एक गुड़ की डली है तो दूसरा भांग की बूटी ! दोनों के बीच रिश्ते के तार कोई जोड़ें तो आखिर कैसे ? एक को लगता है कि आखिर अपने जज्बातों पर कोई क्योंकर काबू रखे जबकि दूसरा हर वक्त राजनीति के मिजाज को भांपकर उसी के माफिक पड़ने वाली बात कहता है.
एक ने अपना करिअर गुंडों और तस्करों को पीट-पीटकर बनाया तो दूसरा कमसिन हसीनाओं से प्यार की पींगे बढ़ाकर लोगों के दिल का चहेता बना.
एक बॉलीवुड के सरताज खानदान का चिराग है तो दूसरा खुद ही अपने आप में ‘फैमिली’ बन चला है.
लेकिन इस फर्क के बावजूद दोनों सिने पर्दे पर जब एक साथ होते हैं तो इस जोड़ी के जलवे कयामत से कम नहीं होते.
दोनों को बस एक चीज रिश्ते की डोरी से बांधती है और वह है एक-दूसरे के प्रति आदर-भाव तथा कला के गहरा लगाव.
जिन फिल्मों में दोनों ने साथ-साथ काम किया वे बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब रहीं और अब दोनों की फिल्मी संगत को 41 बरस हो चुके हैं. तो भी, इस जोड़ी की ताकत बदस्तूर कायम है.
दोनों की नई फिल्म 102 नॉट आऊट सिनेमा के प्रति दोनों के लगाव, दोस्ती और निष्ठा का सबूत है. यह फिल्म इस बात का भी सबूत है कि सिने पर्दे पर बुजुर्ग होना अपने आप में बेहद शालीनता भरी बात है और उम्र के हिसाब से पर्दे पर किरदार निभाने में सिने जगत के इन दो दिग्गज सितारों को जरा भी हिचक नहीं है.
पोस्टर पर दो दिग्गज सफेद बालों में
102 नॉट आऊट के पोस्टर पर सिने जगत के ये दो दिग्गज अभिनेता अपने सिर के सफेद होते बालों के साथ मौजूद हैं जो इस बात की गवाही है कि अभिनय के क्षेत्र में ‘क्लास’ या कह लें श्रेष्ठता निश्चित ही एक स्थाई चीज होती है.
102 नॉट आऊट के पोस्टर पर मौजूद वही तस्वीर यह भी संकेत करती है कि बात हिस्ट्रीयॉनिक्स की हो तो ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन की बॉलीवुड में कोई सानी नहीं.
याद रहे कि पिछले साल जब अवार्ड की बारी आई तो एक्टिंग कैटेगरी के चार सबसे अहम अवार्ड न तो मशहूर खान तिकड़ी को मिले और न ही हाल-फिलहाल के किसी नए प्रतिभाशाली अभिनेता को.
एक्टिंग कैटेगरी के अहम अवार्ड अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और शबाना आजमी की झोली में गए जो इस बात का संकेत है कि अभिनय की महानता उम्र की मोहताज नहीं होती.
अमिताभ और ऋषि के बीच रिश्ते का लंबा इतिहास
Wonderful to work again with the Legendary Amitabh Bachchan. Thank you Amitji, it never felt the 26 years old hiatus.We connected instantly! pic.twitter.com/t259iyW2zr
— Rishi Kapoor (@chintskap) May 18, 2017
अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के बीच रिश्ते का एक लंबा सिलसिला रहा है और इस रिश्ते पर मानवीय भावनाओं के कई रंग हावी रहे हैं—इस रिश्ते में खुशी, गुस्सा और ईर्ष्या जैसी तमाम भावनाओं को तलाशा जा सकता है.
तकरीबन चार दशक पहले यश चोपड़ा की फिल्म कभी-कभी में दोनों ने पहली बार साथ काम किया और इसके बाद से सिने पर्दे पर साथ काम करने का यह रिश्ता कभी मंद नहीं पड़ा. लेकिन ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन की जोड़ी की ताकत का ठीक-ठीक अहसास अगर किसी को हुआ तो वह व्यक्ति थे मनमोहन देसाई.
