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व्यंग्य: रोमियो को जीना है तो उसे वोटबैंक की जरूरत है

क्या रोमियो जूलियट पर अश्लील फब्तियां कसा करता था

Updated On: Jun 01, 2017 12:20 PM IST

Piyush Pandey

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व्यंग्य: रोमियो को जीना है तो उसे वोटबैंक की जरूरत है

यूपी सरकार ने 'रोमियोबाजी' के आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़े कहते हैं कि यूपी में 3 लाख 38 हजार रोमियो को चेतावनी देकर छोड़ा गया है. सबसे ज्यादा रोमियो लखनऊ में पाए गए हैं. लखनऊ में 1,14,180 रोमियो को चेतावनी दी गई.

काश! ये रोमियो वास्तव में मुहब्बत करते!

लेकिन मेरी चिंता इन रोमियो की नहीं बल्कि घर मे पैदा हो रहे नए रोमियो को लेकर थी. दरअसल, सुबह-सुबह अखबार में सिर्फ क्रिकेट की खबरें पढ़ने वाले सुपुत्र ने अचानक मेरी तरफ गुगली फेंकी. पूछा-'पापा क्या रोमियो अंकल अभी भी जीवित हैं.'

‘नहीं बेटा, रोमियो अंकल को मरे तो कई साल बीत गए. अब तो वे फिल्मों के गाने में ही दिखाई देते हैं.’ मैंने गुगली को संभलकर खेलते हुए बेहतरीन जवाब देने की कोशिश की.

‘लेकिन पापा, अखबार में तो खबर छपी है कि नोएडा चौराहे पर एक रोमियो पिटा. ऐसी ही खबर कल भी छपी थी. कल तीन रोमियो पिटे थे. और आज तो अखबार में ये भी छपा है कि लखनऊ में एक लाख से ज्यादा रोमियो हैं. तो पापा देश में कुल कितने रोमियो हैं.’

चैंपियंस ट्रॉफी के टाइम में बेटा मानो गुगली फेंकने की प्रैक्टिस कर रहा था. लेकिन गेंद बनाया था रोमियो को. और मेरे लिए ये गुगली खासी झन्नाटेदार थी क्योंकि मैंने कभी इस सवाल पर गंभीरता से विचार किया नहीं था कि रोमियो के मरने के इतने सालों के बाद भी मीडिया मजनूं और रोमियो के पीछे ही क्यों पड़ा रहता है. आखिर, ये खबर क्यों नहीं छपती कि नोएडा चौराहे पर तीन रांझे पिटे. या अखबारों और चैनलों में यह क्यों नहीं लिखा जाता कि मनचले महिवाल धरे गए. मजनूं और रोमियो से ही इतनी दुश्मनी क्यों? और रांझों और महिवालों से इतनी मुहब्बत क्यों?

इस रांझा-महिवाला चिंतन के बीच अचानक बेटे ने फिर चुप्पी तोड़ी. बोला-'आप तो पत्रकार हैं. बताइए, ये रोमियो का नाम इंडियन मीडिया बार-बार क्यों घसीटता है. और इंटरनेशनल लॉ भारत के खिलाफ इस बारे में कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते.'

मैं झल्लाया-'बकवास बंद करो. क्रिकेट का पेज पढ़ लिया हो तो जाओ पढ़ाई करो. और रोमियो की इतनी चिंता तुम्हें क्यों रही है. रोमियो कब से तुम्हारा अंकल हो गया?'

‘अरे कब से हो गया का क्या मतलब है. अनिल कपूर अंकल ही तो रोमियो बने थे रुप की रानी चोरों का राजा में. फिल्म में गाना भी था-रोमियो नाम मेरा, चोरी है काम मेरा. और अनिल कपूर अंकल के नाम को कोई खराब करे तो मुझे गुस्सा आएगा ही. मैं उनका फैन हूं.'

अब मैं कंफ्यूज था. रोमियो और मजनूं का तो हिंदी फिल्मों में इतना अमूल्य योगदान है. कम से कम दस फिल्में और पचास गाने रोमियो-मजनूं की वजह से ही बन पाए. तमाम शेर मजनूं-रोमियो के प्रेम की वजह से अस्तित्व में आ पाए.

romeo juliet

इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि क्या रोमियो जूलियट पर अश्लील फब्तियां कसा करता था? क्या रोमियो सड़क पर खड़ी दूसरी लड़कियों को देखकर गंदे इशारे करता था? क्या रोमियो कॉलेज के बाहर या दूसरी जगह अकेले में किसी अकेली लड़की का हाथ पकड़ लिया करता था? क्या लड़की छेड़ते हुए रोमियो का कोई वीडियो कभी वायरल हुआ. रोमियो और मजनूं तो बेचारे लुटे, पिटे, मरे, गिरे सिर्फ जूलियट और लैला की वजह से. रोमियो-जूलियट की प्रेम कहानी तो अमर प्रेम कहानी है. लेकिन-उसके नाम को बदनाम किया जा रहा है.

मेरे चिंतन में फिर बेटे ने खलल डाला. 'पापा क्या अगर मार्केट में इतने रोमियो घूम रहे हैं तो असली रोमियो कौन है? और वो कुछ करते क्यों नहीं.'

मैं समझ चुका था कि बेटे पर रोमियो का भूत सवार है. मैंने कहा-'बेटा असली रोमियो जुलियट के चक्कर में अरसे पहले मर चुका है. मर चुका है, इसलिए मानहानि का मुकदमा नहीं कर सकता. रोमियो के नाम पर देश में कोई वोटबैंक नहीं बन पाया, वरना अभी तक आंदोलन हो जाता. बसें फूंक दी जाती. आगजनी हो जाती. और चूंकि असली रोमियो है नहीं तो हर सड़कछाप आशिक मुहब्बत के मामले में खुद को रोमियो की विरासत का असल हकदार ही समझता है. इसीलिए देश में लाखों रोमियो घूमते दिख रहे हैं.'

बेटा, कुछ हद तक कनविंस हो चुका था. लेकिन-उसका आखिरी सवाल मुझे हिलाने के लिए काफी था. बोला-'पापा, अगर ये सारे फर्जी रोमियो हैं तो असली रोमियो कैसे बना जाता है. क्या रोमियो बनने का कोई कोर्स है. मैं असल रोमियो बनना चाहता हूं.'

अब मेरा पारा चढ़ चुका था. लेकिन इससे पहले घर के रोमियो पर मेरा हाथ पड़ता, भावी रोमियो भाग गया. ये कहते हुए-पापा मैं रोमियो बनकर रहूंगा. मैं रोमियो का नाम नहीं डूबने दूंगा.

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