़ पड़ी थी. नतीजतन दोनों फिल्में सुपर हिट रहीं थीं. लिहाजा भारतीय फिल्मों की रिलीज पर रोक से पाकिस्तानी फिल्म उद्योग का खास भला नहीं होने वाला है.

भारतीय फिल्मों के लिए पाकिस्तान पांचवीं सबसे बड़ी ओवरसीज टेरेटरी है. पूर्व वितरक और फिल्म निर्माता महेश रामनाथन के मुताबिक, "बॉलीवुड की A लिस्ट वाली फिल्मों के लिए पाकिस्तान दुनिया का 5वां सबसे बड़ा मार्केट है. किसी भी बॉलीवुड फिल्म से पाकिस्तान में प्रोड्यूसर को कम से कम 2 करोड़ रुपये की कमाई होने की गारंटी मानी जाती है. और अगर सलमान खान की फिल्मों की बात की जाए तो यह कमाई लगभग 4 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है. लिहाजा पाकिस्तान सरकार के फैसले से प्रोड्यूसर्स को बड़ा नुकसान होने वाला है.’’

फैसले से फर्क पड़ेगा?

कई वितरकों, समीक्षकों और फिल्मों के कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि, पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर रोक से बॉलीवुड पर खास असर नहीं पड़ेगा. जब फिल्म बाहुबली रिलीज हुई थी तब पाकिस्तान में अभिनेता प्रभास और अभिनेत्री अनुष्का शेट्टी को कोई नहीं जानता था. लेकिन फिल्म ने वहां के बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी और जबरदस्त कमाई की थी. वैसे पाकिस्तान में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म सुल्तान है. सलमान खान स्टारर फिल्म सुल्तान ने पाकिस्तान में 37 करोड़ रुपये का कारोबार किया था. इसके अलावा शाहरुख खान की फिल्म दिलवाले, आमिर खान की फिल्म पीके और धूम 3 ने भी पाकिस्तान में अच्छी कमाई की थी. हालांकि पाकिस्तान में बॉलीवुड की औसतन पांच से सात फिल्में बैन कर दी जाती हैं.

पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर बैन पहली बार नहीं लगाया गया है. घरेलू फिल्म निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए पाकिस्तान सरकार इससे पहले भी भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा चुकी है. जुगनी नाम की फिल्म बना चुके पाकिस्तानी फिल्म निर्माता सैयद नूर का दावा है कि, सलमान खान की फिल्म बॉडीगार्ड की वजह से उनकी फिल्म को थियेटरों में जगह नहीं मिल पाई थी. जिससे उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ा था. सैयद नूर ने ही लाहौर कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि, त्यौहार के दौरान बॉलीवुड फिल्मों को पाकिस्तान में रिलीज नहीं किया जाना चाहिए.

ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन का मानना है कि, भारतीय फिल्मों के लिए पाकिस्तान एक ऐसा बाजार है जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते हैं. अतुल मोहन के मुताबिक, "पाकिस्तान हमारे लिए एक बड़ा बाजार है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अगर हम पिछली कुछ बॉलीवुड फिल्मों की कमाई पर नजर डालें तो, उन्होंने अपने कुल कारोबार का 10 फीसदी या इससे ज्यादा हिस्सा पाकिस्तान से कमाया है. अगर पाकिस्तान के नजरिए से देखा जाए तो उन्हें अपने फिल्म व्यवसाय को जिंदा रखने के लिए हमारी ब्लॉकबस्टर फिल्मों की जरूरत है.

