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अगर आप समझते हैं 'सांबर' दक्षिण भारतीयों की देन है..तो एक बार फिर से सोच लें

तुअर की दाल से बने जिस सांबर को हम दक्षिण भारतीय व्यंजन के तौर पर पहचानते हैं, दरअसल वह मराठों की देन है

Updated On: Oct 25, 2018 05:13 PM IST

FP Staff

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अगर आप समझते हैं 'सांबर' दक्षिण भारतीयों की देन है..तो एक बार फिर से सोच लें

दक्षिण भारतीय व्यंजनों में आम और वहां की पहचान बन चुके सांबर को अगर आप दक्षिण भारत की देन समझते हैं तो आप गलत हैं. वास्तव में वो दक्षिण भारत की देन नहीं है. दरअसल दुनिया भर में व्यंजनों के बारे में अपनी समझ के लिए मशहूर और कई ट्रेवल व फूड शो के होस्ट शेफ कुनाल कपूर ने सांबर की उत्पत्ति की कहानी बताई है.

मास्टरशेफ इंडिया के जज रह चुके कुनाल कपूर का नया टीवी शो आ रहा है. एलएफ चैनल पर आने वाले इस कार्यक्रम 'करीज़ ऑफ इंडिया' में वह भारत के तमाम व्यंजनों की उतपत्ति के बारे में बता रहे हैं.

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इसी कड़ी में उन्होंने बताया कि तुअर की दाल से बने जिस सांबर को हम दक्षिण भारतीय व्यंजन के तौर पर पहचानते हैं. दरअसल वह मराठों की देन है. और इसका नाम उस समय मराठों के राजा रहे संभाजी के नाम पर रखा गया है. उस समय दक्षिण भारत में मराठों का शासन हुआ करता  था.

कपूर का कहना है कि साक्ष्य पाए गए हैं कि सांबर पहली बार शिवाजी के बेटे संभाजी के लिए बनाया गया था. उन्होंने बताया कि जो सांबर आज आमतौर पर तुअर और अरहर की दाल से बनाया जाता है वह उस समय उड़द की दाल से बनाया गया था. कपूर ने कहा, तो जब भी आप किसी दक्षिण भारतीय रेस्तरां में सांबर खा रहे हो तो याद रखना आप एक मराठी व्यंजन खा रहे हो.

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