उन दिनों ऋषि कपूर बीकानेर में लैला-मजनू की शूटिंग में व्यस्त थे. इसी वक्त उनके पास मनमोहन देसाई का ट्रंककॉल आया. वह 1970 का जमाना था और दूर मुंबई से आए इस ट्रंककॉल को ऋषि कपूर ने खास तवज्जो नहीं दी.
यह जानकर कि फिल्म के टाइटल में एक शब्द ‘अकबर’ भी शामिल है सो यह कोई ऐतिहासिक फिल्म होगी, ऋषि कपूर ने फिल्म में काम करने से तकरीबन इनकार कर दिया था. लेकिन नियति ने कुछ और ही सोच रखा था.
आखिर को हुआ यह कि मनमोहन देसाई ने इस हिट जोड़ी को तीन फिल्मों अमर अकबर एंथोनी, नसीब और कुली में उतारा. इन तीनों फिल्मों में एक बात समान है. तीनों ही फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं और आज इन्हें क्लासिक माना जाता है.
ऋषि की आत्मकथा में खुलासा
हाल में आई अपनी आत्मकथा खुल्लम खुल्ला में ऋषि कपूर ने जिक्र किया है कि जब मैंने बॉबी फिल्म से शुरुआत की तो सिने पर्दे पर अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेन्द्र का राज चलता था.
दूसरे शब्दों में कहें तो उन दिनों अभिनय के अलावा सिनेमा की दुनिया में और किसी चीज की अहमियत नहीं थी. ऋषि कपूर थोड़ा डरे हुए थे, एक खास तरह की फिल्मों का उन दिनों बॉलीवुड में दबदबा था.
इसी डर के कारण कश्मीर में कभी-कभी की शूटिंग के दौरान दोनों अभिनेता एक-दूसरे से थोड़ी दूरी बनाकर रहते थे. ऋषि कपूर ने यह भी लिखा है कि अमर अकबर एंथोनी से पहले दोनों के रिश्ते में एक अजीब सा तनाव था.
ऋषि कपूर ने इसे ‘अनकहा’ तनाव कहते हुए आत्मकथा में लिखा है कि हम कभी भी एक साथ नहीं बैठे जो यह दूरी कभी खत्म हो.
दरअसल ऋषि कपूर यहां रिश्ते के जिस तनाव का जिक्र कर रहे हैं उसका संबंध फिल्म कभी-कभी की शूटिंग से है. उस वक्त सिने पर्दे पर अमिताभ बच्चन की शख्सियत एक एक्शन स्टार की उभर रही थी.
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ऋषि कपूर के मन पर चला आ रहा बोझ उतर चुका था फिर भी कभी-कभी की शूटिंग के समय दोनों के रिश्तों में ठंढापन ही रहा. ऋषि कपूर अपनी आत्मकथा में यह मानकर चलते हैं कि रिश्ते में ठंढेपन की वजह फिल्म में निभाया जा रहा गंभीर किरदार था.
वे यह भी लिखते हैं कि अमिताभ बच्चन अपने किरदार में खोए रहते थे और शूटिंग के पूरे वक्त अपने को सबसे अलग-थलग रखते थे.
विपरीत ध्रुवों में हमेशा अाकर्षण होता है
लेकिन फिजिक्स(भौतिकी) की दुनिया का नियम है कि विपरीत ध्रुवों के बीच आकर्षण होता है. कुछ ऐसा ही इन दोनों सितारों के साथ भी हुआ. कपूर परिवार के लिए अमिताभ बच्चन के मन में बेहद सम्मान है और दोनों परिवार के मुखिया अपने जीवन-काल में एक-दूसरे के प्रति गर्मजोशी से भरे रहे.
रिश्तों की इसी गर्माहट ने दोनों अभिनेताओं के लिए अवसर पैदा किया. पृथ्वीराज कपूर अपनी नाटक-मंडली के साथ जब भी इलाहाबाद जाते, उनका ठहरना अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन के साथ होता.
अमिताभ बच्चन ने अपने छुटपन में इन दोनों(पृथ्वीराज कपूर और हरिवंश राय बच्चन) की दोस्ती को बहुत करीब से देखा है. आखिरकार दोनों अभिनेताओं के बीच अपनापा कायम हुआ और दोनों ने फिल्म में एक-दूसरे के काम को सराहा.
