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मुमताज महल: ये 15 बातें शायद आप नहीं जानते होंगे?

मुमताज फ़ारसी की अच्छी जानकार थी और उसमें कविताएं भी लिखती थीं

Updated On: Oct 18, 2017 05:52 PM IST

Afsar Ahmed

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मुमताज महल: ये 15 बातें शायद आप नहीं जानते होंगे?

हाल ही में बीजेपी विधायक संगीत सोम के विवादित बयान के बाद चर्चा में आए ताजमहल से जुड़ा एक पहलू वह भी है जिस पर बात कम होती है. वह है शाहजहां की बीवी मुमताज महल, जिसकी याद में यह ख़ूबसूरत इमारत बनाई गई. ताजमहल में दफ़न मुमताज महल से जुड़ी ये 15 बातें नहीं जानते होंगे आप...

मुमताज के दूसरे नाम क़ुदसिया बेग़म या आलिया बेग़म भी थे मुमताज महल 14 बच्चों की मां बनी जिनमें 8 लड़के और 6 लड़कियां थीं. इसमें सिर्फ़ 7 ही ज़िंदा बचे.

मुमताज की मौत 40वें साल में सन 1631 में बुरहानपुर में हुई

मुमताज की आखिरी बेटी गौहरआरा थी. शाहजहां ने गौहरआरा को देखने तक से इनकार कर दिया था. बाक़ी बहनों की तरह गौहरआरा की भी शादी नहीं हुई

मुमताज फ़ारसी की अच्छी जानकार थी और उसमें कविताएं भी लिखती थीं. उन्होंने कई कवियों और बुद्धिजीवियों को आश्रय दे रखा था

14 साल की उम्र में मुमताज और शाहजहां की शादी तय हुई और शादी हुई 1607 में

मुमताज हमेशा ग़रीबों की मदद के लिए तैयार रहती थी. बादशाह जब आगरा क़िले में शाह बुर्ज आते तो वह ज़रूरतमंदों के मामले उनके सामने उठाती थी

मुमताज अपनी सहयोगी सती उन निसा के ज़रिए जरूरतमंद औरतों और उन लड़कियों का पता करती, जिनकी शादी नहीं हुई है. बादशाह ऐसे लोगों पर भारी रकम खर्च करता था. कुछ मामलों में उन्हें ज़मीनें तक दी गईं.

मुग़ल सल्तनत में बेहद महत्वपूर्ण और क़ीमती मानी जाने वाली शाही मुहर और शाही फ़रमान मुमताज के पास रहते थे.

मुमताज ने मरते वक़्त शाहजहां से दो वादे लिए - वो और संतान पैदा नहीं करेंगे और मुमताज के लिए एक ख़ूबसूरत मक़बरा बनवाएंगे

mumtaz

मुमताज के एक नहीं तीन दफ़न हुए - 17 जून 1631 को पहली बार उन्हें बुरहानपुर में दफ़नाया गया, छह माह बाद उन्हें 12 जनवरी 1632 को ताजमहल के अहाते में दफ़नाया गया. फिर 9 साल बाद उन्हें मुख्य गुंबद में 1640 में दफ़नाया गया. पहले दो दफ़न अमानती दफ़न कहलाते हैं

मुमताज की लाश का यूनानी के जानकार अल राज़ी की तकनीक से संरक्षण किया गया था. राज़ी की तकनीक मिस्र में ममी बनाने के तीन अहम तरीक़ों में एक से मेल खाती है

मुमताज मुख्य गुंबद के ठीक बीच में दफ़न है. पहले वहां शाहजहां को दफ़नाने की योजना नहीं थी पर बाद में उन्हें भी मुमताज की बगल में जगह मिली औरंगज़ेब मुमताज की छठी संतान थे, जिनका जन्म दोहाद में शनिवार 24 अक्टूबर 1618 को हुआ था

दारा शिकोह मुमताज की तीसरी संतान थे जो 1615 में अजमेर में पैदा हुए

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