नए कानून की वजह से पाकिस्तान में रेस 3, भावेश जोशी, रजनीकांत की फिल्म काला, पलटन, मनमर्जियां, 5 वेडिंग्स और बत्ती गुल मीटर चालू जैसी फिल्में प्रभावित होंगी. इन सभी फिल्मों के पाकिस्तान में रिलीज के लिए तारीख तय हो सकती है, लेकिन यह तारीख ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा के दो सप्ताह बाद की होगी. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ फिल्म प्रदर्शक के मुताबिक, ''सलमान खान की पाकिस्तान में जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. लिहाजा रेस 3 की रिलीज में देरी होने के बावजूद सलमान की वजह से दर्शक सिनेमाघरों तक खिंचे चले आएंगे. लेकिन फिल्म का कारोबार उतना अच्छा नहीं रहेगा. अगर फिल्म उसी दिन रिलीज होती जिस दिन भारत में होने वाली है, तब बंपर मुनाफे की उम्मीद की जा सकती थी. फिल्म की रिलीज में देरी की वजह से पाकिस्तान में रेस 3 से होने वाली कमाई 60 फीसदी तक प्रभावित हो सकती है.''

भारतीय फिल्मों से बैन कब हटा?

पाकिस्तान सरकार ने कुछ शर्तों के साथ 2006 में 37 साल बाद बॉलीवुड फिल्मों पर लगा बैन हटाया था. उस वक्त महेश भट्ट की फिल्म आवारापन और सनी देओल की फिल्म काफिला पाकिस्तान में रिलीज हुई थी. बैन हटाने से पहले पाकिस्तान सरकार ने जो शर्तें लगाईं थीं उनके मुताबिक, पाकिस्तान में सिर्फ वही भारतीय फिल्में रिलीज हो सकती हैं जिनका सह निर्माता कोई पाकिस्तानी हो. इसके अलावा फिल्म विशेष में अगर किसी पाकिस्तानी कलाकार ने काम किया है, या फिल्म की शूटिंग भारत से बाहर हुई है तो उसे भी पाकिस्तान में रिलीज किया जा सकता है. लेकिन अब पाकिस्तान के

ज्यादातर फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेताओं का आरोप है कि, पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों की रिलीज के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. फॉरेन रिलीज के नाम पर बॉलीवुड फिल्मों को पाकिस्तान में अवैध तरीके से प्रदर्शित किया जा रहा है.

मशहूर निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट भी पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों की रिलीज पर रोक से खुश नहीं हैं. उन्होंने पाकिस्तान सरकार के फैसले को प्रतिगामी करार दिया है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक राजदूत माने जाने वाले महेश भट्ट इस प्रतिगामी आंदोलन को रोकना चाहते हैं. महेश भट्ट के मुताबिक, "मैं अपने पाकिस्तानी भाइयों और बहनों की चिंताओं को बखूबी समझता हूं. वे लोग अपनी फिल्म इंडस्ट्री को बर्बाद और विलुप्त होने से बचाना चाहते हैं. वैश्वीकरण के इस दौर में प्रत्येक देश की स्वदेशी संस्कृति का 'संरक्षण' होना चाहिए. लेकिन हमें फिर से अतीत जैसे हालात में जाने से बचना होगा. हमने एक-एक ईंट जोड़कर जो चीज बनाई है, कोई भी प्रतिगामी आंदोलन उसे नष्ट करके रख देगा.

पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री को बचाने की मुहिम

राहुल ढोलकिया की फिल्म रईस पाकिस्तान में रिलीज नहीं हुई थी, हालांकि इसमें शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे सितारे थे. इसके अलावा रईस में मशहूर पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान ने भी काम किया था. ढोलकिया ने बताया कि पाकिस्तान ने आखिर क्यों भारतीय फिल्मों पर बैन लगाया है. ढोलकिया के मुताबिक, "पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रही है. उन्हें फिलहाल हर तरह के समर्थन की ज़रूरत है. इसलिए मुझे लगता है कि उनका फैसला उचित है. चीन में तो हमारी फिल्में एक साल बाद रिलीज होती हैं. उन्हें चाहिए कि वे हॉलीवुड फिल्मों को देरी से रिलीज न करें. इधर भारत में हम कई ब्लॉकबस्टर फिल्में रिलीज करने जा रहे हैं. जिनके लिए हमारे पास पर्याप्त सिनेमाघर हैं, लेकिन पाकिस्तान में इतनी सारी स्क्रीनें उपलब्ध नहीं हैं.''