अमर अकबर एंथोनी की शूटिंग के दौरान रिश्ते का ठंढ़ापन आखिरकार खत्म हो ही गया. फिल्म के सेट पर दोनों प्राण के साथ हंसी ठिठोली करते, उनसे कहते कि गुरु हमें भी कुछ एक्टिंग के गुर बताओ. और इसके बाद आई फिल्म नसीब के वक्त ऋषि कपूर डिप्रेसन से जूझ रहे थे.
नसीब की शूटिंग के दौरान ऋषि कपूर के लिए हालात इतने गंभीर थे कि फिल्म के आखिर के कुछ दृश्यों को शूट करने से वे बचना चाहते थे. खैर कहिए कि फिल्म की शूटिंग अपने समय से पूरी हुई और शूटिंग पूरी होने के बाद अमिताभ बच्चन ने ऋषि कपूर में जोश जगाने के ख्याल से कुछ शब्द कहे, उन्होंने ऋषि कपूर के सामने यह भी स्वीकार किया कि कुछ अरसा पहले मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो चुका है.
फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान यह बात साफ साबित हो गई कि दोनों अभिनेता एक-दूसरे का बहुत ख्याल रखते हैं. मिसाल के लिए, ऋषि कपूर ने अपनी किताब में एक वाकये का जिक्र किया है.
इस वाकये के मुताबिक ऋषि कपूर को फिल्म में एक स्टंट सीन की शूटिंग करनी थी. सीन की मांग के मुताबिक उन्हें ऊंचाई से छलांग लगानी थी. अमिताभ बच्चन इस सीन की शूटिंग के समय सेट पर आए और हिफाजती इंतजाम का जायजा लिया.
अमिताभ को लगा कि हिफाजत के इंतजाम पूरे नहीं हैं. उन्होंने ऋषि कपूर से कई दफा पूछा कि क्या सबकुछ ठीक-ठाक है और ऋषि कपूर ने कहा कि हां, इंतजाम पूरे हैं. नतीजा यह हुआ कि ऋषि कपूर ने छलांग लगाई तो उन्हें हाथ और चेहरे पर चोट आई. घटना के तुरंत बाद अमिताभ बच्चन ऋषि कपूर पर बरस पड़े कि ऐसी लापरवाही हरगिज ठीक नहीं.
याद रहे कि कुली की शूटिंग के दौरान जब बंगलोर में लगे सेट पर अमिताभ बच्चन को जानलेवा चोट लगी तो ऋषि कपूर ने ही उनके घावों पर मरहमपट्टी बांधी थी.
फिल्में अमिताभ को ध्यान में रखकर लिखी जाती थीं
सन 1970 का दशक बॉलीवुड में वह दौर था जब सिनेकथा के लेखक ज्यादातर भूमिकाएं एक्शन स्टार अमिताभ बच्चन को ध्यान में रखकर लिखते थे और कपूर खानदान के वारिस को यह बात अब भी सालती है.
उन्होंने अपनी किताब में यह तक लिखा है कि अमिताभ बच्चन ने कभी अपने सह-अभिनेताओं को अपनी सफलता का कोई श्रेय नहीं दिया जबकि सह-अभिनेता उनके लिए सीढ़ी की पायदान की तरह थे. अमिताभ बच्चन ने अपने निर्देशकों को तो श्रेय दिया है लेकिन सह-अभिनेताओं को नहीं.
किताब के विमोचन के मौके पर रिश्तों में खटास की सूचना देते इसी हिस्से को मीडिया ने तवज्जो दी जबकि किताब के जिन हिस्सों में अमिताभ की खूब प्रशंसा की गई है उसे बड़ी आसानी से दरकिनार कर दिया गया.
मिसाल के लिए इस हिस्से को पढ़िए – 'अमिताभ में अभिनय की जन्मजात क्षमता है और इसी कारण वे हर नए किरदार में अपने को बिना कोशिश ढाल लेते हैं और दर्शकों का मनोरंजन करते हैं वर्ना ये किरदार ऐसे नहीं हैं कि उन्हें अनूठा या कमाल का किरदार कहा जा सके.'
