जल्द रिलीज होने वाली फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' का गाना तम्मा तम्मा लोगे के साथ नई पीढ़ी को 1990 की फिल्म थानेदार का हिट गाना फिर से सुनने का मौका मिला है. इसी के साथ नई पीढ़ी को अपने समय के बेहद मशहूर रेडियो अनाउंसर अमीन सायानी की आवाज से भी रूबरू होने का मौका मिला है. निर्माता-निर्देशक करण जौहर के कहने पर अमीन सायानी ने अब फिल्म प्रमोशन के लिए कुल तीन स्पॉट और रिकॉर्ड किये हैं जो जल्द ही लोगों के सामने आएंगे.
फ़र्स्टपोस्ट संवाददाता रूना आशीष ने इस बारे में जब रेडियो के लेजेंड अमीन सायानी से बात की तो खुश हो कर वो बोले कि, 'मुझे करण ने इन स्पॉट्स को री-रिकॉर्ड करने के लिए कहा क्योंकि वो चाहता था कि इस फिल्म की रिलीज डेट भी मेरे ही आवाज में आए. बस अभी-अभी भेजे हैं करण के पास. वैसे भी करण मेरे लिए भतीजे के समान है. उसके पिता यश जौहर मेरे बेहद करीबी दोस्त रहे हैं. तम्मा तम्मा में जब करण ने मेरी आवाज के इस्तेमाल की बात मुझसे की तो मैंने कहा कि तुम पुरानी वाली आवाज या अनाउंसमेंट का इस्तेमाल मत करो. मैं इस गाने के पहले की लाइंस को अभी डब करके भेज देता हूं'.
फ़र्स्टपोस्ट: इसके पहले, पिछली बार आपकी आवाज किसी फिल्म में कब सुनाई गई थी ?
अमीन सायानी: देखिए, अभी तो मुझे ज्यादा याद नहीं आ रहा है लेकिन मुझे याद है देवानंद की फिल्म थी तीन देवियां उसमें देव की तीन हिरोइन थीं. हर बार जब नई हिरोइन का इंट्रो होता था फिल्म में मैं ही उसे अनाउंस करता था. बीच में मैंने दो-तीन फिल्मों में अपनी आवाज दी थी, लेकिन उनका नाम याद नहीं आता.
अमीन सयानी बताते हैं कि, 'मैं मुंबई के न्यू एरा स्कूल मे पढ़ा हूं. तब मेरी आवाज बहुत सुरीली हुआ करती थी. मैं नाटक भी करता था और स्कूल में गाता भी था मैंने शास्त्रीय संगीत भी सीखा है. लेकिन उम्र (प्यूबर्टी) के बाद मेरी वो आवाज नहीं लौटी. ऐसे में जिंदगी मुझे रेडियो की तरफ ले गई. लेकिन आवाज में या तो गुजरातीपन था या फिर अंग्रेजियत, तो दोनों की वजह से मुझे ऑल इंडिया रेडियो ने रिजेक्ट भी किया है. बाकी आगे की कहानी बहुत लंबी है'.
आगे वो चुटकी लेते हुए बताते हैं कि, 'मैंने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की है लेकिन कई बार निर्माता मेरा चेहरा देख कर कहते थे कि सेकेंड विलेन या तीसरे कॉमेडियन का कोई रोल कर लो'.
अमीन को इस एंटरव्यू के दौरान वो समय भी याद आया जब वो महात्मा गांधी के साथ उनके भजन में बैठा करते थे. तब वो तब केवल 8 साल के थे. अमीन की मां कुलसुम सायानी को महात्मा गांधी अपनी बेटी कहा करते थे और जवाहर लाल नेहरू उन्हें कुलसुम बहन कहते थे. एक बार गांधीजी के कहने पर उनकी मां ने तीन भाषा में अखबार निकाला. गुजराती, देवनागरी और उर्दू में. अखबार की प्रूफ करते-करते मैं हिंदी भी सीख गया.
फ़र्स्टपोस्ट: आने वाले दिनों में आप क्या करने की सोच रहे हैं ?
अमीन सायानी: जल्द हो सकता है कि मेरे एक पुराने शो 'संगीत के सितारों की महफिल' और मेरे जीवनी पर बना रेडियो शो के रूप में सुनें. लेकिन फिलहाल तो मैं वीकेंड की राह देख रहा हूं क्योंकि जिस बिल्डिंग की दूसरी माले पर मेरा ऑफिस है. वहां पर लिफ्ट का काम चल रहा है लेकिन मैं वीक डे पर 81 बरस की उम्र में भी चढ़ कर आता-जाता हूं.
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