पाकिस्तानी वितरक सतीश आनंद का कहना है कि भारतीय फिल्मों पर बैन अस्थायी है. सतीश आनंद के मुताबिक, 'हमारे पास पर्याप्त स्क्रीन नहीं हैं. हॉलीवुड फिल्मों के साथ तीन पाकिस्तानी फिल्में रिलीज होने रही हैं. यही वह सब चीजें हैं जिन्हें हम अभी समायोजित नहीं कर सकते हैं. हालांकि 29 जून को हम पाकिस्तानी सिनेमाघरों में रेस 3 और संजू को देखेंगे.''

सतीश आनंद ने आगे कहा कि, "फिल्म रेस 3 का कारोबार वैसा नहीं होगा जैसा कि भारत और पाकिस्तान में एक साथ रिलीज होने पर होता. वास्तव में रिलीज में देरी से फिल्म का कारोबार प्रभावित होगा. लेकिन अगर ढंग से प्रचार किया जाए तो फिल्म अच्छी कमाई भी कर सकती है. हलांकि पाकिस्तानी फिल्म प्रदर्शक फिलहाल फिल्म संजू को लेकर ज्यादा उत्साहित हैं. सभी को उम्मीद है कि फिल्म संजू को पाकिस्तान में जबरदस्त कामयाबी मिलेगी."

फिल्म रेस 3 और संजू को पाकिस्तान में सबसे ज्यादा खतरा पायरेसी से है. कोई भारतीय फिल्म जिस दिन दुबई में रिलीज होती है, पाकिस्तानी लोग उस फिल्म को एक-दो दिन के भीतर ही डीवीडी के जरिए देख लेते हैं. या फिर वे फिल्म पार्लर या रेस्तरां जाकर फिल्म का लुत्फ उठा लेते हैं. जिससे फिल्म निर्माता को खासा नुकसान होता है. लेकिन पाकिस्तानी फिल्म निर्माता सैवी अली के मुताबिक, 'जो लोग सिनेमा हॉल जाकर फिल्म देखना पसंद करते हैं, वे हर हालत में सिनेमा हॉल जाकर ही फिल्म देखेंगे, भले ही फिल्म की डीवीडी रिलीज हो गई हो. अगर फिल्म सलमान खान की है तो वह पाकिस्तान में आसानी से 3 करोड़ रुपये तक का कारोबार कर लेती है.'

सैवी अली ने भी पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों की रिलीज पर लगी रोक की वजह बताई है. अली का कहना है कि, पाकिस्तान में फिल्म निर्माताओं को लगता है कि, अगर ईद पर कोई बड़ी भारतीय फिल्म रिलीज होती है तो कोई भी उनकी फिल्म देखने नहीं जायेगा. बीते पांच सालों में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री में काफी सुधार हुआ है. पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री अब पहले से काफी बेहतर और स्वस्थ हालत में है. इसका उदाहरण 'मैं पंजाब नहीं जाऊंगी' जैसी फिल्म है, जिसने 50 करोड़ रुपये का कारोबार किया है.

फिल्म और ट्रेड बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर का कहना है कि, वे अपनी स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बड़े बजट वाली हॉलीवुड फिल्मों और भारतीय ब्लॉकबस्टर फिल्मों की वजह से पाकिस्तान की स्थानीय फिल्में हाशिए पर चली गई हैं. इसलिए अपनी इंडस्ट्री को बचाने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है. लिहाजा त्यौहार और छुट्टियों के मौके पर उनकी स्थानीय फिल्मों को पर्याप्त और वांछित तवज्जो मिलेगी. साथ ही उन्हें अच्छे कारोबार का भी मौका मिलेगा.

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