ऋषि कपूर ने किताब में यह बात लिखी है और ऐसी मिसाल शायद ही मिलती है जब कोई अभिनेता अपने दौर के सह-अभिनेता की ऐसे शब्दों में सराहना करे.
हाल-फिलहाल जब पिंक फिल्म रिलीज हुई तो एक बार फिर से ऋषि कपूर ने अमिताभ बच्चन की अभिनय-प्रतिभा की प्रशंसा में पुल बांधे. उन्होंने अपनी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर लिखा 'पिंक'... यही वजह है जो उन्हें अमिताभ बच्चन कहा जाता है..द बेस्ट'
चौथी फिल्म थी अजूबा
अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर चौथी बार एक साथ शशिकपूर की फिल्म अजूबा में नजर आए. यह फिल्म एक तरह का पारिवारिक आयोजन थी. भारत और रूस की साझेदारी से बनने वाली इस फिल्म में शशि कपूर ने फिल्म का निर्देशन किया.
कपूर और बच्चन एक अरसे के बाद इस फिल्म के जरिए साथ-साथ काम कर रहे थे. ऋषि कपूर को इस फिल्म में अपनी पहली हिरोइन डिंपल कपाड़िया के साथ भी काम करने का मौका मिला.
एक और फिल्म थी जिसमें अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर को एक साथ काम करना था. इस फिल्म में रणधीर कपूर और विनोद खन्ना को भी लिया गया था. इस फिल्म को विजय आनंद बना रहे थे लेकिन फिल्म मुहूर्त से आगे नहीं बढ़ सकी.
किसी को यह बात अचरज में डाल सकती है कि कई फिल्मों के अपने सह-अभिनेता अमिताभ बच्चन को लेकर दिल की बात कहने का कोई मौका ऋषि कपूर कभी चूकते नहीं.
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने जब भी किसी फिल्म में बेहतरीन भूमिका निभाई है, ऋषि कपूर उनकी प्रशंसा से नहीं चूके और वे यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर अमिताभ बच्चन अपने उन सह-अभिनेताओं की प्रशंसा क्यों नहीं करते जिनके साथ फिल्में करके वे सिनेजगत के शहंशाह बनकर उभरे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ऋषि कपूर एकदम मोम की तरह हैं और हमेशा दिल से सोचते हैं.
अमिताभ ने किया कपूर खानदान का छिटपुट जिक्र
यही बात अमिताभ बच्चन के बारे में नहीं कही जा सकती. अमिताभ के ब्लॉग पर गौर करें तो दिखता है कि ब्यौरों की शक्ल में कपूर खानदान का उसमें छिटपुट जिक्र आया है, खासकर शम्मी कपूर और शशि कपूर का लेकिन रूमानी किरदार निभाने वाले ऋषि कपूर के बारे में अभिताभ के ब्लॉग पर कुछ ज्यादा लिखा नहीं मिलता.
जबकि कपूर खानदान के इसी चिराग के साथ अमिताभ ने सबसे ज्यादा फिल्में की हैं. अमिताभ बच्चन की बेटी का ब्याह ऋषि कपूर की बहन रीतू के बेटे के साथ हुई है और इस नाते भी वे एक परिवार के सदस्य हैं.
अमिताभ और ऋषि कपूर के रिश्ते को मानवीय भावनाओं के तमाम रंगों का इंद्रधनुष कह सकते हैं. दोनों 26 साल के अरसे के बाद किसी फिल्म में एक साथ काम कर रहे हैं.
अभिषेक बच्चन ने हाल में ऋषि कपूर के साथ ऑल इज वेल में काम किया जबकि अयान मुखर्जी की फिल्म ड्रैगन में रणवीर कपूर अभिताभ बच्चन के साथ काम कर रहे हैं.
अमिताभ और ऋषि कपूर का रिश्ता सात आसमानों से तय होकर नहीं आया. दुनिया बनाने वाले का विधान चाहे जो हो, फिल्म बनाने वाले बॉलीवुड का विधान उससे एकदम अलग होता है.
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